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गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)

गरीबी

गरीबी किसी भी व्यक्ति या इंसान के लिये अत्यधिक निर्धन होने की स्थिति है। ये एक ऐसी स्थिति है जब एक व्यक्ति को अपने जीवन में छत, जरुरी भोजन, कपड़े, दवाईयाँ आदि जैसी जीवन को जारी रखने के लिये महत्वपूर्ण चीजों की भी कमी लगने लगती है। निर्धनता के कारण हैं अत्यधिक जनसंख्या, जानलेवा और संक्रामक बीमारियाँ, प्राकृतिक आपदा, कम कृषि पैदावर, बेरोज़गारी, जातिवाद, अशिक्षा, लैंगिक असमानता, पर्यावरणीय समस्याएँ, देश में अर्थव्यवस्था की बदलती प्रवृति, अस्पृश्यता, लोगों का अपने अधिकारों तक कम या सीमित पहुँच, राजनीतिक हिंसा, प्रायोजित अपराध, भ्रष्टाचार, प्रोत्साहन की कमी, अकर्मण्यता, प्राचीन सामाजिक मान्यताएँ आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

गरीबी पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Poverty in Hindi, Garibi par Nibandh Hindi mein)

गरीबी पर निबंध – 1 (350 शब्द).

गरीबी संसार के सबसे विकट समस्याओं में से एक है। गरीबी की यह समस्या हमारे जीवन को आर्थिक तथा सामाजिक दोनो ही रुप से प्रभावित करती है। गरीबी एक ऐसी समस्या है, जो हमारे पूरे जीवन को प्रभावित करने का कार्य करती है।

गरीबी के कारण

गरीबी का सबसे बड़ा कारण परिस्थिति नहीं बल्कि लोगों की गरीब सोच है। शिक्षा का अभाव, रोजगार का अभाव, अपंगता आदि गरीबी के अन्य कारण है।गरीबी एक ऐसी बीमारी है जो इंसान को हर तरीके से परेशान करती है। इसके कारण एक व्यक्ति का अच्छा जीवन, शारीरिक स्वास्थ्य, शिक्षा स्तर आदि जैसी सारी चीजें खराब हो जाती है। यही कारण है कि आज के समय में गरीबी को एक भयावह समस्या माना जाता है।

गरीबी से मुक्ति के उपाय

ये बहुत जरुरी है कि एक सामान्य जीवन जीने के लिये, उचित शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, पूर्ण शिक्षा, हरेक के लिये घर, और दूसरी जरुरी चीजों को लाने के लिये देश और पूरे विश्व को साथ मिलकर कार्य करना होगा। गरीबी के अंत के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।  सरकार को अवसर उपलब्ध कराना चाहिए और जनता को उस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

निष्कर्ष गरीबी से मुक्ति के लिए हमें शिक्षा और कौशल युक्त होना होगा। सरकार का यह दायित्व है की वह जनता को अवसर और योजनाए प्रदान करे , जिससे एक आम आदमी भी रोजगार प्राप्त कर सके।

निबंध 2 (400 शब्द)

आज के समय में गरीबी को दुनियां के सबसे बडी समस्याओं में से एक माना जाता है। गरीबी एक ऐसी मानवीय स्थिति है, जो हमारे जीवन में दुख-दर्द तथा निराशा जैसी विभिन्न समस्याओँ को जन्म देती है। गरीबी में जीवन जीने वाले व्यक्तियों को ना तो अच्छी शिक्षा की प्राप्ति होती है ना ही उन्हें अच्छी सेहत मिलती है।

गरीबी एक त्रासदी

गरीबी एक ऐसी मानवीय परिस्थिति है जो हमारे जीवन में निराशा, दुख और दर्द लाती है। गरीबी पैसे की कमी है और जीवन को उचित तरीके से जीने के लिये सभी चीजों के कमी को प्रदर्शित करता है। गरीबी एक बच्चे को बचपन में स्कूल में दाखिला लेने में अक्षम बनाती है और वो एक दुखी परिवार में अपना बचपन बिताने या जीने को मजबूर होते हैं। निर्धनता और पैसों की कमी की वजह से लोग दो वक्त की रोटी, बच्चों के लिये किताबें नहीं जुटा पाने और बच्चों का सही तरीके से पालन-पोषण नहीं कर पाने के जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो जाते है।

हमलोग गरीबी को बहुत तरीके से परिभाषित कर सकते हैं। भारत में गरीबी देखना बहुत आम-सा हो गया है क्योंकि ज्यादातर लोग अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को भी नहीं पूरा कर सकते हैं। यहाँ पर जनसंख्या का एक विशाल भाग निरक्षर, भूखे और बिना कपड़ों और घर के जीने को मजबूर हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के कमजोर होने का यही मुख्य कारण है। निर्धनता के कारण लगभग भारत में आधी आबादी दर्द भरा जीवन जी रही है।

गरीबी एक स्थिति उत्पन्न करती है जिसमें लोग पर्याप्त आय प्राप्त करने में असफल हो जाते हैं इसलिये वो जरुरी चीजों को नहीं खरीद पाते हैं। एक निर्धन व्यक्ति अपने जीवन में मूल वस्तुओं के अधिकार के बिना जीता है जैसे दो वक्त का भोजन, स्व्च्छ जल, घर, कपड़े, उचित शिक्षा आदि। ये लोग जीने के न्यूनतम स्तर को भी बनाए रखने में विफल हो जाते हैं जैसे अस्तित्व के लिये जरुरी उपभोग और पोषण आदि।

भारत में निर्धनता के कई कारण हैं हालांकि राष्ट्रीय आय का गलत वितरण भी एक कारण है। कम आय वर्ग समूह के लोग उच्च आय वर्ग समूह के लोगों से बहुत ज्यादा गरीब होते हैं। गरीब परिवार के बच्चों को उचित शिक्षा, पोषण और खुशनुमा बचपन का माहौल कभी नसीब नहीं हो पाता है। निर्धनता का मुख्य कारण, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, अमीरी और गरीबी के बीच बढ़ती खाई आदि है।

गरीबी मानव जीवन की वह समस्या है, जिसके कारण इससे ग्रसित व्यक्ति को अपने जीवन में मूलभूत सुविधाएं भी नही मिल पाती है। यही कारण है कि वर्तमान समय में गरीबी से निवारण के कई उपाय ढ़ूढे जा रहे है, ताकि विश्व भर के लोगों के जीवन स्तर को सुधारा जा सके।

निबंध 3 (500 शब्द)

गरीबी हमारे जीवन में एक चुनौती बन गया है, आज के समय में विश्वभर के कई देश इसके चपेट में आ गये है। इस विषय में जारी आकड़ो को देखने से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिये हो रहे इतने सारे उपायों के बावजूद भी यह समस्या ज्यो की त्यो बनी हुई है।

गरीबी को नियंत्रित करने के उपाय

निर्धनता जीवन की खराब गुणवत्ता, अशिक्षा, कुपोषण, मूलभूत आवयश्यकताओं की कमी, निम्न मानव संसाधन विकास आदि को प्रदर्शित करता है। भारत में जैसे विकासशील देशों में निर्धनता एक प्रमुख समस्या है। ये एक ऐसा तथ्य है जिसमें समाज में एक वर्ग के लोग अपने जीवन की मूलभूत जरुरतों को भी पूरा नहीं कर सकते हैं।

पिछले पाँच वर्षों में गरीबी के स्तर में कुछ कमी दिखाई दी है (1993-94 में 35.97% से 1999-2000 में 26.1%)। ये राज्य स्तर पर भी घटा है जैसे उड़ीसा में 47.15% से 48.56%, मध्य प्रदेश में 37.43% से 43.52%, उत्तर प्रदेश में 31.15% से 40.85% और पश्चिम बंगाल में 27.02% से 35.66% तक। हालांकि इसके बावजूद इस बात पर कोई विशेष खुशी या गर्व नही महसूस किया जा सकता है क्योंकि अभी भी भारत में लगभग 26 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करने को मजबूर है।

भारत में गरीबी कुछ प्रभावकारी कार्यक्रमों के प्रयोगों के द्वारा मिटायी जा सकती है, हालांकि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये केवल सरकार के द्वारा ही नहीं बल्कि सभी के समन्वित प्रयास की जरुरत है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, परिवार कल्याण, रोज़गार सृजन आदि जैसे मुख्य संघटकों के द्वारा गरीब सामाजिक क्षेत्रों को विकसित करने के लिये भारत सरकार को कुछ असरकारी रणनीतियों को बनाना होगा।

गरीबी का क्या प्रभाव है?

गरीबी के ये कुछ निम्न प्रभाव हैं जैसे:

  • निरक्षरता: पैसों की कमी के चलते उचित शिक्षा प्राप्त करने के लिये गरीबी लोगों को अक्षम बना देती है।
  • पोषण और संतुलित आहार: गरीबी के कारण संतुलित आहार और पर्याप्त पोषण की अपर्याप्त उपलब्धता ढ़ेर सारी खततरनाक और संक्रामक बीमारियाँ लेकर आती है।
  • बाल श्रम: ये बड़े स्तर पर अशिक्षा को जन्म देता है क्योंकि देश का भविष्य बहुत कम उम्र में ही बहुत ही कम कीमत पर बाल श्रम में शामिल हो जाता है।
  • बेरोज़गारी: गरीबी के वजह से बेरोजगारी भी उत्पन्न होती है, जोकि लोगो के सामान्य जीवन को प्रभावित करने का कार्य करता है। ये लोगों को अपनी इच्छा के विपरीत जीवन जीने को मजबूर करता है।
  • सामाजिक चिंता: अमीर और गरीब के बीच आय के भयंकर अंतर के कारण ये सामाजिक चिंता उत्पन्न करता है।
  • आवास की समस्या: फुटपाथ, सड़क के किनारे, दूसरी खुली जगहें, एक कमरे में एक-साथ कई लोगों का रहना आदि जीने के लिये ये बुरी परिस्थिति उत्पन्न करता है।
  • बीमारियां: विभिन्न संक्रामक बीमारियों को ये बढ़ाता है क्योंकि बिना पैसे के लोग उचित स्वच्छता और सफाई को बनाए नहीं रख सकते हैं। किसी भी बीमारी के उचित इलाज के लिये डॉक्टर के खर्च को भी वहन नहीं कर सकते हैं।
  • स्त्री संपन्नता में निर्धनता: लौंगिक असमानता के कारण महिलाओं के जीवन को बड़े स्तर पर प्रभावित करती है और वो उचित आहार, पोषण और दवा तथा उपचार सुविधा से वंचित रहती है।

समाज में भ्रष्टाचार, अशिक्षा तथा भेदभाव जैसी ऐसी समस्याएं है, जो आज के समय में विश्व भर को प्रभावित कर रही है। इस देखते हुए हमें इन कारणों की पहचान करनी होगी और इनसे निपटने की रणनीती बनाते हुए समाज के विकास को सुनिश्चित करना होगा क्योंकि गरीबी का उन्मूलन मात्र समग्र विकास के द्वारा ही संभव है।

निबंध 4 (600 शब्द)

निर्धनता एक परिस्थिति है जिसमें लोग जीवन के आधारभूत जरुरतों जैसे कि अपर्याप्त भोजन, कपड़े और छत आदि को भी नही प्राप्त कर पाते है। भारत में ज्यादातर लोग ठीक ढंग से दो वक्त की रोटी नही हासिल कर सकते, वो सड़क किनारे सोते हैं और गंदे कपड़े पहनते हैं। वो उचित स्वस्थ पोषण, दवा और दूसरी जरुरी चीजें नहीं पाते हैं। शहरी जनसंख्या में बढ़ोत्तरी के कारण शहरी भारत में गरीबी बढ़ी है क्योंकि नौकरी और धन संबंधी क्रियाओं के लिये ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरों और नगरों की ओर पलायन कर रहें है। लगभग 8 करोड़ लोगों की आय गरीबी रेखा से नीचे है और 4.5 करोड़ शहरी लोग सीमारेखा पर हैं। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले अधिकतर लोग अशिक्षित होते हैं। कुछ कदमों के उठाये जाने के बावजूद गरीबी को घटाने के संदर्भ में कोई भी संतोषजनक परिणाम नहीं दिखाई देता है।

गरीबी के कारण एवं निवारण

भारत में गरीबी का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, भ्रष्टाचार, पुरानी प्रथाएं, अमीर और गरीब के बीच में बड़ी खाई, बेरोज़गारी, अशिक्षा, संक्रामक रोग आदि है। भारत में जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर करता है जो कि गरीब है और गरीबी का कारण है। आमतौर पर खराब कृषि और बेरोज़गारी की वजह से लोगों को भोजन की कमी से जूझना पड़ता है। भारत में बढ़ती जनसंख्या भी गरीबी का कारण है। अधिक जनसंख्या मतलब अधिक भोजन, पैसा और घर की जरुरत। मूल सुविधाओं की कमी में, गरीबी ने तेजी से अपने पाँव पसारे हैं। अत्यधिक अमीर और भयंकर गरीब ने अमीर और गरीब के बीच की खाई को बहुत चौड़ा कर दिया है।

गरीबी का प्रभाव

गरीबी लोगों को कई तरह से प्रभावित करती है। गरीबी के कई प्रभाव हैं जैसे अशिक्षा, असुरक्षित आहार और पोषण, बाल श्रम, खराब घर, गुणवत्ताहीन जीवनशैली, बेरोजगारी, खराब साफ-सफाई, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गरीबी की अधिकता, आदि। पैसों की कमी की वजह से अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ती ही जा रही है। ये अंतर ही किसी देश को अविकसित की श्रेणी की ओर ले जाता है। गरीबी की वजह से ही कोई छोटा बच्चा अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिये स्कूल जाने के बजाय कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर हो जाता है।

गरीबी को जड़ से हटाने का समाधान

इस ग्रह पर मानवता की अच्छाई के लिये त्वरित आधार पर गरीबी की समस्या को सुलझाने के लिये ये बहुत जरुरी है। कुछ समाधान जो गरीबी की समस्या को सुलझाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं वो इस प्रकार है:

  • फायदेमंद बनाने के साथ ही अच्छी खेती के लिये किसानों को उचित और जरुरी सुविधा मिलनी चाहिये।
  • बालिग लोग जो अशिक्षित हैं को जीवन की बेहतरी के लिये जरुरी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।
  • हमेशा बढ़ रही जनसंख्या और इसी तरह से गरीबी को जाँचने के लिये लोगों के द्वारा परिवार नियोजन का अनुसरण करना चाहिये।
  • गरीबी को मिटाने के लिये पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार का खात्मा करना चाहिये।
  • हरेक बच्चों को स्कूल जाना चाहिये और पूरी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिये।
  • रोजगार के रास्ते होने चाहिये जहाँ सभी वर्गों के लोग एक साथ कार्य कर सकें।

गरीबी केवल एक इंसान की समस्या नहीं है बल्कि ये राष्ट्रीय समस्या है। इसे त्वरित आधार पर कुछ प्रभावी तरीकों को लागू करके सुलझाना चाहिये। सरकार द्वारा निर्धनता को हटाने के लिये विभिन्न प्रकार के कदम उठाये गये हालांकि कोई भी स्पष्ट परिणाम दिखाई नहीं देता। लोग, अर्थव्यवस्था, समाज और देश के चिरस्थायी और समावेशी वृद्धि के लिये गरीबी का उन्मूलन बहुत जरुरी है। गरीबी को जड़ से उखाड़ने के लिये हरेक व्यक्ति का एक-जुट होना बहुत आवश्यक है।

Essay on Poverty in Hindi

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poverty essay in hindi

विषय-सूचि

गरीबी पर निबंध, essay on poverty in hindi (100 शब्द)

गरीबी किसी भी व्यक्ति के अत्यंत गरीब होने की अवस्था है। यह चरम स्थिति है जब किसी व्यक्ति को जीवन को जारी रखने के लिए आवश्यक आवश्यक वस्तुओं की कमी महसूस होती है जैसे कि आश्रय, पर्याप्त भोजन, कपड़े, दवाइयां, आदि।

गरीबी के कुछ सामान्य कारण हैं, अतिवृद्धि, घातक और महामारी रोग, प्राकृतिक आपदाएं। निम्न कृषि उत्पादन, रोजगार की कमी, देश में जातिवाद, अशिक्षा, लैंगिक असमानता, पर्यावरणीय समस्याएं, देश में अर्थव्यवस्था के बदलते रुझान, उचित शिक्षा की कमी, अस्पृश्यता, लोगों के अपने अधिकारों तक सीमित या अपर्याप्त पहुंच, राजनीतिक हिंसा, संगठित अपराध , भ्रष्टाचार, प्रेरणा की कमी, आलस्य, पुरानी सामाजिक मान्यताएं, आदि। भारत में गरीबी को प्रभावी समाधानों के बाद कम किया जा सकता है, लेकिन सभी नागरिकों के व्यक्तिगत प्रयासों की आवश्यकता है।

poverty essay in hindi

गरीबी पर निबंध, poverty essay in hindi (150 शब्द)

हम गरीबी को भोजन, उचित आश्रय, कपड़ों, दवाओं, शिक्षा और समान मानवाधिकारों की कमी के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। गरीबी किसी व्यक्ति को भूखे रहने के लिए, बिना आश्रय के, बिना कपड़ों, शिक्षा और उचित अधिकारों के लिए मजबूर करती है।

देश में गरीबी के विभिन्न कारण हैं, हालांकि समाधान भी हैं, लेकिन समाधानों का पालन करने के लिए भारतीय नागरिकों में उचित एकता की कमी के कारण, गरीबी दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। किसी भी देश में महामारी रोगों का प्रसार गरीबी का कारण है क्योंकि गरीब लोग अपने स्वास्थ्य और स्वास्थ्य की स्थिति का ध्यान नहीं रख सकते हैं।

गरीबी लोगों को डॉक्टर के पास जाने, स्कूल जाने, पढ़ने, ठीक से बोलने, तीन वक्त का खाना खाने, जरूरत के कपड़े पहनने, खुद का घर खरीदने, नौकरी के लिए सही तरीके से वेतन पाने आदि में असमर्थ बनाती है। व्यक्ति अशुद्ध पानी पीने, गंदे स्थानों पर रहने और अनुचित भोजन खाने के कारण बीमारी की ओर जा सकता है। गरीबी शक्तिहीनता और स्वतंत्रता की कमी का कारण बनती है।

गरीबी पर निबंध, poverty essay in hindi (200 शब्द)

गरीबी एक गुलाम जैसी स्थिति की तरह है जब कोई व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी करने में असमर्थ हो जाता है। इसके कई चेहरे हैं जो व्यक्ति, स्थान और समय के अनुसार बदलते हैं। यह कई मायनों में वर्णित किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति इसे महसूस करता है या इसे जी रहा है।

गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिसे कोई भी नहीं जीना चाहता है, लेकिन इसे कस्टम, प्रकृति, प्राकृतिक आपदा, या उचित शिक्षा की कमी के कारण ले जाना पड़ता है। व्यक्ति इसे जीता है, आम तौर पर बच निकलना चाहता है। गरीबी गरीब लोगों को खाने के लिए पर्याप्त पैसा कमाने, शिक्षा तक पहुंच, पर्याप्त आश्रय पाने, आवश्यक कपड़े पहनने और सामाजिक और राजनीतिक हिंसा से सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने का आह्वान है।

यह एक अदृश्य समस्या है जो किसी व्यक्ति और उसके सामाजिक जीवन को कई तरह से बुरी तरह प्रभावित करती है। गरीबी पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली समस्या है लेकिन कई कारण हैं जो इसे पिछले समय से जारी रखते हैं और जारी रखते हैं।

गरीबी व्यक्ति को स्वतंत्रता, मानसिक कल्याण, शारीरिक कल्याण और सुरक्षा की कमी रखती है। उचित शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, पूर्ण साक्षरता, सभी के लिए घर, और सरल जीवन जीने के लिए अन्य आवश्यक चीजों को लाने के लिए देश और दुनिया से गरीबी को हटाने के लिए सभी को संयुक्त रूप से काम करना बहुत आवश्यक है।

गरीब पर निबंध, essay on indian poverty in hindi (250 शब्द)

गरीबी एक मानवीय स्थिति है जो मानव जीवन में निराशा, दु:ख और दर्द लाती है। गरीबी पैसे की कमी है और जीवन को उचित तरीके से जीने के लिए आवश्यक सभी चीजें हैं। गरीबी एक बच्चे को बचपन में स्कूल में प्रवेश करने में असमर्थ बना देती है और एक दुखी परिवार में अपना बचपन जीती है।

रोजाना दो वक्त की रोटी और मक्खन की व्यवस्था करने, बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें खरीदने, बच्चों की देखभाल के लिए जिम्मेदार माता-पिता का दुःख आदि के लिए गरीबी कुछ रुपयों की कमी है। हम गरीबी को कई तरीकों से परिभाषित कर सकते हैं।

भारत में गरीबी को देखना बहुत आम बात है क्योंकि यहां ज्यादातर लोग जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते हैं। यहां की आबादी का एक बड़ा प्रतिशत अशिक्षित, भूखा और बिना घर और कपड़े के है। यह खराब भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य कारण है। गरीबी के कारण भारत में लगभग आधी आबादी दयनीय जीवन जी रही है।

गरीबी एक ऐसी स्थिति बनाती है जिसमें लोग पर्याप्त आय प्राप्त करने में विफल होते हैं इसलिए वे आवश्यक चीजें नहीं खरीद सकते हैं। एक गरीब आदमी बिना किसी सुविधा के अपना जीवन यापन करता है, जैसे कि दो वक्त का खाना, पीने का साफ पानी, कपड़े, घर, उचित शिक्षा इत्यादि। अस्तित्व।

भारत में गरीबी के विभिन्न कारण हैं, लेकिन राष्ट्रीय आय का वितरण भी एक कारण है। निम्न आय वर्ग के लोग उच्च आय वर्ग की तुलना में अपेक्षाकृत गरीब होते हैं। गरीब परिवार के बच्चों को उचित स्कूली शिक्षा, उचित पोषण और खुशहाल बचपन का कभी मौका नहीं मिलता है। गरीबी के सबसे महत्वपूर्ण कारण अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, खराब कृषि, गरीबों और अमीरों के बीच अंतर आदि हैं।

गरीब पर निबंध, poverty a curse essay in hindi (300 शब्द)

गरीबी जीवन की खराब गुणवत्ता, अशिक्षा, कुपोषण, बुनियादी जरूरतों की कमी, कम मानव संसाधन विकास आदि का प्रतिनिधित्व करती है। यह विशेष रूप से भारत में विकासशील देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। यह एक ऐसी घटना है जिसमें समाज का एक वर्ग अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता है।

इसने पिछले पांच वर्षों में गरीबी स्तर में कुछ गिरावट देखी है (1999-2000 में 26.1%, 1993-94 में 35.97% से)। राज्य स्तर पर भी इसमें गिरावट आई है जैसे कि उड़ीसा में यह 47.15% घटकर 48.56%, मध्य प्रदेश में 43.42% से 37.43%, यूपी में 31.15% 40.85% और पश्चिम बंगाल में 27.6% 35.66% हो गया। भारत में गरीबी में कुछ गिरावट के बजाय यह खुशी की बात नहीं है क्योंकि भारतीय बीपीएल अभी भी बहुत बड़ी संख्या (26 करोड़) है।

भारत में गरीबी को कुछ प्रभावी कार्यक्रमों के उपयोग से मिटाया जा सकता है, हालांकि सरकार द्वारा सभी के लिए एक संयुक्त प्रयास की जरूरत है। भारत सरकार को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, परिवार कल्याण, रोजगार सृजन आदि जैसे प्रमुख घटकों के माध्यम से गरीब सामाजिक क्षेत्र को विकसित करने के लिए कुछ प्रभावी रणनीति बनानी चाहिए।

गरीबी के प्रभाव क्या हैं:

गरीबी के कुछ प्रभाव इस प्रकार हैं:

  • निरक्षरता: गरीबी पैसे की कमी के कारण लोगों को उचित शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ बनाती है।
  • पोषण और आहार: गरीबी के कारण आहार की अपर्याप्त उपलब्धता और अपर्याप्त पोषण होता है जो बहुत सारी घातक बीमारियों और कमी वाली बीमारियों को लाता है।
  • बाल श्रम: यह विशाल स्तर की निरक्षरता को जन्म देता है क्योंकि देश का भविष्य कम उम्र में ही बाल श्रम में शामिल हो जाता है।
  • बेरोजगारी: बेरोजगारी गरीबी का कारण बनती है क्योंकि यह पैसे की कमी पैदा करती है जो लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित करती है। यह लोगों को उनकी इच्छा के खिलाफ अधूरा जीवन जीने के लिए मजबूर करता है।
  • सामाजिक तनाव: यह अमीर और गरीब के बीच आय असमानता के कारण सामाजिक तनाव पैदा करता है।
  • आवास की समस्याएं: यह लोगों को घर के बाहर रहने के लिए फुटपाथ, सड़क के किनारे, अन्य खुले स्थानों, एक कमरे में कई सदस्यों, आदि के लिए बुरी स्थिति बनाता है।
  • रोग: यह विभिन्न महामारी रोगों को जन्म देता है क्योंकि पैसे की कमी वाले लोग उचित स्वच्छता और स्वच्छता नहीं रख सकते हैं। इसके अलावा वे किसी भी बीमारी के समुचित इलाज के लिए डॉक्टर का खर्च नहीं उठा सकते हैं।
  • गरीबी का उन्मूलन: गरीबी लैंगिक असमानता के कारण महिलाओं के जीवन को काफी हद तक प्रभावित करती है और उन्हें उचित आहार, पोषण, दवाओं और उपचार की सुविधा से वंचित रखती है।

गरीबी पर निबंध, essay on poverty in hindi (400 शब्द)

प्रस्तावना:.

गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिसमें लोग जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं जैसे कि भोजन, कपड़े और आश्रय की अपर्याप्तता से वंचित रह जाते हैं। भारत में अधिकांश लोग अपने दो समय के भोजन को ठीक से नहीं पा सकते हैं, सड़क के किनारे सोते हैं और गंदे और पुराने कपड़े पहनते हैं।

उन्हें उचित और स्वस्थ पोषण, दवाएं, और अन्य आवश्यक चीजें नहीं मिलती हैं। शहरी आबादी में वृद्धि के कारण शहरी भारत में गरीबी बढ़ रही है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग रोजगार पाने या कुछ वित्तीय गतिविधि करने के लिए शहरों और कस्बों में पलायन करना पसंद करते हैं।

लगभग 8 करोड़ शहरी लोगों की आय गरीबी रेखा से नीचे है और 4.5 करोड़ शहरी लोग गरीबी के स्तर की सीमा रेखा पर हैं। बड़ी संख्या में लोग झुग्गी में रहते हैं जो निरक्षर हैं। कुछ पहल के बावजूद गरीबी में कमी के संबंध में कोई संतोषजनक परिणाम नहीं दिखा है।

गरीबी के कारण:

भारत में गरीबी के मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या, गरीब कृषि, भ्रष्टाचार, पुराने रीति-रिवाज, गरीब और अमीर लोगों के बीच बहुत बड़ी खाई, बेरोजगारी, अशिक्षा, महामारी रोग आदि हैं। भारत में लोगों का एक बड़ा प्रतिशत कृषि पर निर्भर है जो गरीब है। गरीबी का कारण। आमतौर पर लोग खराब कृषि और बेरोजगारी के कारण भोजन की कमी का सामना करते हैं।

कभी बढ़ती जनसंख्या भी भारत में गरीबी का कारण है। अधिक जनसंख्या का अर्थ है अधिक भोजन, धन और मकान। बुनियादी सुविधाओं की कमी में, गरीबी तेजी से बढ़ती है। अतिरिक्त अमीर और अतिरिक्त गरीब बनना अमीर और गरीब लोगों के बीच एक विशाल चौड़ी खाई बनाता है। अमीर लोग अमीर हो रहे हैं और गरीब लोग गरीब बढ़ रहे हैं जो दोनों के बीच आर्थिक अंतर पैदा करता है।

गरीबी का प्रभाव:

गरीबी कई मायनों में लोगों के जीवन को प्रभावित करती है। गरीबी के विभिन्न प्रभाव हैं जैसे अशिक्षा, खराब आहार और पोषण, बाल श्रम, गरीब आवास, गरीब जीवन शैली, बेरोजगारी, गरीब स्वच्छता, गरीबी का स्त्रीकरण, आदि। गरीब लोग स्वस्थ आहार की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं, ना ही अच्छी जीवन शैली बनाए रख सकते हैं, घर, अच्छे कपड़े, उचित शिक्षा आदि, पैसे की कमी के कारण जो अमीर और गरीब के बीच बहुत बड़ा अंतर पैदा करता है।

यह अंतर अविकसित देश की ओर जाता है। गरीबी छोटे बच्चों को कम खर्च पर काम करने के लिए मजबूर करती है और स्कूल जाने के बजाय उनके परिवार की आर्थिक मदद करती है।

गरीबी उन्मूलन के उपाय:

इस ग्रह पर मानवता की भलाई के लिए गरीबी की समस्या को तत्काल आधार पर हल करना बहुत आवश्यक है। गरीबी की समस्या को हल करने में कुछ उपाय जो बड़ी भूमिका निभा सकते हैं वे हैं:

  • किसानों को अच्छी कृषि के साथ-साथ उसे लाभकारी बनाने के लिए उचित और आवश्यक सुविधाएं मिलनी चाहिए।
  • जो लोग अनपढ़ हैं, उन्हें जीवन की बेहतरी के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • बढ़ती जनसंख्या और इस प्रकार गरीबी की जांच के लिए लोगों द्वारा परिवार नियोजन का पालन किया जाना चाहिए।
  • गरीबी को कम करने के लिए दुनिया भर में भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाना चाहिए।
  • प्रत्येक बच्चे को स्कूल जाना चाहिए और उचित शिक्षा लेनी चाहिए।
  • रोजगार के ऐसे रास्ते होने चाहिए जहां सभी श्रेणियों के लोग एक साथ काम कर सकें।

निष्कर्ष:

गरीबी केवल एक व्यक्ति की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय समस्या है। इसे कुछ प्रभावी समाधानों को लागू करके तत्काल आधार पर हल किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा गरीबी को कम करने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं लेकिन कोई स्पष्ट परिणाम नहीं दिख रहे हैं।

लोगों, अर्थव्यवस्था, समाज और देश के सतत और समावेशी विकास के लिए गरीबी का उन्मूलन आवश्यक है। गरीबी का उन्मूलन प्रत्येक और हर व्यक्ति के एकजुट प्रयास से प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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भारत में गरीबी पर निबंध Essay on Poverty in India Hindi

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इस लेख में आप भारत में गरीबी पर निबंध Essay on Poverty in India Hindi पढ़ेंगे। इसमें हमने गरीबी का अर्थ, भारत में गरीबी के कारण, इसका प्रभाव, गरीबी उन्मूलन, तथ्य जैसी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गई है।

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भारत में गरीबी एक व्यापक स्थिति है आजादी के बाद से गरीबी एक बड़ी चिंता हमेशा बनी हुई है। इस आधुनिक युग में गरीबी देश में एक लगातार बढ़ता हुआ खतरा है। 1.26 अरब जनसंख्या की  25% से ज्यादा अभी भी गरीबी रेखा से नीचे रहते है।

एक देश का स्वास्थ्य भी उन लोगों के मानकों पर निर्धारित होता है जो राष्ट्रीय आय और घरेलू उत्पाद के अलावा उस देश के लोगों के स्तिथि पर आधारित होता हैं। इस प्रकार गरीबी किसी भी देश के विकास पर एक बड़ा धब्बा बना रहता है।

गरीबी की समस्या क्या है? What is Poverty in Hindi?

गरीबी को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें एक व्यक्ति जीवन यापन के लिए बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ होता है। इन बुनियादी जरूरतों में शामिल हैं – भोजन, कपड़े और मकान।

भारत में गरीबी अर्थव्यवस्था, अर्द्ध-अर्थव्यवस्था और परिभाषाओं के सभी आयामों को ध्यान में रखते हुए परिभाषित की गई है जो अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुसार तैयार की जाती हैं। भारत खपत और आय दोनों के आधार पर गरीबी के स्तर को मापता है।

यह गरीबी रेखा भारत में गरीबी को मापने का काम करती है। एक गरीबी रेखा को अनुमानित न्यूनतम स्तर की आय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है क्योंकि एक परिवार को जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होना चाहिए।

भारत में गरीबी के कारण Causes of Poverty in India

जनसंख्या वृद्धि प्रति व्यक्ति आय को कम करती है। इसके अलावा, एक परिवार का आकार बड़ा, कम प्रति व्यक्ति आय है। भूमि और संपत्ति का असमान वितरण एक और समस्या है जो किसानों के हाथों में ज़मीन की एकाग्रता को समान रूप से रोकता है।

गरीबी का प्रभाव Effect of Poverty in India

आबादी के लगभग आधे लोगों में उचित आश्रय नहीं है, सभ्य स्वच्छता प्रणाली के पानी स्रोत गांव में मौजूद नहीं है, और हर गांवों में एक माध्यमिक विद्यालय और उचित सड़कों की कमी आज भी भरी मात्र में है।

गरीबी उन्मूलन की सरकारी योजनाएं Government Schemes for Poverty Eradication in India

इसे सबसे आगे लाने की जरूरत है कि गरीबी के अनुपात में जो भी मामूली गिरावट देखी गई है, वह सरकार की पहल की वजह से हुई है, जिसका उद्देश्य लोगों को गरीबी से उत्थान करना है। हालांकि, ​​ भ्रष्टाचार के कारण कुछ भी सही प्रकार से नहीं हो पा रहा है और योजनायें विफल हो रही हैं।

पीडीएस – पीडीएस गरीबों को रियायती भोजन और गैर-खाद्य वस्तुओं का वितरण करती है। देश भर में कई राज्यों में स्थापित सार्वजनिक वितरण विभागों के एक नेटवर्क के माध्यम से प्रमुख वस्तुएं वितरित की जाती है जिनमें गेहूं, चावल, चीनी और केरोसिन जैसे मुख्य अनाज शामिल हैं।

लेकिन, पीडीएस द्वारा प्रदान किए गए अनाज परिवार के उपभोग की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

पीडीएस योजना के अंतर्गत, गरीबी रेखा से नीचे प्रत्येक परिवार को हर महीने 35 किलो चावल या गेहूं के लिए योग्य होता है, जबकि गरीबी रेखा से ऊपर एक घर मासिक आधार पर 15 किलोग्राम अनाज का हकदार होता है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ( मनरेगा ) – यह लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके हर घर के लिए ग्रामीण परिवारों में आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करने की गारंटी देता है।

आरएसबीवाई (राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना) – यह गरीबों के लिए स्वास्थ्य बीमा है । यह जनता के साथ-साथ निजी अस्पताल में भर्ती के लिए नकद रहित बीमा प्रदान करता है।

भारत में गरीबी के बारे में तथ्य Facts About Poverty in India

भारत में गरीबी के विषय में कुछ मुख्य तथ्य –

निष्कर्ष Conclusion

भारत में गरीबी धीरे-धीरे है लेकिन निश्चित रूप से कम हो रही है। सरकार द्वारा सावधानीपूर्वक योजना गरीबी से पीड़ित लोगों को लाभकारी रहेगी।

आशा करते हैं आपको भारत में गरीबी पर यह निबंध पसंद आया होगा और इसके कारण, प्रभाव, गरीबी उन्मूलन, तथा तथ्य के विषय में पुरी जानकारी मिल पाई होगी।

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  • Essays in Hindi /

Essay on Poverty : छात्र गरीबी पर ऐसे लिख सकते हैं निबंध

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  • Updated on  
  • जून 24, 2024

Essay on Poverty in Hindi

Essay on Poverty in Hindi : गरीबी आज दुनिया की आबादी के लिए एक मुसीबत बन गई है। यह मानव जीवन के कई पहलुओं को छूती है, जिसमें पॉलिटिकल, इकोनॉमिक और सोशल एलिमेंट्स शामिल हैं। हालाँकि गरीबी से बचने के कई तरीके हैं परंतु यह एक लंबी लड़ाई है जिससे सरकारों और नागरिकों को मिलकर लड़ना होगा। आज हम इस ब्लॉग के जरिये आपको Essay on Poverty in Hindi के बारे में जानकारी देंगे।

This Blog Includes:

गरीबी पर 100 शब्दों में निबंध, गरीबी पर 200 शब्दों में निबंध, गरीब के कारण, विश्व गरीबी की स्थिति, गरीबी उन्मूलन में एनजीओ की भूमिका , हम क्या कर सकते हैं, गरीबी समाप्त करने के समाधान.

Essay on Poverty in Hindi 100 शब्दों में नीचे दिया गया है –

दुनिया में गरीबी को अभाव की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है और भौतिक संपत्ति, चीजों की बहुत ज्यादा कमी होती है कि लोगों को अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में भी कठिनाई होती है। लोग जो सोचते हैं उसको पूरा तक नहीं कर पाते हैं। विश्व बैंक के पूर्व अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामारा कहते हैं कि अत्यधिक गरीबी निरक्षरता, कुपोषण, बीमारी, उच्च शिशु मृत्यु दर और कम जीवन प्रत्याशा द्वारा सीमित है। अगर हम किसी देश में गरीबी को मिटाने चाहते हैं, तो उसके लिए सभी स्तरों पर सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है। 

जब देश में कोई महामारी का प्रचंड रूप देखने को मिलता है, तो सबसे पहले प्रभावित गरीब व्यक्ति ही होता है। हर देश जो महामारी की बीमारियों से प्रभावित होता है, गरीबी दर में वृद्धि का अनुभव करता है। कभी लोग पर्याप्त चिकित्सा प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो कहीं वे अपना स्वास्थ्य बनाए रखने में असमर्थ होते हैं। गरीबी की स्थिति एक दुखद स्थिति है जो इससे प्रभावित लोगों के जीवन में दर्द, निराशा और दुःख का कारण बनती है।

कई ऐसी जगह है जहां पर लोगों को पर्याप्त मात्रा में भोजन तक नहीं मिलता है, तो कहीं गरीबी एक अधिक गंभीर परिस्थिति है जहाँ लोगों को भूखा रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है। गरीबी में मूल रूप से बुनियादी जरूरतों की कमी है जो एक बेहद खराब जीवन और यहाँ तक कि कम जीवन प्रत्याशा की ओर ले जाती है। इसमें भोजन, आश्रय, दवा, शिक्षा और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं की कमी शामिल है। गरीबी का कारण सिर्फ खाना, कपड़े से नहीं है, इसका एक मुख्य कारण है बेरोजगारी। लोगो को अपने घर चलने के लिए पर्याप्त मात्रा में जिन चीजों की जरूरत होती है, उसके लिए रोजगार एक बहुत जरूरी चीज है। 

गरीबी पर 500 शब्दों में निबंध

भारत सहित कई देश में गरीबी कई एक गंभीर समस्या है। गरीबी के कारण मृत्यु दर से लेकर बेरोजगारी में भी बढ़ावा होता है। गरीबी के कारण बहुत से लोग अच्छी शिक्षा और शुद्ध भोजन जैसे मूल सुविधाओं से भी वंचित रह जाते हैं। गरीबी को कम करने के लिए सरकार द्वारा बहुत सी योजनाओं को चलाया जाता है। 

देशों में गरीबी के पीछे कई कारण होते हैं, उनमें से कुछ का नीचे दिए गए है:-

  • देश में पूंजी की कमी
  • रोज़गार के सीमित अवसर
  • नागरिकों में साक्षरता की कमी
  • बड़े परिवार और तेज़ी से बढ़ती आबादी

आपको बता दें की यूनिसेफ के अनुसार, गरीबी के कारण हर दिन करीब 22000 बच्चे अपनी जान गंवाते हैं। दुनिया भर के विकासशील देशों में करीब 1.9 बिलियन बच्चे हैं। इनमें से लगभग 640 मिलियन के पास उचित आश्रय नहीं है, 270 मिलियन चिकित्सा सुविधाओं के बिना रह रहे हैं और लगभग 400 मिलियन के पास सुरक्षित पानी तक पहुँच नहीं है। वहीं गरीबी दुनिया भर में यह स्थिति तेज़ी से बढ़ रही है।

देश में अब कई NGO खुल गए हैं जिनकी मदद से गरीब लोगों को चिकित्सा सेवाओं आदि जैसी विभिन्न सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करती हैं। एनजीओ सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के लिए गरीबों तक पहुंचाने में भी मदद करती है। इसके साथ ही वो कई बड़े संस्थानों के साथ मिलकर भी गरीबों को मदद करती हैं।

  • हम रोज़गार के अवसर बढ़ाकर गरीबी को कम कर सकते हैं।
  • फाइनेंसियल सर्विसेस सुनिश्चित करना और उन्हें उपलब्ध कराना।
  • सरकार द्वारा गरीबी को कम करने वाली योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना

अगर हम सभी देश और समाज में वास्तविक परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो हमको गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली आबादी की सहायता करनी चाहिए। यदि बात करें भारत की तो, भारत में गरीबी के मुख्य दो कारण है। अशिक्षा और बेरोजगारी हैं। अशिक्षा : आजकल बड़े-बड़े स्कूल खुल गए हैं, जिनकी फीस दे पाना किसी मीडिल क्लास या गरीब परिवार को संभव नहीं है। और सरकारी स्कूलों में शिक्षा की सही व्यवस्था न होने की वजह से आज हर कोई अपने बचे को निजी स्कूल में पढ़ने की सोचता है।  इस लिए आज के समय में उचित शिक्षा और आर्थिक सहायता से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है। इसके लिए अच्छे स्कूलों और शिक्षकों की पहुंच गांव से लेकर दूर दराज के इलाकों तक होनी चाहिए।

यदि हर बचे को शिक्षा मिलेगी तो वो कहीं न कहीं गरीबी कम हो सकती हैं। भारत में शिक्षा और जनसंख्या नियंत्रण गरीबी के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा की गई कार्रवाई भारत में गरीबी की स्थिति को काफी हद तक खत्म करने में मदद कर सकती है। 

  • उपलब्ध नौकरियों की विविधता बढ़ानी चाहिए।
  • जिन लोगों में साक्षरता की कमी है, उन्हें उन्नत शिक्षा मिलनी चाहिए।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अपनी जिम्मेदारियों को पर्याप्त रूप से पूरा करने की आवश्यकता है।
  • वंचितों को मुफ्त भोजन और पानी मिलना चाहिए।
  • जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना आवश्यक है और जन्म नियंत्रण प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू करना भी महत्वपूर्ण है।
  • किसानों को उचित कृषि संसाधनों तक पहुँच होनी चाहिए। वे इस तकनीक से अपने लाभ में भी सुधार कर सकते हैं। परिणामस्वरूप वे भोजन की तलाश में महानगरों की ओर पलायन नहीं करेंगे।

अत्यधिक गरीब, बहुत गरीब और गरीब। गरीबी के क्या कारण हैं? रोज़गार के अवसरों की कमी कम मज़दूरी असमानता शिक्षा की कमी स्वास्थ्य समस्याएं प्राकृतिक आपदाएं संघर्ष और युद्ध

औद्योगीकरण की दृष्टि से भारत एक पिछड़ा राज्य है। 

देश में 269.8 मिलियन या कुल जनसंख्या का 21.9% लोग गरीब थे ।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको Essay on Poverty in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य निबंध से संबंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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भारत में गरीबी पर निबंध 10 lines (Poverty In India Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

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Poverty In India Essay in Hindi – गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिसमें लोगों के पास भोजन और आश्रय जैसी बुनियादी आवश्यकताओं या जीवित रहने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता है। Poverty In India Essay लोगों की आय कम होने के कारण वे अपनी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पाते हैं। यहां ‘गरीबी’ विषय पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

गरीबी पर 10 पंक्तियाँ (10 Lines on Poverty in Hindi)

  • 1) दुनिया में गरीबी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
  • 2) यह बहुत कम आय होने की स्थिति है।
  • 3) गरीबी भोजन और आश्रय की कमी है।
  • 4) यह लोगों के जीवन को दुख और दर्द से भर देता है।
  • 5) गरीब लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज सकते।
  • 6) बीमार पड़ने पर वे दवा और अस्पताल का खर्च नहीं उठा सकते।
  • 7) अपर्याप्त पोषण और उपचार के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है।
  • 8) समाज के धनी लोगों द्वारा उनका शोषण किया जाता है।
  • 9) बढ़ती अपराध दर गरीबी का परिणाम है।
  • 10) गरीबी बढ़ने का मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि है।

भारत में गरीबी पर 100 शब्द का निबंध (100 Word Essay On Poverty In India in Hindi)

गरीबी व्यक्ति या परिवार की वह वित्तीय स्थिति है जिसमें वे जीवन में अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ होते हैं। एक गरीब व्यक्ति इतना नहीं कमा पाता कि दो वक्त का भोजन, पानी, आश्रय, कपड़ा, सही शिक्षा और बहुत कुछ जैसी बुनियादी ज़रूरतें खरीद सके। भारत में, अधिक जनसंख्या और अविकसितता गरीबी का मुख्य कारण है। भारत की गरीबी को कुछ प्रभावी कार्यक्रमों से कम किया जा सकता है, जिसमें सरकार को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करके, जनसंख्या नियंत्रण नीतियों को लागू करने, नौकरियां पैदा करने और रियायती दरों पर बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। पूरी दुनिया में गरीबी एक बहुत ही गंभीर समस्या है और गरीबी को दूर करने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं।

भारत में गरीबी पर 200 शब्द का निबंध (200 Word Essay On Poverty In India in Hindi)

गरीबी को उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें किसी व्यक्ति या परिवार के पास बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए धन की कमी होती है। गरीब लोगों के पास अच्छा जीवन यापन करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है; उनके पास आवास, पोषण और स्कूली शिक्षा के लिए धन नहीं है जो जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण हैं। तो, गरीबी को पूरी तरह से पैसे की कमी, या रोजमर्रा के मानव जीवन में अतिरिक्त व्यापक बाधाओं के रूप में समझा जा सकता है।

महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि गरीबी हिंसा का सबसे खराब रूप है। भारत के विकास में गरीबी सबसे बड़ी बाधा साबित हुई है। 1970 के बाद से, भारत सरकार ने अपनी 5-वर्षीय योजनाओं में गरीबी उन्मूलन को प्राथमिकता दी है। वेतन रोजगार बढ़ाने और सरल सामाजिक सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के माध्यम से खाद्य सुरक्षा, आवास और रोजगार सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनाई जाती हैं। भारतीय अधिकारियों और गैर-सरकारी निगमों ने गरीबी दूर करने के लिए कई नए कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे ऋण तक आसान पहुंच, कृषि तकनीकों और मूल्य समर्थन में वृद्धि, और लोगों को व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि वे नौकरियां प्राप्त कर सकें। इन उपायों से अकाल को खत्म करने, पूर्ण गरीबी सीमा को कम करने और निरक्षरता और कुपोषण को कम करने में मदद मिली है।

ग्रामीण-से-शहर प्रवास के कारण पिछले वर्षों में ग्रामीण गरीबी की घटना में गिरावट आई है। गरीबी की समस्या के समाधान के लिए जनसंख्या वृद्धि पर गंभीर अंकुश लगाना आवश्यक है।

भारत में गरीबी पर 300 शब्द का निबंध (300 Word Essay On Poverty In India in Hindi)

गरीबी प्राचीन काल से ही एक सामाजिक समस्या रही है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां कोई व्यक्ति भोजन, कपड़े और आश्रय जैसी बुनियादी ज़रूरतें खरीदने में असमर्थ होता है। इसके अलावा, ये व्यक्ति दिन में केवल एक बार भोजन करके ही अपना गुजारा करते हैं क्योंकि वे इससे अधिक वहन नहीं कर सकते। वे भीख मांगने में संलग्न हो सकते हैं क्योंकि वे किसी अन्य तरीके से पैसा नहीं कमा सकते हैं। कभी-कभी, ये व्यक्ति अपनी भूख को संतुष्ट करने के लिए किसी होटल या रेस्तरां के पास कूड़ेदान से सड़ा हुआ भोजन निकाल सकते हैं। वे साफ़ रातों में फुटपाथ या पार्क की बेंचों पर सो सकते हैं। बरसात के दिनों में, वे पुलों या किसी अन्य इनडोर आश्रयों के नीचे सो सकते हैं।

गरीबी कैसे उत्पन्न होती है?

बहुत सारे सामाजिक-आर्थिक चर हैं जो गरीबी को प्रभावित करते हैं। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है धन का असमान वितरण। यह भ्रष्टाचार और देश की लगातार बढ़ती आबादी के कारण बढ़ा है। गरीबी का कारण बनने वाला अगला प्रभावशाली कारक अशिक्षा और बेरोजगारी है। ये दोनों कारक साथ-साथ चलते हैं, क्योंकि उचित शिक्षा के बिना बेरोजगारी का आना निश्चित है। गरीबी रेखा के नीचे के अधिकांश लोगों के पास उद्योगों के लिए आवश्यक कोई विपणन योग्य या रोजगार योग्य कौशल नहीं है। यदि इन व्यक्तियों को नौकरी मिल भी जाती है, तो इनमें से अधिकांश को बेहद कम वेतन मिलता है, जो स्वयं का समर्थन करने या परिवार का नेतृत्व करने के लिए अपर्याप्त है।

गरीबी के प्रभाव

जब व्यक्ति जीवन के लिए बुनियादी ज़रूरतें वहन करने में असमर्थ होते हैं, तो अन्य अवांछित परिणाम सामने आते हैं। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य देखभाल का खर्च वहन करना असंभव हो जाता है। इसका मतलब है कि व्यक्ति को बीमारियों और संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। कभी-कभी, ये व्यक्ति धन प्राप्त करने के लिए अनुचित तरीकों का भी सहारा लेते हैं – जैसे डकैती, हत्या, हमला और बलात्कार।

गरीबी ख़त्म करने के उपाय

गरीबी कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसे एक हफ्ते या एक साल में हल किया जा सके। गरीबी रेखा से नीचे आने वाली आबादी की जरूरतों को पूरा करने वाली प्रासंगिक नीतियों को लागू करने के लिए सरकार को सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता है। गरीबी को प्रभावित करने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण कारक अशिक्षा और बेरोजगारी है।

इस मुद्दे को एक ही तीर से निपटाया जा सकता है – यानी, शिक्षा और वित्तीय सहायता प्रदान करना। शिक्षा तक पहुंच, विशेष रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के साधन उपलब्ध कराने से व्यक्तियों की रोजगार क्षमता बढ़ती है। इससे सीधे तौर पर गरीबी कम करने में मदद मिलती है क्योंकि व्यक्ति कमाई शुरू कर सकता है। इसलिए, गरीबी से निपटने के लिए सबसे प्रभावी उपकरणों में से एक शिक्षा है।

निष्कर्षतः , भारत में गरीबी अगले एक दशक तक बनी रह सकती है। हालाँकि, ऐसी रणनीतियाँ हैं जो समस्या को धीरे-धीरे कम करने में मदद करती हैं।

भारत में गरीबी पर 500 शब्द का निबंध (500 Word Essay On Poverty In India in Hindi)

गरीबी उस स्थिति को संदर्भित करती है जिसमें व्यक्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रह जाता है। इसके अलावा, व्यक्ति के पास भोजन, आश्रय और कपड़ों की अपर्याप्त आपूर्ति नहीं होती है। भारत में, गरीबी से पीड़ित अधिकांश लोग एक दिन के भोजन के लिए भुगतान नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, वे सड़क के किनारे सोते हैं; गंदे पुराने कपड़े पहनें. इसके अलावा, उन्हें न तो उचित स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक भोजन मिलता है, न दवा और न ही कोई अन्य आवश्यक वस्तु।

गरीबी के कारण

शहरी जनसंख्या में वृद्धि के कारण भारत में गरीबी की दर बढ़ रही है। ग्रामीण लोग बेहतर रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश लोग कम वेतन वाली नौकरी या ऐसी गतिविधि ढूंढते हैं जो केवल उनके भोजन के लिए भुगतान करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लगभग करोड़ों शहरी लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और बहुत से लोग गरीबी की सीमा रेखा पर हैं।

इसके अलावा, बड़ी संख्या में लोग निचले इलाकों या झुग्गियों में रहते हैं। ये लोग अधिकतर अशिक्षित होते हैं और प्रयासों के बावजूद भी इनकी स्थिति वैसी ही रहती है और कोई संतोषजनक परिणाम नहीं मिलता।

इसके अलावा, ऐसे कई कारण हैं जिनके बारे में हम कह सकते हैं कि ये भारत में गरीबी का प्रमुख कारण हैं। इन कारणों में भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, खराब कृषि, अमीर और गरीब का बड़ा अंतर, पुराने रीति-रिवाज, अशिक्षा, बेरोजगारी और कुछ अन्य शामिल हैं। लोगों का एक बड़ा वर्ग कृषि गतिविधि में लगा हुआ है लेकिन इस गतिविधि में कर्मचारियों द्वारा किए गए काम की तुलना में बहुत कम भुगतान मिलता है।

साथ ही, अधिक जनसंख्या को अधिक भोजन, मकान और धन की आवश्यकता होती है और इन सुविधाओं के अभाव में गरीबी बहुत तेजी से बढ़ती है। इसके अलावा, अतिरिक्त गरीब और अतिरिक्त अमीर होने से अमीर और गरीब के बीच की खाई भी बढ़ती है।

इसके अलावा, अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब होते जा रहे हैं जिससे एक आर्थिक अंतर पैदा हो गया है जिसे भरना मुश्किल है।

यह रहने वाले लोगों को कई तरह से प्रभावित करता है। इसके अलावा, इसके विभिन्न प्रभाव हैं जिनमें अशिक्षा, कम पोषण और आहार, खराब आवास, बाल श्रम, बेरोजगारी, खराब स्वच्छता और जीवन शैली, और गरीबी का नारीकरण आदि शामिल हैं। इसके अलावा, ये गरीब लोग स्वस्थ और संतुलित आहार, अच्छे कपड़े, उचित शिक्षा, एक स्थिर और स्वच्छ घर आदि का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इन सभी सुविधाओं के लिए पैसे की आवश्यकता होती है और उनके पास दिन में दो बार भोजन करने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं, फिर वे इन सुविधाओं के लिए भुगतान कैसे कर सकते हैं।

गरीबी की समस्या के समाधान के लिए हमें शीघ्र एवं सही ढंग से कार्य करना आवश्यक है। इन समस्याओं के समाधान के कुछ उपाय किसानों को उचित सुविधाएँ प्रदान करना है। ताकि, वे खेती को लाभकारी बना सकें और रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन न करें।

साथ ही अशिक्षित लोगों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे बेहतर जीवन जी सकें। बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए परिवार नियोजन अपनाना चाहिए। साथ ही भ्रष्टाचार को खत्म करने के उपाय भी करने चाहिए, ताकि हम अमीरी-गरीबी की खाई से निपट सकें।

निष्कर्षतः गरीबी किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि पूरे देश की समस्या है। साथ ही प्रभावी उपाय लागू कर तत्काल आधार पर इससे निपटा जाना चाहिए। इसके अलावा, लोगों, समाज, देश और अर्थव्यवस्था के सतत और समावेशी विकास के लिए गरीबी उन्मूलन आवश्यक हो गया है।

भारत में गरीबी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. गरीबी क्या है.

उत्तर: गरीबी एक ऐसी स्थिति है जहां किसी व्यक्ति के पास भोजन, पानी, कपड़े और आश्रय जैसी जीवन की बुनियादी ज़रूरतें खरीदने के साधनों का अभाव होता है।

प्रश्न 2. गरीबी के कुछ प्रतिकूल प्रभाव क्या हैं?

उत्तर: गरीबी जीवन की दयनीय गुणवत्ता की ओर ले जाती है। यह डकैती, हत्या, हमला और बलात्कार जैसी असामाजिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे सकता है।

प्रश्न 3. गरीबी से कैसे मुकाबला करें?

उत्तर: यदि हम मुफ्त शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने और बेरोजगारी को कम करने में सक्षम हैं, तो गरीबी की दर कम हो जाएगी। इसके अलावा, स्वास्थ्य देखभाल और आश्रय जैसी बुनियादी आवश्यकताओं तक मुफ्त पहुंच प्रदान करने से भी गरीबी कम करने में मदद मिलेगी।

प्रश्न 4. गरीबी रेखा क्या है?

उत्तर: गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) एक बेंचमार्क है जो आर्थिक नुकसान का संकेत देता है। इसके अलावा, इसका उपयोग उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है जिन्हें सरकार से सहायता और सहायता की आवश्यकता होती है।

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गरीबी पर निबंध इन हिंदी | Essay on Poverty in Hindi

नमस्कार आज का निबंध, गरीबी पर निबंध इन हिंदी Essay on Poverty in Hindi पर दिया गया हैं. सरल भाषा में पोवर्टी पर निबंध दिया गया हैं.

निर्धनता क्या है इसके कारण प्रभाव अभिशाप समस्या समाधान पर स्टूडेंट्स के लिए आसान भाषा में गरीबी का निबंध यहाँ दिया गया हैं.

गरीबी पर निबंध Essay on Poverty in Hindi

गरीबी पर निबंध Essay on Poverty in Hindi

गरीबी अर्थात निर्धनता वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति को अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहता है. गरीबी किसी भी देश के लिए अभिशाप से कम नहीं है.

वैसे तो विश्व के अधिकतर देशों में कुल जनसंख्या का कम या अधिक भाग निर्धनता की स्थिति में जीने को विवध है. किन्तु एशिया एवं अफ्रीका के देशों में निर्धनता बहुत पाई जाती है.

निर्धनता गरीबी की परिभाषा सभी देशों के लिए एक सी नहीं हो सकती, क्योंकि निर्धनता का आधार जीवन स्तर को माना जाता है और विकसित देशों में सधार्ट व्यक्ति कही ऊँचे जीवन स्तर पर जी रहा है.

विकसित देशों में जिसके पास अपनी गाड़ी न हो, उसे निर्धन माना जाता है, जबकि विकासशील देशों में निर्धनता की माप का यह पैमाना उपयुक्त नहीं कहा जा सकता.

वैसे तो भारत में अनेक अर्थशास्त्रियों एवं संस्थाओं ने निर्धनता के निर्धारण हेतु अपने अपने प्रमाप बनाए है, किन्तु इस समय देश में निर्धनता रेखा का निर्धारण भोजन में कैलोरी के आधार पर किया गया हैं.

भारत में गरीबी पर निबंध, कारण, प्रभाव, तथ्य Essay on Poverty in India Hindi with Causes, Effects and Facts

भोजन में कैलोरी की मात्रा को आधार बनाकर निर्धनता रेखा का निर्धारण करने के इस तरीके को दांडेकर रथ फार्मूला कहा जाता हैं. भारत में इसका प्रयोग 1971 से हो रहा है.

इसके अनुसार शहरी क्षेत्रों में भोजन प्रतिदिन 2100 कैलोरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी न पाने वालों को निर्धनता रेखा से नीचे माना जाता है.

योजना आयोग राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन सर्वेक्षणों के आधार पर ही निर्धारित रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की संख्या का आंकलन करता है.

पिछले कुछ वर्षों से निर्धनता रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों की पहचान का यह तरीका विवादापस्द बना हुआ हैं, इसलिए नए फ़ॉर्मूले से इसके निर्धारण हेतु अपने फोर्मूलें में प्रति व्यक्ति उपयोग व्यय के आधार बनाते हुए इसे अधिक व्यवहारिक बताया.

इसके अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में 356 प्रतिमाह से कम एवं शहरी क्षेत्रों में 538 प्रतिमाह से कम उपयोग व्यय करने वाले व्यक्ति को निर्धनता रेखा से नीचे माना जाता है.

इस फ़ॉर्मूले का प्रयोग कर दिसम्बर 2009 में इस समिति ने योजना आयोग को अपनी रिपोर्ट सौपी, जिसमें 2004-05 के दौरान 37 प्रतिशत जनसंख्या को निर्धनता रेखा से नीचे बताया गया.

जबकि पहले वाले फोर्मूलें की सहायता से किये गये आंकलन में 27 प्रतिशत जनसंख्या को ही निर्धनता रेखा से नीचे बताया गया था.

तेंदुलकर समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों में 2004-05 में 41.8 प्रतिशत लोगों को निर्धनता रेखा से नीचे बताया, जबकि पहले वाले फोर्मुले से यह 28.3 प्रतिशत आकलित था.

भारत में गरीबी की स्थिति

भारत में सर्वाधिक निर्धनता उड़ीसा में है, जहाँ 46.4 प्रतिशत लोग निर्धनता रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे है. इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, छतीसगढ़, झारखंड देश के ऐसे राज्य है जहाँ पर अत्यधिक गरीबी है. दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, केरल आदि प्रान्तों में निर्धनता की स्थिति अपेक्षाकृत कम है.

हमारे देश में निर्धनता के कई कारण है, जनसंख्या में तेजी से हो रही वृद्धि इसका एक सबसे बड़ा कारण है. बढ़ती जनसंख्या के जीवन निर्वहन हेतु अधिक रोजगार स्रजन की आवश्यकता होती है.

ऐसा न होने पर बेरोजगारी में वृद्धि के फलस्वरूप निर्धनता की स्थिति में भी वृद्धि होती हैं. भारत में व्यवहारिक के बजाय सैद्धांतिक शिक्षा पर जोर दिया जाता है. फलस्वरूप व्यक्ति के पास उच्च शिक्षा की उपाधि तो होती हैं.

लेकिन न तो वह किसी भी काम में कुशल है और न ही वह व्यक्तिगत व्यवसाय शुरू करने में रूचि रखता है। इस तरह, दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली के कारण, लोग अपनी आजीविका कमाने और गरीबी में रहने में असमर्थ हैं। इससे पहले, अधिकांश ग्रामीण कॉटेज अपनी आजीविका चलाने के लिए इस्तेमाल करते थे।

ब्रिटिश सरकार की घरेलू-घरेलू नीतियों के कारण, वे देश में गिर गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण बेरोजगारी में वृद्धि के कारण गांवों की अर्थव्यवस्था का क्षरण हुआ और देश में गरीबी में वृद्धि हुई।

हमारा देश प्राकृतिक संसाधनों के साथ संपन्न है, लेकिन कृषि की पिछड़ेपन के कारण, औद्योगीकरण की धीमी प्रक्रिया के कारण लोग वर्षों से रोजगार नहीं पा रहे हैं, तेजी से बढ़ती आबादी के लिए रोजगार प्रदान करना संभव नहीं है, और अधिकांश लोग गरीबी की स्थिति में रहने के लिए लगातार।

गरीबी के कई प्रतिकूल प्रभाव हैं। गरीबी के कारण, भुखमरी की समस्या उत्पन्न होती है। गरीबी के कारण, मानसिक अशांति के लोग चोरी, चोरी, हिंसा और अपराध के प्रति अपराध के लिए पूरी तरह जिम्मेदार रहते हैं।

अपराध और हिंसा में वृद्धि का सबसे बड़ा कारण गरीबी और बेरोजगारी है। कई बार, गरीबी की भयानक स्थिति में परेशान होने के बावजूद, लोग आत्महत्या करते हैं।

गाँवों के निर्धन लोगों का लाभ उठाकर एक ओर जहाँ स्वार्थी राजनेता इनका दुरूपयोग करते हैं वही दूसरी ओर धनिक वर्ग इनका शोषण करने से भी नही चूकते. ऐसी स्थिति में देश का राजनीतिक एवं सामाजिक वातावरण अत्यंत दूषित हो जाता हैं.

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Hindi Essay

भारत में गरीबी पर निबंध | Essay On Poverty In India In Hindi 500 Words | PDF

Essay on poverty in india in hindi.

Essay On Poverty In India In Hindi (Download PDF) भारत में गरीबी पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए – इस निबंध के माध्यम से हम जानेंगे भारत में गरीबी के क्या कारण है और इसके सुधार के उपाय।

भारत में गरीबी व्यापक है, इस अनुमान के साथ कि दुनिया का एक तिहाई गरीब है। भारत में गरीबी को मापने के लिए कोई विशेष उपकरण नहीं है। भारत के योजना आयोग ने तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कहा है कि भारत में 37% लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। अर्जुन सेनगुप्ता की रिपोर्ट में कहा गया है कि 77% भारतीयों की दैनिक आय 20 रुपये है। नेक सक्सेना कमेटी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 50% भारतीय गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन जीते हैं।

Essay on poverty in India in Hindi

भारत में गरीबी के कारण

गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा है, पिछले 60 वर्षों के बेहतर हिस्से के लिए आर्थिक विकास दर की तुलना में जनसंख्या वृद्धि दर, 1947 से 1991 तक संरक्षणवादी नीतियां बनाई गईं, जिससे हमारे देश में भारी मात्रा में विदेशी निवेश आया।

भारत में, यह अनुमान है कि लगभग 350 से 400 मिलियन गरीबी रेखा से नीचे हैं, जिनमें से 75% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। विशेष रूप से प्रभावित महिलाओं, आदिवासियों और अनुसूचित जातियों के साथ 40% से अधिक आबादी निरक्षर है।

भारत में, कृषि पर निर्भरता भी गरीबी का एक कारण है। कृषि में श्रम का अधिशेष है। किसान बड़े वोट बैंक हैं और अपने वोट बैंकों और उपयोगकर्ताओं का उपयोग उच्च आय औद्योगिक परियोजना के लिए भूमि के पुन: आवंटन का विरोध करने के लिए करते हैं। जबकि सेवाओं और उद्योग दोहरे अंकों के आंकड़ों में विकसित हुए हैं, कृषि विकास 4.8% से 2% तक गिर गया है। लगभग 60% आबादी कृषि पर निर्भर है जबकि कृषि सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 18% योगदान देती है।

ये भी देखें – Essay on nature in Hindi

1990 के दशक की शुरुआत में आर्थिक सुधारों के अन्य बिंदु शासक अर्थशास्त्र के पतन के लिए जिम्मेदार हैं। समानता का स्तर असाधारण स्तर तक बढ़ गया है, जब एक ही समय में, भारत में भूख दशकों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।

गरीबी में सुधार

भारत सरकार ने गरीबी को कम करने के लिए कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जिसमें भोजन और अन्य आवश्यकताओं को सब्सिडी देना, ऋण तक पहुंच बढ़ाना, कृषि तकनीकों और मूल्य रिपोर्टों में सुधार और स्वतंत्रता के बाद से शिक्षा और परिवार नियोजन को बढ़ावा देना शामिल है। ।

इन उपायों ने अकालों को खत्म करने, गरीबी के स्तर को आधे से अधिक घटाने और अशिक्षा और कुपोषण को कुछ हद तक कम करने में मदद की है।

यद्यपि पिछले दो दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन विभिन्न सामाजिक समूहों, आर्थिक समूहों, भौगोलिक क्षेत्रों और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की तुलना में इसकी वृद्धि असमान रही है।

ये भी देखें – Essay on patriotism in Hindi

सभी कारणों के बावजूद, भारत वर्तमान में हर साल 40 मिलियन लोगों को अपने मध्यम वर्ग में जोड़ता है। पूर्वानुमान के संस्थापक, मार्विन जे। केट्रॉन जैसे विश्लेषक लिखते हैं कि अनुमानित 300 मिलियन भारतीय अब मध्यम श्रेणी के हैं। उनमें से 1/3 महान प्रयासों के साथ पिछले 10 वर्षों में गरीबी से उभरे हैं। विकास दर की वर्तमान दर पर, 2025 तक अधिकांश भारतीय मध्यम वर्ग होंगे।

यह कहना गलत है कि गरीबी उन्मूलन के सभी कार्यक्रम विफल रहे हैं। मध्यम वर्ग के विकास से पता चलता है कि भारत में आर्थिक समृद्धि वास्तव में बहुत प्रभावशाली रही है, लेकिन धन का कोई वितरण नहीं है।

हम सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा सकते हैं, फिर भी हमारे देश में गरीबी उन्मूलन के लिए प्रचलित भ्रष्टाचार और उच्च स्तर की नौकरशाही की जांच होनी चाहिए।

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FAQs. on Poverty in India in Hindi

भारत में गरीबी के कारण क्या हैं.

उत्त र: भारत में गरीबी के कई कारण हैं, गरीबी का मुख्य कारण अशिक्षा है, आर्थिक विकास की तुलना में जनसंख्या वृद्धि दर और हमें इसका ध्यान रखना चाहिए।

भारत से गरीबी को कैसे खत्म किया जा सकता है?

उत्तर: गरीबी को खत्म करने के लिए, भारत सरकार ने कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जिसमें भोजन और अन्य आवश्यकताओं की सब्सिडी, ऋण तक पहुंच बढ़ाना, कृषि तकनीकों और मूल्य रिपोर्टों में सुधार, और स्वतंत्रता के बाद से शिक्षा और परिवार नियोजन को बढ़ावा देना शामिल है।

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Poverty Essay in Hindi

गरीबी पर निबंध – Poverty Essay in Hindi

गरीबी पर बड़े तथा छोटे निबंध (essay on poverty in hindi), गरीबी : कारण और निवारण – poverty: causes and prevention.

  • प्रस्तावना,
  • गरीबी की रेखा,
  • गरीबी के कारण,
  • गरीबी का परिणाम : क्रान्ति और अपराध,
  • गरीबी को रोकने के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना–

“श्वानों को मिलता दूध–वस्त्र, भूखे बालक अकुलाते हैं, माँ की हड्डी से चिपक, ठिठुर जाड़ों की रात बिताते हैं। युवती के लज्जा–वसन बेच जब ब्याज चुकाये जाते हैं। मालिक जब तेल–फुलेलों पर पानी–सा द्रव्य बहाते हैं। पापी महलों का अहंकार देता मुझको तब आमन्त्रण।”

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की उपर्युक्त पंक्तियाँ गरीबी की पराकाष्ठा को व्याख्यायित करती हैं। आर्थिक असमानता न केवल गरीबी का अभिशप्त जीवन बिताने को विवश करती है, क्रान्ति और अपराध को जन्म देती है। गरीबी एक ऐसी विषम मानवीय परिस्थिति है, जो मानव को निराशा, दुःख और दर्द के अँधेरे में जीवन बिताने को विवश करती है।

एक ऐसा अभिशप्त जीवन जिसमें लोग जीवन की आधारभूत आवश्यकताओं–रोटी, कपड़ा और मकान के लिए तरसते हैं। स्वस्थ पोषण, दवा और रोजगार तो उनके लिए सपना है। गरीबी एक ऐसी अदृश्य समस्या है, जो एक व्यक्ति और उसके सामाजिक जीवन को छिन्न–भिन्न कर देती है। यह समस्या भारत के लिए अभिशाप बन चुकी है।

गरीबी की रेखा– भारत में शहरों में रहनेवाले जनजातीय लोग, दलित और मजदूर–वर्ग और खेतिहर मजदूर गरीबी की श्रेणी में आते हैं। वर्तमान में 29.8 प्रतिशत भारतीय आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है।

गरीबी की श्रेणी में वह लोग आते हैं, जिनकी दैनिक आय शहर में 28.65 रुपये और गाँवों में 22.24 रुपये से कम है। सांख्यिके आँकड़ों के अनुसार 30 रुपये प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। इस प्रकार के आँकड़ों द्वारा गरीबी कम की जा रही है, जो दुश्चिन्ता का विषय है।

गरीबी के कारण भारत में गरीबी का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या है। इससे निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य और वित्तीय संसाधनों की कमी की दर बढ़ती है। भारत में जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, उस गति से अर्थव्यवस्था नहीं बढ़ रही है। इसका परिणाम नौकरियों में कमी के रूप में सामने होगा। इतनी आबादी के लिए लगभग 20 मिलियन नई नौकरियाँ चाहिए।

यदि ऐसा नहीं होता तो गरीबी के साथ अपराध और विद्रोह भी बढ़ेगा। आय के संसाधन का असमान वितरण भी गरीबी को बढ़ाता है। सरकारी संस्थानों में एक व्यक्ति कम समय–श्रम लगाकर अधिक धन अर्जित करता है, वही कार्य व्यक्तिगत संस्थानों में अधिक समय–श्रम लगाकर भी व्यक्ति अत्यन्त अल्प धन पाता है। यह असमानता भी गरीबी के साथ–साथ अपराध और कुण्ठा को जन्म देती है।

भारत में गरीबी का कारण जाति व्यवस्था भी है। मध्य प्रदेश के चम्बल और विन्ध्य क्षेत्र ऐसे हैं, जहाँ सामाजिक भेदभाव अपने चरम पर है। यहाँ ऊँची और निम्न जातियों के प्रति भिन्न व्यवहार किया जाता है। उन्हें समानता के अधिकार से वंचित किया जाता है, जिसके कारण वह गरीबी की दलदल से कभी बाहर नहीं निकल पाते। कृषि–व्यवस्था में असमानता भी गरीबी को बढ़ावा देती है।

भूमि पर बड़े एवं समृद्ध किसानों का अधिकार होने से भूमि की संख्या बढ़ती जा रही है। खेतिहर मजदूरों के परिवार, काफी संख्या में छोटे व सीमान्त किसान, गैर–कृषि क्षेत्रों में काम करनेवाले श्रमिक अत्यन्त गरीबी में जीवनयापन करते हैं। भ्रष्टाचार भी गरीबी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। पिछले 20–25 वर्षों में देश में हुए भ्रष्टाचार और करोड़ों रुपयों के घोटालों ने गरीबों को और गरीब बना दिया है।

बढ़ते पूँजीवाद के कारण नव उदारवादी नीतियों तथा खुदरा क्षेत्रों में विदेशी निवेश की नीतियाँ गरीबों के लिए अहितकर सिद्ध हुई हैं। नेताओं व अधिकारियों के बढ़ते वेतन और सुविधाएँ तथा उनके द्वारा एकत्र अरबों–खरबों की सम्पत्ति अमीर और गरीब के बीच की खाई को प्रतिदिन गहरा करती जा रही है।

गरीबी का परिणाम : क्रान्ति और अपराध–गरीबी के अभिशाप से ग्रस्त भारत के करोड़ों लोग आज विभिन्न प्रकार के संकटों और शोषण से जूझ रहे हैं। व्यवस्था का कहर भी अधिकतर गरीबों पर ही मुसीबत बनकर टूटती है। पुलिस की प्रताड़ना भी सबसे अधिक गरीबों को सहनी पड़ती है, जिसके कारण गरीब अपराध की ओर अग्रसर होते हैं। आज समाज में अपराधों की बाढ़–सी आ गई है। इसका कारण आर्थिक असमानता ही है।

विकास के साथ–साथ बेरोजगारी और गरीबी की वास्तविकता आज भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रश्न चिह्न लगाती अनुभव होती है। गरीबी के कारण हिंसा और शोषण जैसी घटनाओं में वृद्धि हुई है। राजनीति स्वार्थ के लिए साम्प्रदायिक दंगों की आग भड़काई जाती है, जिसका शिकार गरीब ही बनते हैं, बस्तियाँ भी गरीबों की जलती हैं, फुटपाथ पर रहनेवाले लोग मारे जाते हैं।

कहीं कोई संवेदना नहीं जागती। यह उपेक्षा का भाव गरीबों को कहीं–न–कहीं आहत करता है और परिणाम अपराध के रूप में सामने आता है। गरीबी के कारण देश का नौनिहाल जब कुपोषण और भुखमरी का शिकार होगा, युवा आर्थिक असमानता के कारण कुंठित होगा, किसान आत्महत्या की दिशा में अग्रसर होगा, तो नए भारत का सपना साकार नहीं होगा। देश का युवा नक्सलवाद, आतंकवाद की ओर बढ़ेगा, सड़कों पर आन्दोलन करेगा और उसका सारा जोश पेट भरने के जुगाड़ में बह जाएगा।

गरीबी को रोकने के उपाय–देश में बढ़ती गरीबी को देखते हुए हम सबको मिलकर प्रयास करना होगा और देश को गरीबी के अभिशाप से मुक्त कराना होगा। इसमें सरकार की सहभागिता भी अनिवार्य है।

निम्नलिखित उपायों द्वारा गरीबी के अभिशाप को रोका जा सकता है-

  • गरीबों के लिए पर्याप्त भूमि, जल, शिक्षा, स्वास्थ्य, ईंधन और परिवहन की सुविधा का विस्तार किया जाना चाहिए।
  • स्वरोजगार व मजदूरी रोजगार कार्यक्रमों में समन्वय किया जाए।
  • ऐसे परिवार जिनके पास न कोई कौशल है, न कोई परिसम्पत्ति है और न कोई काम करनेवाला वयस्क है,
  • ऐसे परिवारों के लिए सामाजिक योजनाएँ बनाई जाएँ तथा उन्हें सुरक्षा दी जाए।
  • गाँवों में बड़े किसानों और सामन्तों द्वारा गरीबों के शोषण को रोका जाए।
  • गरीबी निवारण कार्यक्रमों का अधिकतर लाभ अमीरों के बदले गरीबों को ही मिले।
  • ल गरीबों के दो वर्ग बनाए जाएँ। एक वर्ग में वे गरीब हों, जिनके पास कोई कौशल है और वे स्वरोजगार कर सकते हैं।
  • दूसरे वर्ग में वे गरीब हों, जिनके पास कोई कौशल नहीं है और वे मजदूरी पर आश्रित हैं,
  • उनकी उन्नति के लिए नीतियों का अलग–अलग निर्धारण किया जाए।
  • लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए।
  • गरीबी निवारण कार्यक्रमों की प्रतिवर्ष समीक्षा व मूल्यांकन किया जाए तथा साधनों के निजी स्वामित्व,
  • आय व साधनों के असमान वितरण व प्रयोगों पर नियन्त्रण किया जाए।

सरकार द्वारा गरीबी–निवारण हेतु अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं तथा अरबों रुपये इनके क्रियान्वयन में लग रहे हैं, तब भी इनका पूरा लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता योजना, शिक्षा सहयोग योजना, अन्त्योदय अन्न योजना, बालिका संरक्षण योजना, सामूहिक जीवन बीमा योजना, प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना, विजन 2020 फॉर इण्डिया आदि अनेक सैकड़ों योजनाएँ सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं। आवश्यकता है कि सबका लाभ गरीबों को ही मिले तो गरीबी के अभिशाप से निकला जा सकता है।

उपसंहार– वर्तमान सन्दर्भो में गरीबी को ठीक प्रकार से आँकना भी एक चुनौती ही है। आज प्रत्येक मुद्दे को तकनीक के आधार पर समझा जा रहा है।

औद्योगिकीकरण आज का प्रथम लक्ष्य बन चुका है, किसी गरीब के पास आँखें हों न हों, पर घर में रंगीन टी०वी० जरूर उपलब्ध हो। प्रत्येक वर्ष नए आँकड़े और सूचीबद्ध लक्ष्य रखे जाते हैं, व्यवस्था में प्रत्येक वस्तु को, प्रत्येक अवस्था को आँकड़ों में मापा जाता है, प्रत्येक आवश्यकता को प्रतिशत में पूरा किया जाता है और इसी आधार पर गरीबी को भी मापने का प्रयास किया जाता है।

ऐसा नहीं है कि गरीबी को मिटाया नहीं जा सकता लेकिन स्वार्थपरता इस अभियान में व्यवधान डालती है। व्यवस्था इस बात को सदैव अहम मानकर मुद्दा बनाती आई है। यही सोच गरीबी को अभिशाप बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है, लेकिन इस सोच को रखनेवाले यह नहीं जानते कि कहीं–न–कहीं वे भी इस समस्या से प्रभावित होते हैं।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के अनुसार– “लोगों को इतना गरीब नहीं होने देना चाहिए कि उनसे घिन आने लगे, या वे समाज को नुकसान पहुँचाने लगे। इस नजरिए में गरीबों के कष्ट और दुःखों का नहीं, बल्कि समाज की असुविधाओं और लागतों का महत्त्व अधिक प्रतीत होता है।

गरीबी की समस्या उसी सीमा तक चिन्तनीय है, जहाँ तक उसके कारण, जो गरीब नहीं हो, उन्हें भी समस्याएँ भुगतनी पड़ती है।” यह कथन गरीबी के अभिशाप के कारण क्रान्ति और अपराध की वृद्धि की ओर संकेत करता है, जिसे समय रहते हमें रोकना होगा, जिससे स्वस्थ समाज की स्थापना हो सके।

Hindi Jaankaari

Essay on Poverty in Hindi – गरीबी पर निबंध

Poverty essay in Hindi

गरीबी से आशय ऐसी स्थिति से है जिसमें व्यक्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रह जाता है। इसके अलावा, व्यक्ति के पास भोजन, आश्रय और कपड़े की अपर्याप्त आपूर्ति नहीं होती है। भारत में, अधिकांश लोग जो गरीबी से पीड़ित हैं, वे एक दिन में एक भोजन का भुगतान नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, वे सड़क के किनारे सोते हैं; गंदे पुराने कपड़े पहनना। इसके अलावा, उन्हें उचित स्वस्थ और पौष्टिक भोजन नहीं मिलता है, न तो दवा और न ही कोई अन्य आवश्यक चीज।

Poverty essay in India – Poverty essay in Hindi

गरीबी एक अजीबोगरीब समस्या है जिससे दुनिया के विभिन्न देश, विशेषकर तीसरी दुनिया पीड़ित हैं। गरीबी की एक आम परिभाषा नहीं हो सकती है जिसे मोटे तौर पर हर जगह स्वीकार किया जा सकता है। इस प्रकार दुनिया के विभिन्न देशों में स्वीकृत गरीबी की परिभाषाओं के बीच बड़े अंतर हैं।

इन सभी मतभेदों को छोड़ते हुए, मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि गरीबी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें समाज का कोई तबका, जिसकी खुद की कोई गलती नहीं है, जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से भी वंचित है। एक देश में, जहां आबादी का एक हिस्सा लंबे समय से जीवन की न्यूनतम सुविधाओं से भी वंचित है, देश गरीबी के एक दुष्चक्र से पीड़ित है।

गरीबी को तीसरी दुनिया के देशों में सबसे बड़ी चुनौती माना जाता है। गरीबी का संबंध एक निश्चित रेखा के संबंध में तुलना से भी है – जिसे गरीबी रेखा के रूप में जाना जाता है। हालाँकि, गरीबी रेखा को स्थिर रूप से तय किया जाता है और इसलिए, एक निश्चित अवधि के लिए निश्चित रहती है।

गरीबी रेखा:

आमतौर पर गरीबी को गरीबी रेखा से परिभाषित किया जाता है। अब जो सवाल इस बिंदु पर प्रासंगिक है वह है गरीबी रेखा क्या है और इसे कैसे तय किया जाता है? प्रश्न का उत्तर यह है कि गरीबी रेखा वितरण की रेखा पर एक कट-ऑफ बिंदु है, जो आमतौर पर देश की जनसंख्या को गरीब और गैर-गरीब के रूप में विभाजित करती है।

तदनुसार, गरीबी रेखा से नीचे की आय वाले लोगों को गरीब कहा जाता है और गरीबी रेखा से ऊपर की आय वाले लोगों को गैर-गरीब कहा जाता है। तदनुसार, यह उपाय, अर्थात्, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के प्रतिशत को हेड काउंट अनुपात के रूप में जाना जाता है।

इसके अलावा, गरीबी रेखा तय करते समय हमें पर्याप्त ध्यान रखना चाहिए ताकि गरीबी रेखा न तो बहुत अधिक हो और न ही कम हो, बल्कि यह उचित होनी चाहिए। गरीबी रेखा तय करते समय, भोजन की खपत को सबसे महत्वपूर्ण मानदंड माना जाता है लेकिन इसके साथ कुछ गैर-खाद्य पदार्थ जैसे कपड़े, और आश्रय भी शामिल होते हैं।

हालाँकि, भारत में हम अपनी गरीबी रेखा का निर्धारण भोजन और गैर-खाद्य पदार्थों दोनों को खरीदने के लिए निजी उपभोग व्यय के आधार पर करते हैं। इस प्रकार यह देखा गया है कि भारत में, गरीबी रेखा निजी उपभोग व्यय का स्तर है जो आम तौर पर एक खाद्य टोकरी सुनिश्चित करता है जो कैलोरी की आवश्यक मात्रा सुनिश्चित करेगा।

तदनुसार, ग्रामीण और शहरी व्यक्ति के लिए औसत कैलोरी आवश्यकताएं क्रमशः 2,400 और 2,100 कैलोरी निर्धारित की जाती हैं। इस प्रकार, कैलोरी की आवश्यक मात्रा सामान्य रूप से एक वर्ग-अंतराल के साथ मेल खाती है या दो अंतरालों के बीच गिर जाएगी।

प्रतिलोम विवेचन विधि का उपयोग करते हुए, व्यक्ति उपभोग व्यय की मात्रा पा सकता है, जिस पर न्यूनतम कैलोरी की आवश्यकता पूरी होती है। व्यक्ति के लिए न्यूनतम कैलोरी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उपभोग व्यय की इस राशि को गरीबी रेखा कहा जाता है।

भारत में, गरीबी की व्यापक रूप से स्वीकृत परिभाषा जीवन स्तर के बजाय न्यूनतम जीवन स्तर पर अधिक जोर देती है। तदनुसार, यह व्यापक रूप से सहमत है कि गरीबी को एक ऐसी स्थिति के रूप में कहा जा सकता है जहां जनसंख्या का एक वर्ग एक न्यूनतम न्यूनतम खपत मानक तक पहुंचने में विफल रहता है। इस न्यूनतम खपत मानक के निर्धारण के साथ मतभेद उत्पन्न होते हैं।

गहन परीक्षा के बाद, योजना आयोग द्वारा जुलाई 1962 में स्थापित किए गए अध्ययन समूह ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में नंगे न्यूनतम राशि के रूप में प्रति व्यक्ति प्रति माह 20 रुपये (1960-61 की कीमतों) के निजी उपभोग व्यय के मानक की सिफारिश की। ।

प्रारंभिक चरण में, योजना आयोग ने अध्ययन समूह की गरीबी मानदंड को स्वीकार कर लिया। विभिन्न शोधकर्ताओं जैसे बी.एस. मिन्हास और ए। वैद्यनाथन ने भी इसी परिभाषा के आधार पर अपना अध्ययन किया। लेकिन अन्य शोधकर्ता जैसे दांडेकर और रथ, पीके। बर्धन और अहलूवालिया ने अपनी गरीबी की अपनी परिभाषा के आधार पर अपना अध्ययन किया।

बाद में, “न्यूनतम जरूरतों और प्रभावी उपभोग की माँगों के अनुमानों पर कार्य बल” ने गरीबी की एक वैकल्पिक परिभाषा प्रस्तुत की जिसे हाल के वर्षों में योजना आयोग द्वारा अपनाया गया है।

टास्क फोर्स ने गरीबी रेखा को मासिक प्रति व्यक्ति व्यय वर्ग के मध्य-बिंदु के रूप में परिभाषित किया है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 2,400 और देश के शहरी क्षेत्रों में 2,100 लोगों की दैनिक कैलोरी है। तदनुसार, न्यूनतम वांछनीय मानक ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 76 रुपये और शहरी क्षेत्रों के लिए 88-80 रुपये की कीमत पर 1979-80 मूल्य पर काम किया गया था।

प्रो गालब्रेथ ने एक बार तर्क दिया था कि “गरीबी सबसे बड़ा प्रदूषक है”। इस तर्क में कुछ तर्क जरूर है। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था अब गरीबी को अपना महान दुश्मन मानती है। भारत में, गरीबी की समस्या अभी भी काफी तीव्र है। पिछले पैंतालीस वर्षों से, भारतीय राजनेता “ट्रिकल डाउन” के सिद्धांत में विश्वास करते हुए गरीबी हटाने की उम्मीद और वादा निभा रहे हैं।

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गरीबी पर निबंध

गरीबी (Poverty)  पर छोटे व बड़े निबंध [Long & Short essay Writing on Poverty in Hindi]

# 1. गरीबी पर निबंध-Essay on Poverty in Hindi

प्रस्तावना : गरीबी एक ऐसी दर्दनाक स्थिति है जहाँ मनुष्य हर चीज़ के लिए बेबस और लाचार होता है।  वह संसार की तीन ज़रूरी चीज़ो को पाने में असमर्थ है।  वह है खाना , वस्त्र और मकान। पूरा दिन मज़दूरी करने के बाद भी भरपेट  खाना उन्हें नहीं मिलता है। तेज़ धूप और तेज़ बारिश से बचने के लिए उनके पास एक छत नहीं होती है। सर्दी के दिनों में उन्हें तन ढकने   के लिए कपड़े तक नसीब नहीं होते है। गरीबो का परिवार  अपने बच्चो को शिक्षा नहीं दिलवा पाता है।  शिक्षा  की कमी  के कारण उनका  मानसिक  विकास नहीं होता है। उनके सोचने समझने की कोई शक्ति नहीं होती है।  पर्याप्त भोजन ना मिलने के कारण उनका शारीरिक विकास नहीं हो पाता है।

हर रोज बढ़ती हुयी देश की जनसंख्या “गरीबी” बढ़ाने का प्रमुख कारण है।  सरकार के पास इतनी योजनाएं नहीं है कि वह देश के सभी लोगो को मकान , खाना और शिक्षा जैसी चीज़ें प्रदान कर सके ।  जितनी जनसंख्या अधिक होगी , सभी प्रकार की सुविधाओं  और संसाधनों में कमी आएगी। जनसंख्या वृद्धि की वजह से  जो लोग  गरीब या उससे भी निचले स्तर पर जी रहे है , उनके लिए   ज़िन्दगी नरक से कम नहीं होती है ।

देश में बेरोजगारी इतनी बढ़ गयी है कि बहुत लोगो के पास करने के लिए एक नौकरी तक नहीं है।  अगर देश में लोग इतने अधिक होंगे तो जाहिर तौर पर सभी  को नौकरी मिलना मुश्किल है। छोटी  नौकरी भी आजकल विलुप्त हो रहे है। बेरोजगारी गरीबी को अधिक बढ़ा रही है। जब प्राकृतिक आपदाएं आती है तो सबसे अधिक गरीब लोग प्रभावित होते है। गरीबो को बचाने वाला  कोई नहीं होता है।  कुछ लोग है जो गरीबो की  स्थिति में सुधार लाने के लिए उन्हें NGO के माध्यम से मदद करते है।  कुछ जगहों पर गरीब बच्चो के लिए निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।  यह सभी गरीबो को प्राप्त नहीं हो पा  रहा है।  गरीबी की रेखा से नीचे जीने वाले लोगो की हालत और अधिक दयनीय है।

सरकार गरीबी को मिटाने की पूरी कोशिश कर रही है , मगर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।  गरीबी देश की उन्नति में बहुत बड़ी बाधा है। गरीबी को मिटाने में कोई भी लोकप्रिय सरकार सफल नहीं हो पायी है। सरकार ने बच्चो को मुफ्त शिक्षा , गैस की सुविधा इत्यादि कार्य करने का प्रयास किया है।  लेकिन अभी भी हज़ारो चीज़ें करनी बाकी है।

गरीब  बच्चे अक्सर संपन्न घरो के बच्चो को विद्यालय जाते हुए देखते है। उन्हें खेल कूद  करते हुए देखते है।  मगर दुर्भाग्यवश उनकी जिन्दगी ऐसी नहीं होती है। गरीबी और पैसे की कमी गरीब परिवार को हर बुनियादी आवश्यकताओं से उन्हें दूर रखती है। अच्छे स्कूल में पढ़ना गरीब बच्चो के लिए एक सपना बनकर रह जाता है। गरीब लोग को दो वक़्त की रोटी मिलना भी टेढ़ खीर बन जाती है। गरीब परिवार अपने बच्चो को पुस्तकें और खिलोने खरीद कर देने में असमर्थ  है। अच्छा संतुलित और पौष्टिक भोजन परिवार और बच्चो को नहीं मिल पाता है।  ऐसे में उनका मानसिक और शारीरिक विकास नहीं हो पाता है। गरीब परिवार बिना सोचे समझे कई बच्चो को जन्म देते है और अपनी कठिनाईयां भी खुद बढ़ा लेते है। ऐसे में घर पर थोड़ी बहुत कमाई के लिए अपने बच्चो को बचपन से काम पर लगा देते है।  अक्सर चाय की दुकानों और उद्योगों में छोटे बच्चो से काम करवाया जाता है।  इससे बाल मज़दूरी जैसी समस्याएं उतपन्न होती है , जो कानूनन जुर्म है।

देश में गरीबी बड़ी आम सी हो गयी है।  सड़को के आस पास छोटे छोटे झोपड़ियों में जैसे तैसे गुजारा करने को विवश है। देश की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा बिना कपडे , रोटी और मकान के गुजारा करने को बेबस है। उनकी दयनीय हालत उनके आँखों से झलकती है।  कोई भी उन्हें इज़्ज़त नहीं देता है और हर जगह उन्हें तिरस्कृत किया जाता है। यह देश की विडंबना है एक और इतने अमीर लोग है और एक तरफ गरीब लोग जिसके पास खाने के लिए सिर्फ सूखी रोटी है।

गरीबी के दिन कोई भी मनुष्य झेलना नहीं चाहता है।  गरीब व्यक्ति  पैसे के अभाव में जीवन के मूल्य साधन जैसे भोजन और मकान जैसी आवश्यक सुविधाएं कभी भी प्राप्त नहीं कर पाता है। दिन रात मेहनत करने पर कुछ पैसे मिलते है , मगर वह भी पर्याप्त नहीं होता है। गरीब परिवार के बच्चे बाकी बच्चो की तरह एक  अच्छा   जीवन जीने में असमर्थ है।

गरीबी का प्रमुख कारण है देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और अशिक्षा है।  भ्रष्टाचारी  नेताएं वोट पाने के लिए कई झूठे वादे करते है और गरीबो को उनका हक़ कभी नहीं दिलाते है।  उनके उत्थान के लिए कई योजनाएं बनाई जाती है।  मगर उनमे से कई योजनाएं सिर्फ कहने के लिए  रह जाती है। गरीब लोग पशुओं की भाँती सड़क किनारे पाए जाते है। सही पोषण और भोजन ना मिलने के लिए के कारण उनकी मानसिक हालत भी स्वस्थ नहीं रहती है। अमीर लोगो के पास इतना पैसा होता है और गरीबो के पास खाने के लिए एक रोटी तक नहीं।  ऐसी असमानता के कारण देश उन्नति कभी नहीं कर पायेगा।

गरीबी को मिटाने  के लिए किसानो को अच्छी सुविधाएं दी जानी चाहिए ताकि वे कृषि क्षेत्र में उन्नति कर सके । भारत एक कृषि प्रधान देश है , फिर भी किसान कृषि छोड़कर शहरों में तरफ पलायन करते है।  शहरों में आकर उनकी हालत और अधिक खराब हो जाती है। वह जैसे तैसे अपना गुजारा करते है। शहरों में भी गरीबी बढ़ रही है। गरीबो को निशुल्क शिक्षा और प्रशिक्षण दी जानी चाहिए ताकि उन्हें रोजगार के अवसर मिले। गरीबी को कम करने के लिए परिवार को परिवार नियोजन के बारें जागरूक करना अनिवार्य है।  जितने परिवारों  में सदस्य कम होंगे , गरीब लोगो को दिक्कतें कम होगी। इससे देश की बढ़ती हुयी आबादी को रोका जा सकता है।

देश में एक नियम का लागू होना ज़रूरी है। वह है सभी बच्चो को शिक्षा का अधिकार मिलना। गरीबो के बच्चो को भी पढ़ने का उतना ही अधिकार मिलना चाहिए जितना सभी को मिलता है । जनसंख्या  कम होगी तो रोजगार के मौके भी लोगो को अधिक मिलेंगे और देश में सदियों से चल रही गरीबी का उन्मूलन हम कर सकेंगे।

गरीबी एक  राष्ट्रिय समस्या है। गरीबी के निवारण के लिए सरकार को और अधिक प्रभावी तरीका अपनाना होगा। सरकार ने गरीबी मिटाने के लिए बहुत सारे प्रयत्न किये मगर कोई ख़ास नतीजा नहीं निकला है। देश में व्याप्त ख़राब अर्थव्यवस्था , भ्रष्टाचार  और शिक्षा की कमी जैसे मुद्दों को समय रहते मिटाना ज़रूरी है , तभी गरीब लोगो के आंसू हम  पोंछ पाएंगे और उनकी लाचारी मिटा पाएंगे। ऐसे सकारात्मक कोशिशें करनी होगी कि गरीबो को  भी आम आदमी जितने अवसर , मूल वस्तुएं और समाज में इज़्ज़त प्राप्त हो।

#2. [Short Essay] गरीब इंसान पर निबंध

writer: Anshika Johari

ग़रीबी एक ऐसी दयनीय स्थिति है, जिसमे व्यक्ति निर्धनता के बेहद सकरे रास्ते पर अपनी जीवन की गाड़ी को चलाता है। एक गरीब इंसान को अपनी अनेक इच्छाओं व सपनों का निर्धनता के कारण त्याग करना पड़ता है। समाज में, गरीब वर्ग के व्यक्तियों को प्रत्येक क्षेत्र में कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। चूंकि आज हर क्षेत्र में धन को महत्व दिया जाता है इसीलिए एक गरीब व्यक्ति प्रतिभाशाली होते हुए भी पीछे रह जाता है।

गरीब इंसान की जीवन शैली –

एक गरीब व्यक्ति व अमीर व्यक्ति की जीवनशैली में आकाश पाताल का फर्क होता है। एक ओर जहां अमीर व्यक्ति विलासिता पूर्ण जीवन जीता है वहीं दूसरी ओर एक गरीब व्यक्ति अपनी जरूरतों को भी पूर्ण नहीं कर पाता। अपर्याप्त भोजन, कपड़ा, छत से मजबूर एक गरीब व्यक्ति दिनभर इन्हीं की पूर्ति में प्रयासरत रहता है। धन की आपूर्ति के कारण गरीब बच्चों को शिक्षा का अवसर मिलना भी अत्यंत कठिन हो जाता है। इसी कारण गांव में रहने वाले हजारों गरीब परिवार अशिक्षित ही रह जाते है।

गरीबी क्यों है?

आज के दौर में हर व्यक्ति गरीबी रेखा को पार करके अमीर बनना चाहता है। क्योंकि आज की धन प्रधान इस दुनिया में गरीबी इंसान का जीवन दुखमय बना देती है। भारत में बढ़ती जनसंख्या को गरीबी का विशेष कारण बताया है। जनसंख्या वृद्धि के कारण नौकरियां मिल पाना मुश्किल हो गया है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के चलते देश के गरीबी रेखा के लोगों को गरीबी से उभरने का अवसर ही नही मिल पाता है। गरीब मजदूर, नौकर, रिक्शा चालक आदि अशिक्षा होने के कारण ना तो अपनी कोई प्रगति कर पाते है, ना ही अपने बच्चों को शिक्षा के प्रति अग्रसर कर पाते। क्योंकि गरीबी की एक अत्यंत गरीबी स्थिति में घर का छोटा बालक आर्थिक सहायता देने हेतु मजदूरी या अन्य कामों में लग जाता है। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाएं व महामारी भी व्यक्ति के आर्थिक जीवन स्तर को बर्बाद कर देती है। गरीब बस्ती के निवासी, जो दिन भर जो कमाते उसी से रात में दो वक्त की रोटी खा पाते है। ऐसे में आपदाएं व महामारी उनके जीवन में अभिशाप बनकर दस्तक देती है।

गरीब इंसान की स्थिति –

गरीबी जीवन की एक ऐसी स्थिति है जिससे कोई भी गुजरना नहीं चाहता। गरीबी उसे कहते है जिसमें व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताओं – रोटी, कपड़ा, मकान को पूरा करने में असमर्थ होता है। इन मूलभूत आवश्यकताओं की आपूर्ति व्यक्ति के जीवन को गरीबी के बेहद भयावह मंजर पर ले आती हैं। जहां वह मानसिक रूप से तथ शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। परंतु वह हर संभव प्रयास करता है, जिससे कि वह अपने जीवन को सुचारू रूप से व्यतीत कर सके। गरीबी इंसान में ईर्ष्या, चोरी- डकैती, आत्मविश्वास में कमी इत्यादि कुछ अवगुणों को भी जन्म दे देती हैं। जिससे गरीबी केवल एक वर्ग के लिए ही नहीं अपितु राष्ट्रीय चिंता का कारण बन जाती है।

वर्तमान में सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे आने वाले व्यक्तियों के लिए कई योजनाओं को शुरू किया है, जो काफी हद तक सफल हुआ। परंतु फिर भी देश में बहुत से ऐसे गांव अभी मौजूद है जहां इन सेवाओं के विषय में गरीब व्यक्तियों को कोई ज्ञान नहीं है। इसी कारण देश में गरीबी को समाप्त करने के लिए और अधिक प्रयासरत होने की जरूरत है।

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  • गरीबी एक अभिशाप पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम
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Essay on poverty in hindi गरीबी पर निबंध.

Poverty essay in Hindi language. Now you can learn more about essay on Poverty In Hindi and take examples to write an essay on Poverty In Hindi. Essay on Poverty In Hindi was asked in many exams. This Hindi essay is for 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12 classes. गरीबी पर निबंध।

hindiinhindi Essay on Poverty In Hindi

Essay on Poverty In Hindi in 300 Words

गरीबी पर निबंध

गरीब वह लोग होते है जो जीवन के आधारभूत जरुरतों से महरुम रहते हैं जैसे अपर्याप्त भोजन, कपड़े और छत। आज भारत एक विश्व शक्ति के रूप में उभर के आगे आ रहा है पर हमारे देश में अभी भी बहुत सरे लोग ऐसे है जिनको दो वक़्त की रोटी नही हासिल होती। यह लोग गंदे कपड़े पहनते हैं और रात को सड़क किनारे सोते हैं। यह स्वस्थ पोषण, दवा और दूसरी जरुरी चीजें से कोसो दूर है। ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरों की ओर नौकरी और धन संबंधी क्रियाओं के लिये रुख कर रहे है। शहरी जनसंख्या में बढ़ौतरी के कारण और ग्रामीण लोगो की बढ़ती संख्या के कारण शहरों में गरीबी और बढ़ती ही जा रही है। आंकड़ों की बात करे तो लगभग 8 करोड़ लोगों की आय गरीबी रेखा से नीचे है और लगभग 4.5 करोड़ शहरी लोग सीमारेखा पर हैं। सरकार द्वारा उठाये गए कदमों के बावजूद गरीबी दर में कोई भी संतोषजनक परिणाम नहीं दिखाई देता है।

भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, अशिक्षा, पुरानी प्रथाएं, बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, अमीर और गरीब के बीच में बड़ी खाई आदि ऐसे बहुत सारे भारत में गरीबी का मुख्य कारण है। भारत में जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर करता है जो कि गरीब है और गरीबी का कारण है। बढ़ती जनसंख्या बढ़ती गरीबी का प्रमुख कारण है क्योकि अधिक जनसंख्या मतलब अधिक भोजन, पैसा और घर की जरुरत। गरीब और ज्यादा गरीब होता जा रहा है और अमीर पहले से ज्यादा अमीर होता जा रहा है जिसने दोनों के बीच की खाई को बहुत चौड़ा कर दिया है। ये अंतर ही किसी देश को अविकसित की श्रेणी की ओर ले जाता है।

गरीबी गरीब लोगो पर बहुत हावी होती जा रही है जैसे अशिक्षा, बाल श्रम, खराब घर, बेरोजगारी अदि क्योकि गरीबी इन समस्याओ को भी जन्म देती है। इन्ही कारणों से गरीब परिवार का गरीब बच्चा अपनी छोटी सी आयु से ही कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर है। यह उम्र उनके स्कूल जाने की खेलने कूदने की है किन्तु गरीबी ने इन बच्चो का बचपन उनसे छीन लिया है।

गरीबी पूरे देश की एक बहुत बड़ी समस्या है जिसे प्रभावी तरीकों को लागू करके जल्दी से जल्दी सुलझाना चाहिये। भारत सरकार द्वारा भी कई प्रकार के कदम उठाये गये, जिनका कोई स्पष्ट परिणाम नहीं दिखा। गरीबी हो हराने के लिए सरकार के साथ साथ भारत के नागरिको को भी एक-जुट हो कर ही इस समस्या का समाधान निकलना होगा। तो चलो आईये, हम सब मिलकर एक साथ इस समस्या को जड़ से उखाड़ दे जिससे हम और हमारा देश आगे बढ़ सके।

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भारत में गरीबी की स्थिति पर शोध पत्र: विश्व बैंक

  • 20 Apr 2022
  • सामान्य अध्ययन-II
  • सामान्य अध्ययन-III
  • महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान
  • समावेशी विकास

विश्व बैंक, आईएमएफ, निर्धनता, एनएसएसओ, निर्धनता से संबंधी पहलें।

महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, भारत में गरीबी और संबंधित मुद्दे।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व बैंक द्वारा 'पावर्टी हैज़ डिक्लाइन ओवर द लास्ट डिकेड बट नॉट अस मच अस यूथ थॉट' (Poverty has Declined over the Last Decade But Not As Much As Previously Thought) शीर्षक से शोध पत्र प्रकाशित किया गया है। 

  • यह पत्र अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा प्रकाशित एक वर्किंग पेपर से समानता रखता है जिसमे  जिसमें कहा गया था कि भारत ने राज्य द्वारा वित्त पोषित खाद्य हैंड आउट्स (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के माध्यम से अत्यधिक गरीबी को लगभग समाप्त कर दिया गया है और जिससे 40 वर्षों में उपभोग असमानता अपने निम्नतम स्तर पर पहुँच चुकी है। 

Poverty-in-india

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएंँ:

  • वर्ष 2011 के बाद से खपत असमानता में मामूली कमी हुई है लेकिन अप्रकाशित राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण-2017 की तुलना में यह अंतर बहुत कम है। 
  • वर्ष 2015-2019 के दौरान गरीबी में कमी की सीमा राष्ट्रीय लेखा आंँकड़ों में रिपोर्ट किये गए निजी अंतिम उपभोग व्यय में वृद्धि के आधार पर पहले के अनुमानों की तुलना में काफी कम होने का अनुमान है। 
  • विश्व बैंक ने द्वारा "अत्यधिक गरीबी" (Extreme Poverty) को प्रति व्यक्ति प्रति दिन 1.90 अमेरिकी डाॅलर से कम पर रहने के रूप में परिभाषित किया है।
  • वर्ष 2011-2019 के दौरान ग्रामीण और शहरी गरीबी में क्रमशः 14.7 और 7.9% की गिरावट आई है।
  •  वर्ष 2016 में भारत में विमुद्रीकरण के साथ शहरी गरीबी में 2% की बढ़ोत्तरी हुई तथा वर्ष 2019 में ग्रामीण गरीबी में 10% की वृद्धि दर्ज की गई।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे भूमिधारकों की आय में वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों में आय असमानता में कमी को दर्शाती है। 
  • सबसे छोटे भूमि धारकों में गरीब आबादी का एक बड़ा हिस्सा होता है। इस आय में मज़दूरी, फसल उत्पादन से शुद्ध प्राप्ति, पशु खेती से शुद्ध प्राप्ति तथा गैर-कृषि व्यवसाय से शुद्ध प्राप्ति शामिल है। भूमि को पट्टे पर देने से होने वाली आय पर छूट दी गई है।

रिपोर्ट का महत्त्व:

  • विश्व बैंक का यह शोधपत्र महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत के पास हाल की अवधि का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है। अंतिम व्यय सर्वेक्षण वर्ष 2011 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा जारी किया गया था, जब देश ने गरीबी और असमानता के आधिकारिक अनुमान भी जारी किये थे।
  • सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा स्थापित एक नए घरेलू पैनल सर्वेक्षण में उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण का उपयोग करके वर्ष 2011 के बाद से गरीबी और असमानता कैसे विकसित होने पर प्रकाश डाला गया है।
  • भारत के प्रमुख गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम:
  • एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP)
  • प्रधानमंत्री आवास योजना
  • राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना
  • अन्नपूर्णा योजना
  • ' महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), 2005
  • दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)
  • राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
  • प्रधानमंत्री जन-धन योजना ;

विश्व बैंक:

  • इसे वर्ष 1944 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD) के रूप में स्थापित किया गया था। बाद में  IBRD को ही विश्व बैंक के रूप में जाना गया।
  • विश्व बैंक समूह विकासशील देशों में गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये काम कर रहे पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है।
  • इसके 189 सदस्य देश हैं। 
  • भारत भी एक सदस्य देश है।. 
  • ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस । (हाल ही में प्रकाशित करना बंद कर दिया)।
  • ह्यूमन कैपिटल इंडेक्स ।
  • वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट ।
  • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD)
  • अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)
  • बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA)
  • भारत इसका सदस्य नहीं है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम

no poverty essay in hindi

Dil Se Deshi

भारत में गरीबी के कारण और समाधान | Reason and Solution of Poverty in India in Hindi

Reason and Solution of Poverty in India in Hindi

भारत देश में गरीबी होने के मुख्य कारण और इसका समाधान (निबंध रूप में) | Reasons and Solutions of Poverty in India in Hindi (Essay)

सरलतम अवधि में गरीबी को एक सामाजिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जहां व्यक्तियों के पास जीवन के सबसे बुनियादी मानकों को पूरा करने के लिए वित्तीय साधन नहीं हैं जो समाज द्वारा स्वीकार्य हैं. गरीबी का अनुभव करने वाले व्यक्तियों के पास दैनिक जीवन की बुनियादी जरूरतों जैसे भोजन, कपड़े और आश्रय के लिए भुगतान करने का साधन नहीं है.

गरीबी लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य आवश्यकताओं जैसे कल्याण के बहुत जरूरी सामाजिक साधनों तक पहुंचने से रोकती है. इस समस्या से उपजी प्रत्यक्ष परिणाम भूख, कुपोषण और उन बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता है जिनकी पहचान दुनिया भर में प्रमुख समस्याओं के रूप में की गई है. यह व्यक्तियों को सामाजिक-मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रभावित करता है, क्योंकि वे सरल मनोरंजक गतिविधियों को वहन करने में सक्षम नहीं होते हैं और समाज में उत्तरोत्तर हाशिए पर पहुंच जाते हैं.

गरीबी शब्द का संबंध गरीबी रेखा / दहलीज की धारणा से है, जिसे आमदनी के उस न्यूनतम आंकड़े के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी विशेष देश में पोषण, कपड़े और आश्रय की जरूरतों के मामले में सामाजिक रूप से स्वीकार्य गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक है. विश्व बैंक ने अपने अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा के आंकड़ों को अक्टूबर 2015 (प्रति वर्ष 2011-2012 में वस्तुओं की कीमतों के आधार पर) पर 1.90 अमरीकी डॉलर (123.5 रु) प्रति दिन, 1.5 अमरीकी डॉलर (81 रु.) से अद्यतन किया है. वर्तमान अर्थव्यवस्था के अनुसार दुनियाभर में रहने की लागत में संगठन का अनुमान है कि – “2012 में विश्व स्तर पर केवल 900 मिलियन से अधिक लोग इस लाइन के तहत रहते थे (नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर) और हम यह अनुमान लगाते हैं कि 2015 में 700 मिलियन से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी में जी रहे हैं.”

संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे आर्थिक रूप से स्थिर देशों में भी गरीबी की चिंता के कारण यह एक विश्वव्यापी समस्या है. वर्तमान आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में आधी आबादी लगभग 3 बिलियन लोग, प्रति दिन 2.5 डॉलर से कम पर जीने के लिए मजबूर हैं. भारत में 2014 की सरकारी रिपोर्टों के अनुसार मासिक प्रति व्यक्ति खपत/व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 972 रु और शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 1407 हैं. यह डेटा वर्तमान में देश की गरीबी सीमा के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. 2015 तक एशियाई विकास बैंक के आंकड़ों के अनुसार, कुल आबादी का 21.9% राष्ट्रीय गरीबी सीमा से नीचे रहता है जो कि 269.7 मिलियन व्यक्तियों के पास पर्याप्त धन नहीं है.

भारत में गरीबी के कारण (Reasons of Poverty in India)

देश में गरीबी की लगातार समस्या में योगदान करने वाले कारक कई हैं और उन्हें ठीक से संबोधित करने के लिए पहचान की आवश्यकता है. उन्हें निम्नलिखित प्रमुखों के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है.

जनसंख्या की समस्या मुख्य कारक वह जो देश को गरीबी (Poverty in India) से ग्रस्त करने में योगदान देता है. देश में जनसंख्या की वृद्धि अब तक की अर्थव्यवस्था में वृद्धि से अधिक है और सकल परिणाम यह है कि गरीबी के आंकड़े कम या ज्यादा लगातार बने हुए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों का आकार बड़ा होता है और जो प्रति व्यक्ति आय मूल्यों को कम करने और अंततः जीवन स्तर को कम करने में तब्दील होता है. जनसंख्या वृद्धि के कारण भी बेरोजगारी पैदा होती है और इसका मतलब है कि रोजगार के लिए मजदूरी से बाहर निकलना आय को कम करता है.

गरीब कृषि अवसंरचना

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है लेकिन पुरानी कृषि पद्धतियों, सिंचाई के बुनियादी ढांचे की कमी और यहां तक ​​कि फसल की देखभाल के औपचारिक ज्ञान की कमी ने इस क्षेत्र में उत्पादकता को काफी प्रभावित किया है. एक परिणाम के रूप में अतिरेक है और कभी-कभी काम की कमी के कारण मजदूरी में कमी आती है जो कि एक मजदूर के परिवार की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है जो उन्हें गरीबी में डुबो देता है.

परिसंपत्तियों का असमान वितरण

अर्थव्यवस्था तेजी से दिशा बदल रही है, विभिन्न आर्थिक आय समूहों में आय संरचना अलग-अलग रूप से विकसित होती है. ऊपरी और मध्यम आय वर्ग कम आय वर्ग की तुलना में आय में तेजी से वृद्धि देखते हैं. साथ ही जमीन, मवेशी के साथ-साथ रियल्टी जैसी संपत्तियों को आबादी के बीच असमान रूप से वितरित किया जाता है, जो समाज के अन्य क्षेत्रों की तुलना में बहुसंख्यक शेयरों के मालिक हैं और इन परिसंपत्तियों से उनका मुनाफा भी असमान रूप से वितरित किया जाता है. भारत में यह कहा जाता है कि देश में 80% धन केवल 20% जनसंख्या द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

Reason and Solution of Poverty in India in Hindi

एक और प्रमुख आर्थिक कारक जो देश में गरीबी का कारण है, बढ़ती बेरोजगारी दर है. भारत में बेरोजगारी दर अधिक है और 2015 के सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर, 77% परिवारों के पास आय का एक नियमित स्रोत नहीं है.

मुद्रास्फीति और मूल्य वृद्धि

मुद्रा शब्द की खरीद के मूल्य में गिरावट के साथ आने वाली वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. मुद्रास्फीति के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में, भोजन की प्रभावी कीमत, कपड़ों की वस्तुओं के साथ-साथ अचल संपत्ति बढ़ती है. प्रति व्यक्ति आय के प्रभावी घटने के लिए जिंसों की बढ़ी हुई कीमतों को ध्यान में रखते हुए वेतन और मजदूरी में वृद्धि नहीं होती है.

दोषपूर्ण आर्थिक उदारीकरण

1991 में भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए एलपीजी (उदारीकरण-निजीकरण-वैश्वीकरण) के प्रयासों को विदेशी निवेशों को आमंत्रित करने के लिए अर्थव्यवस्था को अंतर्राष्ट्रीय बाजार-रुझानों के अधिक अनुकूल बनाने की दिशा में निर्देशित किया गया था. अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में कुछ हद तक सफल, आर्थिक सुधारों का धन वितरण परिदृश्य को बढ़ाने पर हानिकारक प्रभाव पड़ा. अमीर अमीर हो गया जबकि गरीब, गरीब बना रहा.

शिक्षा और अशिक्षा

शिक्षा, बल्कि इसकी कमी और गरीबी एक दुष्चक्र है जो देश को त्रस्त करती है. अपने बच्चों को खिलाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होने के कारण, गरीब शिक्षा को तुच्छ मानते हैं, बच्चों को तरजीह देने के बजाय परिवार की आय में योगदान देना शुरू करते हैं. दूसरी ओर, शिक्षा की कमी और अशिक्षा व्यक्तियों को बेहतर भुगतान वाली नौकरियों को प्राप्त करने से रोकती है और वे न्यूनतम मजदूरी की पेशकश करने वाले नौकरियों में फंस जाते हैं. जीवन की गुणवत्ता में सुधार बाधा बन जाता है और चक्र एक बार फिर से क्रिया में आ जाता है.

बहिष्कृत सामाजिक रीति-रिवाज

जातिप्रथा जैसे सामाजिक रीति-रिवाज समाज के कुछ वर्गों के अलगाव और हाशिए का कारण बनते हैं. कुछ जातियों को अभी भी अछूत माना जाता है और उच्च जाति द्वारा नियोजित नहीं किया जाता है, जिससे बहुत विशिष्ट और निम्न भुगतान वाली नौकरियों को छोड़ दिया जाता है ताकि वे जीवित रह सकें. अर्थशास्त्री के. वी. वर्गीस ने बहुत ही स्पष्ट भाषा में इस समस्या को सामने रखा, “जाति व्यवस्था ने वर्गीय शोषण के लिए एक स्प्रिंगबोर्ड के रूप में काम किया, जिसके परिणामस्वरूप बहुतों की गरीबी का प्रतिकार कुछ लोगों की पसंद है.

कुशल श्रम की कमी

पर्याप्त व्यावसायिक प्रशिक्षण की कमी भारत में उपलब्ध विशाल श्रम शक्ति को काफी हद तक अकुशल बनाती है, जो अधिकतम आर्थिक मूल्य की पेशकश के लिए अनुपयुक्त है. शिक्षा का अभाव, बहुत कम उच्च शिक्षा, भी इसके प्रति योगदान कारक है.

Reason and Solution of Poverty in India in Hindi

लैंगिक असमानता

महिलाओं के साथ कमजोर स्थिति गहरी जड़ें वाले सामाजिक हाशिए और घरेलूता की लंबे समय से अंतर्निहित धारणाएं काम करने में असमर्थ देश की आबादी का लगभग 50% प्रदान करती हैं. परिणामस्वरूप परिवार की महिलाएं उन आश्रितों की संख्या में इजाफा करती हैं, जिन्हें परिवार की आय में कमी के कारण पारिवारिक आय में काफी योगदान देने में सक्षम होने के बजाय खिलाया जाना चाहिए.

गरीबी की स्थिति को शांत करने के लिए विभिन्न योजनाओं के रूप में सरकार के काफी प्रयासों के बावजूद देश में भ्रष्टाचार की व्यापक प्रथाओं के कारण, वास्तव में केवल 30-35% लाभार्थियों तक पहुंचता है. विशेषाधिकार प्राप्त कनेक्शन वाले अमीर लोग सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर अधिक से अधिक संपत्ति हासिल करने में सक्षम होते हैं, ताकि वे ऐसी योजनाओं से अपना मुनाफा बढ़ा सकें, जबकि गरीब ऐसे कनेक्शनों का दावा करने में सक्षम नहीं होने के कारण उपेक्षा की स्थिति में रहते हैं.

प्रयासों की व्यक्तिगत कमी भी गरीबी पैदा करने में योगदान करती है. कुछ लोग कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार नहीं हैं या यहां तक ​​कि पूरी तरह से काम करने के लिए तैयार नहीं हैं, अपने परिवारों को गरीबी के अंधेरे में छोड़कर. पीने और जुए जैसे व्यक्तिगत राक्षसों से भी गरीबी को उकसाने वाली पारिवारिक आय की निकासी होती है.

भारत में सामाजिक-आर्थिक सुधार रणनीतियों को काफी हद तक राजनीतिक हित के द्वारा निर्देशित किया गया है और इसे समाज के एक ऐसे वर्ग की सेवा के लिए लागू किया गया है जो चुनावों में संभावित निर्णायक कारक है. नतीजतन इस मुद्दे को पूरी तरह से सुधार की बहुत गुंजाइश छोड़ कर संबोधित नहीं किया गया है.

भारत का अधिकतम भाग पूरे वर्ष एक उष्णकटिबंधीय जलवायु का अनुभव करता है जो उत्पादकता को कम करने के लिए अग्रणी कठिन श्रम श्रम के अनुकूल नहीं है और इसके परिणामस्वरूप मजदूरी भुगतनी पड़ती है.

Reason and Solution of Poverty in India in Hindi

समाधान (Solution for Poverty in India)

भारत में गरीबी (Poverty in India) के दानव से लड़ने के लिए जो उपाय किए जाने चाहिए, वे नीचे दिए गए हैं: –

  • वर्तमान दर पर जनसंख्या की वृद्धि को जन्म नियंत्रण को बढ़ावा देने वाली नीतियों और जागरूकता के कार्यान्वयन द्वारा जाँच की जानी चाहिए.
  • देश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए या तो अधिक विदेशी निवेशों को आमंत्रित करके या स्वरोजगार योजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए.
  • समाज के विभिन्न स्तरों के बीच धन के वितरण में बने रहे विशाल अंतर को पाटने के लिए उपाय किए जाने चाहिए.
  • कुछ भारतीय राज्य ओडिशा और उत्तर पूर्व के राज्यों की तुलना में अधिक गरीबी से त्रस्त हैं. सरकार को करों पर विशेष रियायतें देकर इन राज्यों में निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिए.
  • खाद्य पदार्थों, स्वच्छ पेयजल जैसे जीवन की संतोषजनक गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए लोगों की प्राथमिक आवश्यकताएं अधिक आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए. वस्तुओं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर सब्सिडी दरों में सुधार किया जाना चाहिए. सरकार द्वारा मुफ्त हाई स्कूल शिक्षा और कार्यशील स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए.
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स्कूली छात्रों और बच्चों के लिए हिंदी दिवस 2024 पर बड़े और छोटे निबंध

हिंदी दिवस पर निबंध: हिंदी, भारत की मातृभाषा है। यह सबसे अधिक बोली जाने वाली और सम्मानित भाषाओं में से एक है। छात्रों को नीचे दिए गए निबंधों को पढ़कर इसके बारे में अधिक जानना चाहिए।   हिंदी दिवस 2024 पर 150 - 200 शब्दों का निबंध हिंदी में पाने के लिए इस लेख को पढ़ें।.

Atul Rawal

Hindi Diwas Par Nibandh: भारत में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक हिंदी भाषा को बढ़ावा देने और उसका जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्रीय एकता और विविध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है।   इस अवसर पर, स्कूल, छात्रों को हिंदी और इसके महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए स्कूल प्राधिकारी और शिक्षक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। स्कूल छात्रों को अधिक जानकार और खुद को अभिव्यक्त करने में आत्मविश्वासी बनाने के लिए निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।

यहां आपको हिंदी दिवस पर निबंधों के कुछ उदाहरण मिलेंगे। ये हिंदी दिवस निबंध हिंदी में हैं, जिसका उद्देश्य हिंदी दिवस 2024 के लिए आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में छात्रों को बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करना है। हिंदी दिवस निबंध 150-200 शब्दों के हैं। छात्रों के लिए हिंदी दिवस पर निबंध देखें।

  • Hindi Diwas Essay in English
  • Hindi Diwas Speech For Students
  • Hindi Diwas Slogans
  • Hindi Diwas Speech in Hindi

हिंदी दिवस पर 10 पंक्तियां (10 Lines on Hindi Diwas)

  • हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है।
  • यह भारत की राष्ट्रीय भाषा हिंदी को बढ़ावा देने और मनाने के लिए है।
  • हिंदी भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • हिंदी भाषा का प्रयोग भारत में व्यापक रूप से किया जाता है।
  • हिंदी दिवस पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • इन कार्यक्रमों में कविता पाठ, नाटक, गायन आदि शामिल होते हैं।
  • हिंदी दिवस का उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूक करना है।
  • यह दिन हमें हिंदी भाषा का सम्मान करने और इसका उपयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।
  • हिंदी दिवस पर स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • हिंदी भाषा का प्रयोग भारत के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (Essay on Hindi Diwas in Hindi)

यदि आपको 500 शब्दों का हिंदी दिवस निबंध दिया गया है, तो शब्द संख्या बढ़ाने के लिए उपरोक्त हिंदी दिवस निबंध में अधिक जानकारी जोड़ें। अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिए गए हिंदी दिवस भाषण को देख सकते हैं। अपने निबंध में हिंदी दिवस के नारे जोड़ने से यह और अधिक आकर्षक हो जाएगा।

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Hindi Diwas 2024: 10 लाइनों में हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें? | 10 Lines on Hindi Diwas

Hindi Diwas 2024; 10 Lines on Hindi Diwas: हिंदी दिवस का उत्सव पूरे देश में बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्त्व को समझने और भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करने का दिन है। हिंदी दिवस 2024 नई योजनाओं और थीम के साथ एक नया अध्याय जोड़ेगा, जिसमें हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रयास किए जायेंगे।

10 लाइनों में हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को पूरे भारत में मनाया जाता है। यह दिन 1949 में हिंदी भाषा को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने की स्मृति के रूप में मनाया जाता है। भारत के करोड़ों निवासियों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी भाषा केवल संचार का एक माध्यम नहीं है बल्कि ये देश की एकता और विविधता का प्रतीक भी है।

इस दिन का उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के महत्व के बारे में जागरूक करना और इसे बढ़ावा देना है। स्कूली बच्चों में हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा के प्रति जागरूकती बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

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हिंदी दिवस पर 10 लाइन्स | 10 Lines on Hindi Diwas

यहां तीन अलग-अलग सेटों में हिंदी दिवस पर 10 लाइन प्रस्तुत किये जा रहे हैं। ये कक्षा विशेष के लिए सूचीबद्ध किये गये हैं।

कक्षा 1-3 के छात्रों के लिए 10 लाइनों में हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

1. हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। 2. 14 सितंबर 1949 में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया। 3. हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला है। 4. हिंदी में बहुत से महान साहित्यकार हुए हैं। 5. महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। 6. हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है। 7. स्कूलों में हिंदी दिवस पर कविता और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। 8. इस दिन हम हिंदी भाषा की महत्ता को समझते हैं। 9. हिंदी हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। 10. हिंदी से हमें अपनी पहचान मिलती है।

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कक्षा 4-6 के छात्रों के लिए 10 लाइनों में हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

1. हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1949 में संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया था। 2. हिंदी विश्व की सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से एक है। 3. हिंदी साहित्य में कबीर, तुलसीदास, प्रेमचंद जैसे महान लेखकों का नाम शुमार है। 4. हिंदी दिवस का उद्देश्य भाषा के प्रति सम्मान बढ़ाना और इसके उपयोग को प्रोत्साहित करना है। 5. इस दिन देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में भाषण, निबंध और कविता प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। 6. हिंदी हमारे देश की एकता का प्रतीक है और विभिन्न राज्यों को एक सूत्र में बांधती है। 7. महात्मा गांधी ने इसे जनमानस की भाषा कहा और हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए काम किया। 8. आज हिंदी फिल्में और साहित्य पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। 9. हिंदी दिवस पर हम सभी को हिंदी के महत्व को समझना चाहिये और इसे आगे बढ़ाना चाहिये। 10. यह दिन हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व करने का प्रतीक है।

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कक्षा 7-9 के छात्रों के लिए 10 लाइनों में हिंदी दिवस पर निबंध कैसे लिखें?

1. हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, क्योंकि 1949 में इसी दिन भारत की संविधान सभा ने हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। 2. हिंदी एक सरल और समृद्ध भाषा है जो हमारी सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। 3. हिंदी साहित्य में दुनिया की कुछ बेहतरीन कृतियां शामिल हैं, जो भारतीय समाज और उसकी सोच को प्रकट करती हैं। 4. हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य है हिंदी के प्रति लोगों की जागरूकता और इसके महत्व को बढ़ाना है। 5. इस दिन कई शैक्षिक संस्थानों में हिंदी से संबंधित कार्यक्रम, जैसे निबंध लेखन, वाद-विवाद और काव्य पाठ होते हैं। 6. हिंदी भाषा भारत के विभिन्न क्षेत्रों को एक सूत्र में बांधती है और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है। 7. हमें गर्व करना चाहिये कि हिंदी संयुक्त राष्ट्र की भी मान्यता प्राप्त भाषाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है। 8. हिंदी के प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री का भी महत्वपूर्ण योगदान है। 9. हिंदी दिवस हमें अपने भाषा की समृद्धि और महत्व को समझने का एक अवसर प्रदान करता है। 10. आइए इस दिन हम सब संकल्प लें कि हम हिंदी का उपयोग अधिक से अधिक करेंगे और इसकी महत्ता को बनाए रखेंगे।

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