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5+ पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi

Essay on Library in Hindi : दोस्तों आज हमने पुस्तकालय पर निबंध लिखा है क्योंकि पुस्तकालय हमारे विद्यार्थी जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखते है. इनके माध्यम से हमें देश विदेश महान लेखकों की लिखी हुई किताबें पढ़ने का अवसर मिलता है.

अक्सर विद्यार्थियों से परीक्षाओं और विद्यालय में pustakalay per nibandh  लिखने के लिए दिया जाता है इसी को ध्यान में रखते हुए हमने कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए अलग अलग शब्द सीमा में यह निबंध लिखा है.

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Get Some Essay on Library in Hindi under 150, 300, 500 or 1100 words.

Short Essay on Library in Hindi 150 Words – पुस्तकालय पर निबंध 150 words

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसे हम पुस्तक + आलय कहते है जिसे हम आसान शब्दों में पुस्तकों का घर भी कह सकते है क्योंकि यहां पर ज्ञान विज्ञान ग्रंथ साहित्य राजनीतिक विज्ञान एवं अलग-अलग भाषाओं का संग्रह होता है.

पुस्तकालय कई प्रकार के होते है जैसे व्यक्तिगत पुस्तकालय, विद्यालय का पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय, चलते फिरते पुस्तकालय और आजकल तो डिजिटल पुस्तकालय भी उपलब्ध है.

इन सभी पुस्तकालयों में तरह-तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें मिलती है जिन्हें कोई भी पुस्तक प्रेमी जाकर पड़ सकता है और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है.

पुस्तकालय हमारे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में होते है क्योंकि यहां पर हमारे पूर्वजों की लिखी हुई अच्छी किताबों का संग्रहण किया जाता है जिसका उपयोग हम आगे आने वाले जीवन को बेहतर बनाने के लिए कर सकते है.

जो भी व्यक्ति अच्छी और अधिक मूल्य वाली पुस्तके नहीं करी सकता है वह यहां पर आकर आराम से शांत माहौल में पुस्तकें पड़ सकता है और अपने ज्ञान के जिज्ञासा को शांत कर सकता है.

Best Essay on Library in Hindi 300 Words – पुस्तकालय पर निबंध 300 words

पुस्तकालय हमारे जीवन का अभिन्न अंग होते है क्योंकि पुस्तकालय में हम शांतिपूर्वक विभिन्न ज्ञानवर्धक किताबें पढ़कर ज्ञान का अर्जन कर सकते है जो कि हमारे जीवन को खुशहाल बनाता है और हमें सोचने समझने की शक्ति भी प्रदान करता है.

पुस्तकालय की भूमिका मानव जीवन में प्राचीन काल से ही रही है क्योंकि प्राचीन काल में प्रिंटिंग मशीन नहीं होने के कारण हस्तलिखित किताबे ही होती हो थी जिस कारण उनका मूल्य भी अधिक होता था और किताबें भी कम ही उपलब्ध हो पाती थी इसीलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई.

पुस्तकालय की स्थापना से जो भी व्यक्ति किताबें पढ़ने का इच्छुक होता था वह पुस्तकालय में जाकर शांत माहौल में किताबें पढ़ सकता था इससे गरीब वर्ग के लोगों को अधिक फायदा हुआ क्योंकि वे लोग अधिक मूल्य की किताबें पढ़ नहीं सकते थे.

एक पुस्तकालय में लगभग सभी प्रकार की पुस्तके जैसे कला, धर्म, जाति, राजनीतिक, विज्ञान, कृषि, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पुस्तके मिल जाती है जिनकी सहायता से सभी लोग अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते है कुछ बड़े पुस्तकालयों में अलग-अलग भाषा और प्रांत की पुस्तकें भी उपलब्ध होती है.

वर्तमान में पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते है जैसे विद्यालय के पुस्तकालय जहां पर छात्र-छात्राएं और शिक्षक जाकर किताबें और पत्र पत्रिकाएं पढ़ सकते है दूसरे पुस्तकालय विश्वविद्यालयों के होते है जहां पर वहां के विद्यार्थी जाकर पढ़ सकते है.

कुछ पुस्तकालय ट्रस्ट द्वारा भी संचालित किए जाते है जिनका मूल उद्देश्य गरीब एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान करना होता है क्योंकि गरीब विद्यार्थी के पास मूल्यवान उसको को खरीदने के लिए धन नहीं होता है. इन पुस्तकालयों में महीने की न्यूनतम फीस रखी जाती है.

चौथे नंबर पर सार्वजनिक पुस्तकालय आते है जो कि सरकार द्वारा चलाए जाते है जिसमें सभी लेखकों और कवियों की प्रमुख किताबें होती है साथी देश और विदेश की पत्र-पत्रिकाएं में होती है जिन्हें कोई भी व्यक्ति या विद्यार्थी पुस्तकालय में जाकर पढ़ सकता है.

Pustakalay Per Nibandh – पुस्तकालय पर निबंध 500 Words

रूपरेखा –

पुस्तकालय हमारे देश में प्राचीन युग से ही प्रचलन में रहा है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय जो कि विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया था लेकिन अब उसे पुन: स्थापित कर दिया गया है.

पुस्तकालयों की भूमिका मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण रही है इसी कारण आज हमारी शिक्षा पद्धति इतनी सुदृढ़ हो पाई है. पुस्तकालयों के कारण गरीब विद्यार्थियों को भी अच्छी किताबें पढ़ने को मिली है जिसे चाहो और सामाजिक और आर्थिक विकास भी हुआ है.

वर्तमान में भी पुस्तकालयों की महत्वता कम नहीं हुई है आज भी विद्यार्थी शिक्षक और अन्य व्यक्ति उच्च स्तर की किताबें पढ़ने के लिए पुस्तकालय में जाते है.

पुस्तकालय क्या है –

प्राचीन काल में शिक्षा पद्धति इतनी उन्नत नहीं थी और साथ ही पुस्तकों का भी अभाव था इसलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई जहां पर सभी प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाती थी ताकि सभी लोग आकर उन पुस्तकों से ज्ञान अर्जित कर सकें.

शिक्षा के क्षेत्र में यह बहुत ही अच्छा कदम साबित हुआ. एक सार्वजनिक पुस्तकालय में धर्म साहित्य वाणिज्य कला विज्ञान पत्र पत्रिकाएं बच्चों के मनोरंजन के लिए ज्ञानवर्धक एवं चुटकुलों की किताब और पुराने ग्रंथ दादी सभी प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध होती है.

पुस्तकालय में कोई भी व्यक्ति जाकर अपनी इच्छा के अनुसार किताबों का चयन करके उसे पुस्तकालय में बैठ कर पढ़ सकता है कुछ पुस्तकालय में किताबें कुछ समय के लिए घर पर ले जाने के लिए भी दी जाती है.

पुस्तकालयों के कारण नई नई किताबें पढ़ने वाले जिज्ञासु लोगों और ज्ञान की वृद्धि करने के लिए विद्यार्थियों को बहुत अधिक लाभ हुआ.

पुस्तकालय की विशेषता –

(1) पुस्तकालयों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पाठकों को अंतर्मुखी और चिंतनशील बनाते है.

(2) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए शांत माहौल मिलता है जिसे एकाग्र होकर हम पढ़ाई कर सकते है.

(3) पुस्तकालय में देश दुनिया में क्या हो रहा है और आगे क्या होने वाला है इसका पता लगता है

(4) पुस्तक पढ़ने से हमारे सोचने समझने की शक्ति का विकास होता है.

(5) यहां पर हमें ज्ञान अर्जन करने के लिए अधिक मूल्य की आवश्यकता नहीं होती है.

(6) प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक समीक्षक आर. ए. रिएर्ड्स लिखा था कि अगर हम किसी अच्छी पुस्तक को पढ़ते हैं तो उससे हमारी सोच बदल जाती है जिससे व्यक्ति का पुन: सर्जन होता है.

(7) यहां पर हमें प्रत्येक भाषा में किताबें पढ़ने को मिलती है इसलिए किसी भी देश का नागरिक यहां पर आकर किताबें पढ़ सकता है.

(8) पुस्तकें हमें दूसरे देशों की संस्कृतियों और सामाजिक जीवन से जोड़ती है.

निष्कर्ष –

किसी भी देश में पुस्तकालयों का होना बहुत आवश्यक होता है यह व्यक्ति के जीवन के साथ साथ देश के आर्थिक विकास में भी सहयोग करता है. वर्तमान में असहज जीवन प्रणाली से जीवन यापन कर रहे लोगों के लिए पुस्तकालय और भी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है.

पुस्तकालय उन्हें एकांत में बैठकर चिंतन और मनन करने का अवसर प्रदान करते है जो की बाहरी जीवन में असंभव के समान है. हमें पुस्तकालयों की महत्वता को समझते हुए उन्हें बढ़ावा देना चाहिए.

Essay on Library in Hindi 1100 Words

प्रस्तावना –

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों में समाहित है पुस्तक + आलय जिसका शाब्दिक अर्थ पुस्तक रखने का स्थान होता है. पुस्तकें मानव की सबसे अच्छी दोस्त होती है जो कि बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक उसका सहारा होती है.

पुस्तकों के कारण ही आज शिक्षा पद्धति इतनी सुदृढ़ हो पाई है लेकिन पुराने जमाने में आज की तरह पुस्तक प्रिंटिंग की व्यवस्था नहीं थी जिसके कारण पुस्तकें हाथों से लिखी जाती थी इसलिए पुस्तकों की संख्या भी कम होती थी.

जिसके कारण पुस्तकों का मूल्य अधिक होता था और साधारण व्यक्ति उन्हें खरीद कर पढ़ नहीं पाता था और वह पुस्तके आसानी से उपलब्ध भी नहीं हो पाती थी इसीलिए पुस्तकालय की स्थापना की गई. पुस्तकालय की स्थापना के बाद शिक्षा के जगत में एक अनोखी क्रांति देखने को मिली.

पुस्तकालय के प्रकार –

व्यक्तिगत पुस्तकालय – व्यक्तिगत पुस्तकालयों की श्रेणी में व पुस्तकालय आते हैं जो लोग अपने घरों मैं एक अलग कमरे की व्यवस्था करके उसमें अपनी रुचि की किताबें रखते हैं और उन्हें पढ़ते हैं इन पुस्तकालय उसे सिर्फ उस घर के व्यक्ति ही शिक्षा ग्रहण कर सकते है.

विद्यालय, विश्वविद्यालय का पुस्तकालय – विद्यालय और विश्वविद्यालय के पुस्तकालय वहां के विद्यार्थी और शिक्षकों के लिए होते है जहां पर कई प्रकार की भाषाओं और ज्ञान वाली पुस्तकें पत्र पत्रिकाएं उपलब्ध होती है यह पर छोटे बच्चों के मनोरंजन के लिए चुटकुलों वाली किताबें भी उपलब्ध होती हैं वही शिक्षकों के लिए दैनिक अखबार उपलब्ध होता है.

सार्वजनिक पुस्तकालय – सार्वजनिक पुस्तकालय में दो श्रेणी के पुस्तकालय आते है जिसमें कुछ पुस्तकालय समाजसेवी ट्रस्ट द्वारा चलाए जाते हैं और कुछ सरकार के अनुदान द्वारा चलाए जाते हैं यहां पर कोई भी व्यक्ति आकर पुस्तके पढ़ सकता है.

चल-पुस्तकालय – चल पुस्तकालय वे पुस्तकालय होते है जो की मोटर वाहनों में संचालित होते हैं इन्हीं संचालित करने के लिए मोटर वाहनों में किताबे रखती जाती हैं और प्रतिदिन गांव गांव जाकर पुस्तकालय संचालित किए जाते है इन पुस्तकालय से किताबे कम मूल्य पर खरीदी भी जा सकती है.

डिजिटल पुस्तकालय – वर्तमान में इंटरनेट व्यवस्था और मोबाइल के सस्ते होने के कारण ज्यादातर लोग किताबों को मोबाइल और कंप्यूटर पर पढ़ना पसंद करते है. इसीलिए अब किताबों को पीडीएफ के रूप में बनाकर लोगों को पढ़ने के लिए उपलब्ध कराया जाता है यह विभिन्न वेबसाइटों की माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है जिनमें से एक हिंदी यात्रा भी है जिसे आप अभी पढ़ रहे है.

पुस्तकालय का महत्व –

पुस्तके मानव की सच्ची साथी होती है और इन को पढ़ने की लालसा सभी विद्यार्थियों और व्यक्तियों में होती है. उसको को पढ़ने से ज्ञान का संचार तो होता ही है साथ ही में व्यक्तिगत गुणों का विकास भी होता है शायद इसीलिए वृद्धावस्था में भी लोग किताबों से मोह नहीं छुड़ा पाते है.

सभी व्यक्तियों को नई नई किताबें पढ़ना पसंद होती हैं किसी की पसंद कोई लेखक विशेष की किताब होती है तो किसी की पसंद मनोरंजन वाली किताबें पढ़ने का होता है तो किसी का ज्ञान ज्ञान वाली पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का होता है लेकिन इसके लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होती है जो कि सभी व्यक्तियों के पास नहीं होता है.

यहीं पर पुस्तकालय अपनी अहम भूमिका निभाते हैं और हमें हर दिन नवीनतम और पुराने लेखों द्वारा लिखी गई किताबें एक जगह ही उपलब्ध करवाते है.

साथ ही इन पुस्तकालय में किताबें पढ़ने के लिए अधिक रुपयों की भी आवश्यकता नहीं होती है जिसके कारण समाज का प्रत्येक व्यक्ति पुस्तकालय में जाकर अपने पसंद की किताबें पढ़ सकता है और अपने जीवन को सुदृढ़ बना सकता है.

पुस्तकालयों ने हमारी शिक्षा व्यवस्था में रीड की हड्डी का काम किया है आज प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति अगर हर प्रकार की पुस्तक पढ़ पा रहा है तो यह सिर्फ पुस्तकालयों के कारण ही हो पाया है.

पुस्तकालय के नियम –

पुस्तकालय में पढ़ने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बहुत अधिक जरूरी होता है.

(1) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ते समय शांति व्यवस्था बनाए रखना जरूरी होता है.

(2) पुस्तकालय की किताबों और पत्र-पत्रिकाओं को फाड़ना एवं पर लिखना सख्त मना होता है.

(3) पुस्तकालय में शोर शराबा मचाने पर आपको कुछ करने में से निलंबित भी किया जा सकता है.

(4) यहां से ली गई किताबों को नियमित अवधि में वापस लौटाना आवश्यक होता है.

(5) पुस्तकालय में किसी भी प्रकार का कचरा फैलाने या फिर थूकना की सख्त मनाही होती है.

पुस्तकालय के लाभ –

(1) पुस्तकालय से हमें विभिन्न प्रकार की पुस्तकें पढ़ने का अवसर प्रदान होता है.

(2) यहां पर हम विभिन्न प्रकार की भाषाओं वाली किताबें पढ़ सकते है.

(3) यहां पर किताबें पढ़ने से मन एकाग्र रहता है क्योंकि पुस्तकालय कक्ष शांत होते है.

(4) पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए अधिक धन की आवश्यकता नहीं होती है.

(5) पुस्तकालय में सभी वर्गों के लोगों को किताब पढ़ने के लिए समान अवसर होता है.

(6) इनके माध्यम से हमारी शिक्षा व्यवस्था बहुत सुदृढ़ होती है.

(7) इनसे हमारे देश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में सहयोग मिलता है क्योंकि यहां पर ज्ञानवर्धक किताबें पढ़कर व्यक्ति अच्छा काम करता है.

वर्तमान में पुस्तकालयों की आवश्यकता –

वर्तमान में भी पुस्तकालय उतनी ही अहमियत रखते हैं जितनी कि वह पुराने जमाने में रखा करते थे खासकर हमारे भारत देश में आज भी पुस्तकालयों की कमी है क्योंकि हमारे देश में आज भी कई लोगों को शिक्षा उपलब्ध नहीं हो पाती है जिसका एक अहम कारण शिक्षा का वाणिज्य करण है जिसके कारण शिक्षा दिन-प्रतिदिन महंगी होती जा रही है.

इसीलिए पुस्तकालयों की महत्वता और अधिक बढ़ती जा रही है आज भी हमारे देश के गांव में पुस्तकालय देखने को नहीं मिलते है जिसके कारण वहां के गरीब लोग पढ़ लिख नहीं पाते हैं और अपना पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत करने को मजबूर हो जाते है.

अगर हमें हमारे देश के प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा देनी है तो हमें अच्छे पुस्तकालयों का विकास करना होगा. विदेशों में शिक्षा व्यवस्था इसीलिए सुदृढ़ है क्योंकि वहां के प्रत्येक गांव और शहर में एक पुस्तकालय जरूर होता है.

हमें भी प्रत्येक गांव में पुस्तकालय खोलने चाहिए जिससे हमारे देश का प्रत्येक बच्चा पढ़ लिख कर एक अच्छा व्यक्ति बनेगा और सामाजिक विकास के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में भी सहयोग करें.

उपसंहार –

प्रत्येक राष्ट्र की सांस्कृतिक और ज्ञान-विज्ञान के विकास के लिए पुस्तकालयों की बहुत आवश्यकता है. पुस्तकालय शिक्षा व्यवस्था की रीड की हड्डी माना जाता है यहां पर प्रत्येक व्यक्ति अपने ज्ञान की पिपासा को शांत कर सकता है.

अगर हमें हमारे देश में शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है तो प्रत्येक स्थान पर पुस्तकालयों की स्थापना की जानी बहुत आवश्यक है साथ ही उन्हें सुचारू रूप से चलाने की भी आवश्यकता है. अच्छे पुस्तकालयों से हमारे देश के भविष्य का निर्माण अधिक तेजी से होगा.

इसीलिए हमें पुस्तकालयों की अहम भूमिका समझते हुए इन्हें सामाजिक और सरकारी अनुदान से बढ़ावा देना होगा.

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हम आशा करते है कि हमारे द्वारा Essay on Library in Hindi  आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर करना ना भूले। इसके बारे में अगर आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

22 thoughts on “5+ पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi”

Thnx for this paragraph ☺️🥰🥰

Mujhe tou bohot acha laga.

thank you for this paragraph or as known as best essay this help me a lot thanks a lot I have no more words for appreciation now 🙂

Thank you for the essay this is so easy to learn other then any other

Thanks for this wonderful essay it helped me a lot thanks 🙏

Welcome Arsha

ok ok ok ko ko ok ok o o o kok o k

Good this is your good thoughts give me more thought thanks

Welcome Pranjal Singh Meena

Pustakalay ruprekha

Best essay in pustkalay ka mahtva.

Thank you Akshay Pandey for appreciation

आपने 11 क्लस के लिए कियो नही लिखी?

Rahima sagol, हमने यह निबंध कक्षा 11 के लिए भी लिखा बस हम लिखना भूल गये, अब हमने अपनी भूल को सही कर लिया. सुझाव के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद.

Mahabidhyalay ke liye kyo nhi a rha nibandh

Sonam ji aap yah dekhe Mera Vidyalaya Essay in Hindi – मेरा विद्यालय पर निबंध

Pustkalay samagri k chhati k kya karan hai…

Rakesh kumar mishra, hum is bare me jald hi likhnge

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पुस्तकालय पर निबंध (Essay On Library In Hindi)

Essay On Library In Hindi

In this Article

पुस्तकालय पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Library In Hindi)

पुस्तकालय पर निबंध 200-300 शब्दों में (short essay on library in hindi in 200-300 words), पुस्तकालय पर निबंध 400-600 शब्दों में (essay on library in hindi in 400-600 words), पुस्तकालय के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है (what will your child learn from a library essay), अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न(faqs).

पुस्तकालय एक ऐसी जगह होती है जहां कई तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तकें, जानकारियां, अनुसंधान, सूचनाएं आदि हासिल होती हैं। पुस्तकालय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। पुस्तक और आलय, ये मिलकर पुस्तकालय बनाता है, जिसका आसान भाषा में अर्थ पुस्तक या किताबों का घर होता है। यहां पर आपको ज्ञान, विज्ञान, साहित्य, राजनिति विज्ञान और अलग-अलग भाषाओं का संग्रह मिलता है। छात्रों के लिए पुस्तकालय महत्वपूर्ण माना जाता है जिससे उन्हें अलग-अलग किताबों से ज्ञान हासिल हो सके। पुस्तकालय सिर्फ स्कूल में ही नहीं बल्कि कॉलेज, सरकारी कार्यालयों और निजी पुस्तकालय के रूप में होते हैं। यही नहीं देश के विकसित होने के साथ-साथ अब पुस्तकालय भी विकसित हो गए हैं क्योंकि अब डिजिटल लाइब्रेरी भी होने लगी जिनसे लोग घर बैठे अपने फोन एवं लैपटॉप पर भी किताबें आसानी से पढ़ सकते हैं। पुस्तकालय को ज्ञान का भंडार कहा जाता है और यहां लोग शांति भरे माहौल में अपनी किताबों का आनंद उठाते हैं। इस लेख में पुस्तकालय के बारे में निबंध कैसे लिखा जा सकता है इसके बारे में और उसकी महत्ता, जरूरत आदि के बारे में बताया गया है। अगर बच्चों को स्कूल में लाइब्रेरी पर एस्से लिखने को दिया गया है तो यहाँ निबंध के कुछ सैंपल दिए गए हैं जिनसे उसे मदद मिल सकेगी।

पुस्तकालय और उसके भूमिका के बारे में सभी को जानकारी होगी, ऐसे में जानिए कि इससे जुड़ी अहम 10 बातों को बिंदुवार कैसे बताया जाए। इनकी मदद से बच्चा 100 शब्दों का एक संक्षिप्त निबंध भी लिख सकता है।

  • पुस्तकालय को ज्ञान का भंडार माना जाता है।
  • यह दो शब्दों से मिलकर बना है – पुस्तक+आलय।
  • यहां ज्ञानवर्धक किताबों के साथ मनोरंजक किताबें भी उपलब्ध की जाती हैं।
  • पुस्तकालय में अलग-अलग विषयों की किताबों को बिना खरीदे पढ़ने की सुविधा मिलती है।
  • पुस्तकालय में जाने और किताबें पढ़ने के अपने नियम होते हैं।
  • लाइब्रेरी में किताब पढ़ते समय शोर मचाने की सख्त मनाही होती है।
  • यहां पर विषयों के हिसाब से किताबों के संग्रह बनाए जाते हैं ताकि ढूंढने में आसानी हो।
  • विद्यार्थियों के लिए पुस्तकालय न केवल किताबें मिलने की बल्कि शांति में पढ़ाई करने की भी जगह होती है।
  • इसके कई प्रकार हैं जैसे निजी, सार्वजानिक, विद्यालय, डिजिटल पुस्तकालय आदि।
  • सभी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थाओं में पुस्तकालय का होना अनिवार्य माना जाता है।

निबंध लिखना भी एक कला है और इस कला को सही ढंग से समझना जरूरी है ताकि बच्चा कम शब्दों में एक अच्छा एस्से लिख सके। नीचे पुस्तकालय पर लिखे निबंध का उदाहरण आप ले सकते हैं।

पुस्तकालय का मतलब होता है किताबों का घर। यह एक ऐसा स्थान है जहां हर विषय से जुड़ी किताबें आसानी से एक जगह पर मिल जाती हैं। इसलिए ही इसे लोग ज्ञान का भंडार भी कहते हैं। हर स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में पुस्तकालय अवश्य होता है। इसमें छात्र अपनी रूचि के अनुसार किताबें चुनकर पढ़ सकते हैं। यह सिर्फ छात्रों के लिए ही नहीं बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए बना है जिसे ज्ञानवर्धक चीजें जानने की उत्सुकता हो, शिक्षा हासिल करनी हो और पढ़ने में रूचि हो। पुस्तकालय में सिर्फ पुस्तकें ही नहीं बल्कि समाचार पत्र, ऐतिहासिक पत्र और विभिन्न प्रकार के शब्दकोश भी मौजूद होते हैं। ज्ञान के साथ-साथ यहां मनोरजक किताबें भी पढ़ने को मिलती हैं जैसे मैगजीन, कॉमिक बुक, स्टोरी बुक आदि। पुस्तकालय वास्तव एक बड़ा सा कमरा या कभी-कभी एक पूरी बिल्डिंग भी हो सकती है, जिसमें कई अलमारियां और शेल्फ होती हैं। यहाँ हर एक विषय के हिसाब से किताबों को रखा जाता है। इसके अलावा प्रत्येक किताब का एक सीरियल नंबर होता है। ऐसा करने से किताबें आसानी से मिल जाती हैं। पुस्तकालय के अपने नियम होते हैं और इनका पालन करना जरूरी है। यहां पर तेज आवाज में बात करना या शोर मचाना सख्त मना है। यहां लाइब्रेरी कार्ड बनाया जाता है, जिसके आधार पर आप किताब पढ़ने के लिए कुछ दिन के लिए घर ले जा सकते हैं और तय समय के बाद वापस कर सकते हैं। यदि आपने किताब वापस नहीं की तो आप पर फाइन भी लगता है। आजकल पुस्तकालय डिजिटल अवतार में भी मौजूद है और लोग इसका लाभ घर बैठे उठा रहे हैं।

Short Essay on Library in Hindi

पुस्कालय में हमें हर तरह का ज्ञान हासिल होता है और छात्रों के लिए इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि आपके बच्चे को भी लाइब्रेरी जाना पसंद और वह उसके बारे में निबंध लिखना चाहता है तो इस सैंपल की मदद से वो सरल शब्दों में एक अच्छा निबंध लिख सकता है।

भारत में पुस्तकालय की शुरुआत (Establishment of library in India)

भारत के राष्ट्रीय पुस्तकालय (नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया) की शुरुआत कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी से हुई थी, जिसकी स्थापना साल 1835 में हुई थी और जनता के लिए इसे मार्च 1836 में खोला गया था। वर्ष 1844 में तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड मेटकॉफ ने इस पुस्तकालय को एक बड़े भवन में स्थानांतरित कर दिया। 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम भड़कने के बाद यूरोपीय समुदायों ने पुस्तकालय को अनुदान देना बंद कर दिया और साल 1859 में इस पुस्तकालय को कलकत्ता नगरपालिका ने अपने प्रबंधन में ले लिया था।

पुस्तकालयों के प्रकार (Types of Library)

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं, आइए उन प्रकारों की विशेषता जानते हैं –

  • व्यक्तिगत पुस्तकालय
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय
  • सार्वजनिक पुस्तकालय
  • सरकारी पुस्तकालय

पुस्तकालय के फायदे (Benefits Of Library)

1. ज्ञान की प्राप्ति.

पुस्तकालय से हमें हर तरह की ज्ञानवर्धक बातें जानने को मिलती है। जैसे इंसान के शरीर को ढंग से कार्य करने के लिए पोषण की जरूरत होती है वैसे ही उसके दिमाग को ज्ञान की आवश्यकता होती है ताकि वह सही तरीके से कार्य कर सके। यहां आप अपने पसंद के विषय को शांति से पढ़कर ज्ञान बढ़ा सकते हैं।

2. मनोरंजन का साधन

वैसे तो आजकल मनोरंजन के कई साधन मौजूद हैं, लेकिन किताबें पढ़कर मनोरंजन पाना एक स्वस्थ मनोरंजन माना जाता है। ये खाली समय का दुरुपयोग न करने सदुपयोग करने का सबसे बेहतरीन तरीका माना जाता है।

3. छात्रों और शिक्षकों के लिए उपयोगी

विद्यार्थी व शिक्षक दोनों के लिए पुस्तकालय बड़े मददगार साबित होते हैं। वे अपने बौद्धिक ज्ञान तथा सामान्य ज्ञान व जानकारी में वृद्धि आसानी से कर सकते हैं।

पुस्तकालय का महत्व (Importance Of Library)

हिन्दू समाज में पुस्तकालय को ज्ञान का मंदिर माना जाता, क्योंकि यहां व्यक्ति ज्ञान के रूप में धन हासिल करता है और अपने अज्ञान के अंधकार को कम करता है। पुस्तकालय समाज और राष्ट्र की दिशा और दशा बदलने की क्षमता रखता है। यह व्यक्ति को मानसिक तौर से सक्षम बनाता और उसकी बुद्धि विकसित करता है। यहां से मिलने वाले ज्ञान से वह न सिर्फ अपने जीवन को बेहतर बना सकता है बल्कि समाज का विकास भी कर सकता है।

पुस्तकालय के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Library in Hindi)

  • दुनिया की सबसे पहली लाइब्रेरी का इतिहास ईसा पूर्व 7वीं शताब्दी का है।
  • 19वीं शताब्दी में पुस्तकालय में काम करने वालों को लिखावट की एक विशेष की शैली सीखनी पड़ती थी जिसे ‘लाइब्रेरी हैंड’ कहा जाता था।
  • सार्वजनिक पुस्तकालयों से सबसे अधिक बार चोरी होने वाली पुस्तक गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स है।
  • 2011 में ऑस्ट्रेलिया में कैमडेन स्कूल ऑफ आर्ट्स की लाइब्रेरी में चार्ल्स डार्विन की एक किताब का पहला संस्करण लौटाया गया था। यह पुस्तक वर्ष 1889 में किसी को दी गई थी और लगभग 122 साल बाद वापस लौटाई गई थी।
  • पोलैंड की राजधानी वॉरसॉ प्रति व्यक्ति पुस्तकालयों की सबसे बड़ी संख्या वाला शहर है। यह 100,000 नागरिकों पर 11.5 पुस्तकालय हैं।

पुस्तकालय पर आधारित इस निबंध से आपके बच्चे को यही सीख मिलती है कि किताबें पढ़ना जीवन का आधार है क्योंकि इससे हमें तरह का ज्ञान हासिल होता है। यह ज्ञान न सिर्फ आपके व्यक्तिगत कल्याण हेतु कार्य करता है बल्कि समाज के विकास में भी मदद करता है। इसकी अहमियत सिर्फ छात्रों के जीवन में ही नहीं बल्कि शिक्षकों, किताबों में रूचि रखने वाले, ज्ञान हासिल करने वाले लोगों के लिए भी है। ऐसे में इस आप इस निबंध की सहायता से अपने शब्दों में एक बेहतरीन एस्से लिख सकते हैं।

1. दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय किस देश में स्थित है ?

दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय अमेरिका में स्थ‍ित है, जिसका नाम लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस है।

2. भारत में पुस्तकालय का जनक किसे कहा जाता है?

एस.आर. रंगनाथन भारत में पुस्तकालय के जनक माने जाते हैं।

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पुस्तकालय पर निबंध (Library Essay In Hindi)

जहाँ ज्ञान का भण्डार एक साथ हमें मिल जाये, जहाँ ज्ञान की बढ़ोतरी होती है, जहा हम हमारे समय का सदुपयोग करते है, उसे हम पुस्तकालय कहते है। पुस्तकालय में तरह-तरह की ज्ञानवर्धक पुस्तके पड़ने को हमे मिलती है। जिन्हें कोई भी पुस्तक प्रेमी जाकर पड़ सकता है।

पुस्तकालय के रूप

आप पुस्तकालय में कोपी ओर कलम के अलावा कुछ नहीं ले जा सकते है। पुस्तकालय के बाहर निकलते वक्त समय, तारीख, दिन और हस्ताक्षर कर आई कार्ड वापस ले लिया जाता है।

वैसे तो अलग-अलग पुस्तकालय के अपने -अपने नियम होते हैं। परंतु फिर भी कुछ नियम प्रत्येक पुस्तकालय में लागू किए जाते हैं। पुस्तकालय में आने जाने के लिए कुछ सामान्य नियम बना दिये गए है।

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पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध Essay on Library in Hindi:  पुस्तकालय अर्थात लाइब्रेरी हमारे सामाजिक और शैक्षिक जीवन का एक अहम स्थान हैं. आज का निबंध पुस्तकालय पर हिंदी में दिया गया हैं. स्कूल स्टूडेंट्स या कॉलेज के विद्यार्थी प्रोजेक्ट के रूप में लाइब्रेरी एस्से का उपयोग कर सकते हैं.

Essay on Library in Hindi- पुस्तकालय पर निबंध

essays on ‘Library ‘ for Class 1, 2, 3, 4, 5,  6, 7, 8, 9, 10 कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए Library Essay पुस्तकालय निबंध  यहाँ पर 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में दिया गया हैं.

प्रत्येक स्कूल में एक पुस्तकालय भवन होता है, जिसमें छात्रों तथा अध्यापकों के पढ़ने के लिए विविध प्रकार की ज्ञानवर्धक पुस्तकों तथा पत्रिकाओं का संग्रह रहता हैं.

बच्चों को मेरे विद्यालय के पुस्तकालय पर छोटा बड़ा निबंध (hindi essay pustakalaya) आदि लिखने को कहा जाता हैं. आप हमारे इस निबंध की मदद से एक बेहतरीन पुस्तकालय निबंध को प्रस्तुत कर सकते हैं.

पुस्तकालय पर निबंध-

विद्यालयों तथा कॉलेज में पुस्तकालय स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना है जहां पर उन्हें डिस्टर्ब करने वाला कोई भी ना हो और यही वजह है कि लाइब्रेरी में पुस्तकें पढ़ते वक्त हम ध्यानमग्न हो जाते है। क्योंकि यहां पर हम जो भी पढ़ते हैं, वह शांत वातावरण होने के कारण सीधा हमारे दिमाग में बैठ जाता है।

लाइब्रेरी की स्थापना हो जाने के कारण अब लोगों को विभिन्न प्रकार के विषयों से संबंधित ज्ञानवर्धक किताबें एक ही जगह पर मिल जाती है, साथ ही कुछ पुस्तकालय ऐसे भी हैं जो फ्री में लोगों को पुस्तकालय में आकर के किताब पढ़ने का मौका देते हैं। इससे हम अपनी मनपसंद किताब पढ़ सकते हैं और अपने ज्ञान में बढ़ोतरी कर सकते हैं।

पुस्तकालय के स्थापित होने का सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी को मिला है तो वह लोग गरीब समुदाय के लोग ही हैं, क्योंकि इन लोगों के पास किताबें खरीदने के लिए कभी कबार पैसे नहीं होते हैं। यही वजह है कि सार्वजनिक पुस्तकालयों में जाकर के वे लोग भी अपनी पसंदीदा किताब पढ़ अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते है।

पुस्तकालय के अंदर हमें पॉलिटिक्स, जाति, धर्म, कला, साइंस,राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित किताबे आसानी से पढ़ने के लिए मिल जाती है। इससे हमें विभिन्न प्रकार की घटनाओं का ज्ञान होता है जो प्रतियोगी परीक्षा में हमारे लिए काफी काम आता है।

पुस्तकालय में आपको अंग्रेजी भाषा के अलावा हिंदी तथा अन्य कई भाषाओं की किताबें भी आसानी से मिल जाती है। साहित्य प्रेमी के लिए तो पुस्तकालय साक्षात स्वर्ग के समान होता है।

पुस्तकालय पर निबंध (Essay on Library in Hindi)

पुस्तकालय वह स्थान है भिन्न भिन्न तरह के ज्ञान, जानकारों, सन्दर्भ एवं सेवाओं का विस्तृत संग्रह रहता हैं. पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के लाइब्रेरी शब्द का हिंदी रूपान्तरण हैं.

लेटिन भाषा के लाइवर शब्द से इसकी उत्पत्ति मानी जाती हैं, जिसका अर्थ होता है पुस्तक. पुस्तकालय की हिस्ट्री लेखनी प्रणाली तथा पुस्तक व दस्तावेजों को उसी स्वरूप में लम्बे समय तक रखने की प्रणाली से साथ शुरू हुआ था.

हिंदी शब्द पुस्तकालय एक संधि शब्द हैं जो पुस्तक+आलय दो भिन्न शब्दों से मिलकर बना हैं जिनका आशय उस स्थान से हैं जहाँ पढ़ने की सामग्री पुस्तकें, फिल्म, पत्रपत्रिकाएँ, मानचित्र, हस्तलिखित ग्रंथ, ग्रामोफोन रेकार्ड एव अन्य पठनीय सामग्री आदि का विस्तृत संग्रह किया गया हो.

हालांकि कई बुक स्टॉल पर भी अलमारियां भरी ढेरों पुस्तके होती हैं मगर व्यवसायिक दृष्टि से पुस्तक संग्रह होने के कारण उसे पुस्तकालय की श्रेणी में नहीं गिना जाता हैं.

आज हम बच्चों के पुस्तकालय पर निबंध लेकर आए हैं. स्कूल में कई बार बच्चों को पुस्तकालय के महत्व पर निबंध लिखने को कहा जाता हैं, आप यहाँ दिए गये निबंध को अपने शब्दों में छोटा बड़ा करके उपयोग कर सकते हैं.

पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

पुस्तकालय (पुस्तक+आलय) शब्द का अर्थ हैं पुस्तकों का घर. वह स्थान जहाँ पुस्तकों का संग्रह किया जाता हैं. पुस्तकालय कहा जाता हैं. पुस्तकालय में अनेक विषयों की पुस्तकें विषयानुसार क्रम से लगी रहती हैं. इनमें से लोग अपनी रूचि और आवश्यकता के अनुसार पुस्तकें पढ़कर हमारा ज्ञान बढ़ाते हैं.

पुस्तकालयों के प्रकार (types of library in hindi) – पुस्तकालय मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, निजी पुस्तकालय और सार्वजनिक पुस्तकालय.

निजी पुस्तकालय वह होता हैं जो अपने ही घर के लिए स्थापित करते हैं. ऐसे पुस्तकालय में केवल एक ही व्यक्ति या परिवार की रूचि की पुस्तके होती हैं.

सार्वजनिक पुस्तकालय आम जनता के लिए होता हैं. ऐसे पुस्तकालयों का संचालन तीन तरह से होता हैं. व्यक्तिगत स्तर पर, पंचायती स्तर पर और सरकारी स्तर पर. कुछ धनी लोग अपने ही पैसों से पुस्तकालय खुलवाकर लोगों की मदद करते हैं. ये व्यक्तिगत पुस्तकालय कहलाते हैं.

मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर तथा विद्यालयों द्वारा संचालित पुस्तकालय पंचायती होते हैं. इनके अतिरिक्त सरकार भी कुछ पुस्तकालय चलाती हैं.

पुस्तकालय की उपयोगिता-  पुस्तकालय ज्ञान के भंडार होते हैं. जिनके पास विद्यालय जाने का समय नही हैं, वे लोग पुस्तकालय की पुस्तकों से अपना ज्ञान बढ़ाते हैं. आज पुस्तकों के मूल्य बढ़ गये हैं.

इसलिए सब लोग उन्हें खरीद नही पाते हैं. किन्तु पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर तो सभी पढ़ सकते हैं. इस प्रकार निर्धन व्यक्तियों के लिए पुस्तकालय विशेष लाभदायक होते हैं.

पुस्तक पढ़ना खाली समय बिताने का एक अच्छा साधन हैं. जब हमारे पास कोई काम नही होता है तो हमारा दिमाग बहुत सी अनुचित बाते सोचने लगता हैं. इस प्रकार पुस्तकालय हमें बुरी आदतों से बचाकर अच्छा नागरिक बनाते हैं.

पुस्तकालय में वे ही लोग आते हैं. जो ज्ञान बढ़ाना तथा स्वयं को सुधारना चाहते हैं. इस प्रकार पुस्तकालय में जाने से हमारी भले लोगों से भेट होती हैं इससे आपसी प्रेम भी बढ़ता हैं.

उपसंहार-  पुस्तकालय हमारे सच्चे मित्र होते हैं. वे हमें उबने नही देते. वे हमारा मनोरंजन करते तथा ज्ञान बढ़ाते हैं.

पुस्तकालय के लाभ हिंदी निबंध

मानव शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक संतुलित भोजन की आवश्यकता होती हैं. उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक हैं.

यदि हमे ज्ञान की प्राप्ति करनी है तो इसके लिए मस्तिष्क को गतिशील बनाना पड़ता हैं. ज्ञान प्राप्ति का सबसे सरल रास्ता विद्यालय में जाकर गुरूजी से अध्ययन करना होता हैं. तथा इसका दूसरा माध्यम पुस्तकालय होते हैं.

किसी व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति के लिए विविध संस्थानों में प्रवेश के लिए बहुत सारी राशि खर्च करनी पड़ती हैं. मगर इन्ही के विकल्प के रूप में सरकार द्वारा सरकारी विद्यालय खोले जाते है.

इसमें छात्रों तथा अध्यापकों के पढ़ने के लिए एक अलग कक्ष का प्रावधान होता हैं जिसे हम पुस्तकालय कहते हैं. इससे हर वह व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर सकता हैं, जिसको पढने में रूचि एवं लग्न हो.

पुस्तकालय का अर्थ होता है पुस्तक घर अथवा जहाँ किताबों को सहेज कर रखा जाता हैं. इस हिसाब से उन सभी रूम, म्यूजियम अथवा शॉप्स को पुस्तकालय की श्रेणी में गिना जाता हैं.

जहाँ ढेरों नवीन प्राचीन पठन पाठन के लिहाज से उपयोगी पुस्तकों का संग्रह किया जाता हो. मानव के लिए पुस्तके ज्ञान की उपहार है तो पुस्तकालयों को ज्ञान भंडार कह सकते हैं. जो ज्ञान राशि रुपी मूल्यवान पुस्तकों का भंडारण करके रखता हैं.

पुस्तकालय का महत्व (Importance of Library in Hindi)

हमारे लिए पुस्तकालय ज्ञान मन्दिर अथवा जहाँ स्वयं देवी सरस्वती विराजमान होती हैं वह स्थान हैं जहाँ मनुष्य ज्ञान रुपी धन को पाकर जीवन के अज्ञान रुपी अँधेरे को दूर कर पाता हैं. ये हमें प्रत्यक्ष ज्ञान प्रदान करते हैं.

समाज तथा राष्ट्र की दशा व दिशा के निर्धारण में पुस्तकालयों की अहम भूमिका होती हैं. मानव के विकास में पुस्तकीय ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई हैं. हमारे मस्तिष्क, बुद्धि, दृष्टिकोण के विकास में पुस्तक तथा पुस्तकालय का अहम योगदान होता हैं.

हम पुस्तकीय ज्ञान पाकर न केवल अपने जीवन को समर्थ बना सकते हैं बल्कि देश समाज तथा मानवता के कल्याण के कार्य भी कर सकते हैं. हर व्यक्ति अपनी मनचाही पुस्तक को बाजार से लाकर नहीं पढ़ सकता हैं.

वह आर्थिक रूप से इतना सबल नहीं होता कि पुस्तकों पर व्यय कर सके. अथवा दुर्लभ ग्रंथ तथा पुस्तकों को कहीं से मंगवा सके. पुस्तकालय उन लोगों की बड़ी मदद करता हैं.

यह उन पुस्तकों का भी एकमात्र स्रोत हैं जिनका वर्तमान में प्रकाशन नहीं किया जाता हैं. यह पुस्तक मन्दिर ही अमूल्य धरोहर रुपी पुस्तकों की प्रतियों को समाज के लिए सहेजकर रखता हैं.

पुस्तकालयों के प्रकार (Types of Library)

पुस्तकालय अपने स्वरूप के आधार पर भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें से कुछ ये हैं.

  • व्यक्तिगत पुस्तकालय
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय के पुस्तकालय
  • सार्वजनिक पुस्तकालय
  • सरकारी पुस्तकालय

सरकारी तथा सार्वजनिक प्रकार के पुस्तकालय आज के दौर में बेहद कम देखने को मिलते हैं. बड़े बड़े नगरों शहरों में है भी तो लोगों को इस सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी नहीं रहती हैं. विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के पुस्तकालयों का क्षेत्र सीमित होता हैं.

इसमें स्कूल कॉलेज में पढाए जाने वाले विषयों से सम्बन्धित ही नवीन तथा प्राचीन लेखकों की पुस्तकें ही रहती हैं. आज के समय में बड़ी संख्या में व्यक्तिगत पुस्तकालय चलन में हैं.

हर छोटे बड़े शहर में इस प्रकार के पुस्तकालय देखने को मिल जाएगे. जहाँ निर्धारित फीस देकर शांत एवं व्यवस्थित माहौल के मध्य पुस्तकों का अध्ययन किया जा सकता हैं.

पुस्तकालय से लाभ (Benefits of Library)

पुस्तकालय मानव जाति के कल्याण की राह दिखाने वाले केंद्र हैं इसके कुछ फायदे इस प्रकार हैं.

ज्ञान की प्राप्ति (Knowledge Gain)

शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य मानव के मस्तिष्क का विकास हैं. वह अपने पसंद के विषयों को पढकर ज्ञान प्राप्त करता हैं. विद्याल यों में सीमित पुस्तकीय व व्यवहारिक ज्ञान की प्राप्ति होती हैं.

बच्चें मात्र चंद पुस्तकों को पढकर अगली कक्षा में प्रवेश कर जाते हैं. उन्हें अपने विषय का पूर्ण ज्ञान पटापट नहीं होता है. विषयवार ज्ञान को विस्तृत दायरे में पढ़ने के लिए विविध पुस्तकों को पढना पड़ता हैं.

मनोरंजन का स्वस्थ साधन (Library as a Entertainment)

आज मनोरंजन के सैकड़ों साधन हो गये हैं व्यक्ति अपने खाली समय का उपयोग मनोरंजन के लिए कभी फिल्म, खेल, गेम्स आदि में व्यतीत करते हैं. पुस्तकालय मनोरंजन एवं खाली समय के सदुपयोग का सबसे बेहतरीन साधन हैं.

पुस्तकें न केवल हमें संसार के सम्बन्ध में हमारे ज्ञान को बढ़ाती हैं बल्कि हमारे विचार तथा दृष्टिकोण को भी परिपक्व बनाती हैं. पुस्तकों से मानसिक विकास को गति मिलती हैं तथा अपने रूचि के अनुसार खाली समय में अच्छी पुस्तकों को पढकर मनोरंजन भी कर सकते हैं.

दुर्लभ पक्षियों की प्राप्ति के साधन

पुस्तकालय अतीत और वर्तमान के बीच सेतु का कार्य करते हैं. किसी विषय पर शोध, अनुसन्धान में ये पुस्तकें बड़ी मददगार साबित होती हैं. जहाँ हम दुलर्भ विषयों के सम्बन्ध में जानकारी पा सकते हैं. पुस्तकालय में आसानी से प्रत्येक विषय से सम्बंधित दुर्लभ पुस्तकें आसानी से मिल जाती हैं.

पठन-पाठन में सहयोगी (Beneficial for both Student and Teachers)

विद्यार्थी व शिक्षक दोनों के लिए पुस्तकालय बड़े मददगार साबित हो सकते हैं. अपने बौद्धिक ज्ञान तथा सामान्य ज्ञान व जानकारी में वृद्धि आसानी से कर सकते हैं.

उपसंहार (Conclusion)

यही मायनों में पुस्तकालय ही ज्ञान के मन्दिर हैं जो हमें विविध विषयों की पुस्तके सुलभता से उपलब्ध करवाकर मानव जीवन को वास्तविक अर्थ प्रदान करते हैं.

सरकार व समाज को चाहिए कि वे अपने नागरिकों को लिए ऐसे अधिक से अधिक पुस्तकआलयों की स्थापना करे तथा उनका सही ढंग से संचालन किया जाए.

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Thank you. Sir/ma’am

Thank you sir /Ma’am

I,m a school student

I’m a school student My name is Pavithra and I am using my mother’s phone

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दरअसल हम जिस हिंदी फॉण्ट को उपयोग कर रहे हैं उसमें पूर्ण विराम के लिए अंग्रेजी का फुल स्टॉप … ही हैं जबकि हिंदी के पूर्ण विराम की खड़ी लाइन | भी हम उपयोग करने की कोशिश करेगे. आप हमसे निरंतर जुड़े रहे इसके लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन करते हैं. हम आपकी आशाओं पर खरा उतरने का प्रयत्न करेंगे|

Thank you Sir.

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पुस्तकालय पर निबंध Essay on library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध | Essay on library in Hindi

अगर आप पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi) तो इस आर्टिकल के माध्यम से आसानी से पुस्तकालय पर निबंध लिख सकते है | इस निबंध में पुस्तकालय कि भूमिका, व्युत्पत्ति, प्रकार, लाभ आदि के बारे में लिख पायेंगे |

पुस्तकालय पर निबंध Essay on library in Hindi

Table of Contents

भूमिका : pustakalaya ka mahatva nibandh

जिस प्रकार सन्तुलित आहार से हमारी देह पुष्ट होती है, उसी प्रकार मानसिक विकास लिए अध्ययन तथा स्वास्थ्य का बड़ा महत्त्व है। इस संसार में ज्ञान के समान कोई अन्य वस्तु पवित्र नहीं। ज्ञान के अभाव में मानव तथा पशु में कोई अन्तर नहीं होता। ज्ञान ही ईश्वर है तथा सत्य एवं आनन्द है। ज्ञान प्राप्त करने के अनेक साधन है।

इनमें सत्संग, देशाटन तथा सद्यन्यों का अध्ययन है। इन सब में पुस्तकों को ज्ञान प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन माना गया है। पुस्तकें ज्ञान राशि के अथाह भंडार को अपने में संचित किए रहती हैं। इनके द्वारा घर बैठे हजारों वर्षों के सग्रन्थों की प्राप्ति होती है जो हमें पुस्तकालयों से होती है। इनमें हम विज्ञान से परिचित हो सकते हैं।

पुस्तकालय शब्द कि व्युत्पत्ति

पुस्तकालय दो शब्दों के योग से बना है-पुस्तक + आलय । इसका शाब्दिक अर्थ है-पुस्तकों का घर । केवल पुस्तकों को एक स्थान पर एकत्रित करने अथवा एक कमरे में भर देने से पुस्तकालय नहीं बन जाता। पुस्तकालय तो एक ऐसा स्थान है जिसके उपयोगादि का सुनियोजित विधान होता है।

पुस्तकालय के प्रकार

पुस्तकालय विभिन्न प्रकार के होते हैं। इनमें से प्रथम प्रकार के पुस्तकालय वे हैं जो विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में विद्यमान हैं। दूसरे प्रकार के निजी पुस्तकालय हैं, जिनके स्वामी तथा उपयोग करने वाले प्रायः एक ही व्यक्ति होते हैं। अध्यापकों, वकीलों, डॉक्टरों, साहित्यकारों, राजनीतियों तथा अन्य ज्ञान पिपासुओं एवं धनाढ्‌यों के पुस्तकालय इसी श्रेणी में आते हैं।

तीसरे प्रकार के पुस्तकालय वर्गगत होते हैं-इनका स्वामी कोई सम्प्रदाय या वर्ग होता है। इन पुस्तकालयों का प्रयोग केवल इन्हीं सम्प्रदायों अथवा संस्थाओं से संबद्ध व्यक्ति कर पाते हैं। चौथे प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं। ये भी प्रायः संस्थागत अथवा राजकीय होते हैं। इनका सदस्य कोई भी हो सकता है। ये भी दो प्रकार के हो सकते हैं-स्थायी एवं चलते-फिरते।

इसके अतिरिक्त चल व्यापारिक पुस्तकालय भी होते हैं, जो बसों या रेलगाड़ियों में होते हैं। इन सबके अतिरिक्त राजकीय पुस्तकालय भी होते हैं, जिनकी व्यवस्था सरकार द्वारा होती है तथा इनका प्रयोग विशेष व्यक्तियों तक सीमित होता है। ये जन-साधारण की पहुँच से बाहर होते हैं।

पुस्तकालय से लाभ

पुस्तकालय से अनेक लाभ हैं। ये ज्ञान का सक्षम भण्डार हैं। पुस्तकालय एक ऐसा स्रोत है, जहाँ से ज्ञान की निर्मल धारा सदैव बहती रहती है। रामचन्द्र शुक्ल ने ठीक कहा है- “पुस्तकों के द्वारा हम किसी महापुरुष को जितना जान सकते हैं, उतना उनके मित्र क्या पुत्र तक भी नहीं जान सकते।” एक ही स्थान पर विभिन्न भाषाओं, धर्मों, विषयों, वैज्ञानिकों, आविष्कारों और ऐतिहासिक तथ्यों से सम्बन्धित पुस्तकें केवल पुस्तकालय में ही उपलब्ध हो सकती हैं।

पुस्तकालय के द्वारा हम आत्मबुद्धि तथा आत्म-परिष्कार कर सकते हैं। पुस्तकों से एक ऐसी ज्ञान-धारा बहती है, जो हमारे हृदय तथा मस्तिष्क का विकास करती है। एकान्त तथा शान्त वातावरण में अध्ययनशील होकर कोई भी व्यक्ति ज्ञान की अनेक मणियाँ प्राप्त कर सकता है। इस स्थान पर विभिन्न देश तथा कालों के अमूल्य अप्राप्य ग्रन्थ, सुलभता से मिल सकते हैं। पुस्तकों के अध्ययन से हमारा सामान्य ज्ञान भी बढ़ता है।

आधुनिक महँगाई और निर्धनता में प्रत्येक व्यक्ति के लिए अधिक ग्रन्थों का क्रय करना संभव नहीं है। पुस्तकालयों में नाममात्र का शुल्क देकर अथवा मुफ्त सदस्यता प्राप्त करके अनेक ग्रन्थों का अध्ययन किया जा सकता है। पुस्तकालय में जाकर हमारा पर्याप्त मनोरंजन भी होता है। यहाँ हम अपने अवकाश के क्षणों का सदुपयोग कर सकते हैं, पुस्तकालय में बैठने से अध्ययन वृति को बढ़ावा मिलता है तथा गहन अध्ययन संभव होता है। महात्मा गाँधी कहा करते थे- “भारत के प्रत्येक घर में पुस्तकालय होना चाहिए।”

पुस्तकालय सामाजिक महत्त्व की जगह है। अतः यहाँ के ग्रन्थों को बरबाद नहीं करना चाहिए। पुस्तकें समय पर लौटनी चाहिए तथा उनके पृष्टों को गन्दा नहीं करना चाहिए और न ही पृष्ठ फाड़ने अथवा चित्र काटने चाहिए। पुस्तकालय में बैठ कर शान्तिपूर्वक अध्ययन करना चाहिए। पुस्तक जहाँ से निकाली है, अध्ययनोपरान्त पुस्तक वहीं रख दी जानी चाहिए।

उपसंहार : पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi)

आज हमारे देश में अनेक पुस्तकालय हैं परन्तु अभी भी अच्छे पुस्तकालयों की बहुत कमी है। इस अभाव को दूर करना सरकार का कर्त्तव्य है। अशिक्षा, निर्धनता अधिकारियों की उपेक्षा आदि के कारण हमारे देश में पुस्तकालयों की हीन दशा है। पुस्तकालयों का छात्रों के लिए विशेष महत्त्व है। अच्छे पुस्तकालय राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अतः सरकार तथा अन्य संस्थाओं को चाहिए कि अच्छे पुस्तकालयों की स्थापना करें। पुस्तक के महत्त्व पर लोकमान्य तिलक ठीक ही कहा करते थे-‘मैं नरक में भी उत्तम पुस्तकों का स्वागत करूँगा, क्योंकि पुस्तकें जहाँ होंगी। वही स्वर्ग आ जाएगा।

पुस्तकालय पर निबंध 10 लाइन | पुस्तकालय पर निबंध 100 words

पुस्तकालय पर निबंध 10 लाइन पुस्तकालय पर निबंध 100 words

इस प्रकार आप इस आर्टिकल के माध्यम से पुस्तकालय पर निबंध ( Essay on library in Hindi ) लिख सकते है|

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Home » Essay Hindi » Essay On Library In Hindi पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

Essay On Library In Hindi पुस्तकालय का महत्व पर निबंध

इस निबंध Essay On Library In Hindi में पुस्तकालय पर निबंध (Pustakalaya Par Nibandh) और पुस्तकालय का महत्व (Importance Of Library Essay) के बारे में जानकारी बतायी गयी है। पुस्तकालय किताबों का संग्रह होता है। अंग्रेजी में इसे लाइब्रेरी भी कहते है। किताबें ज्ञान का भंडार होती है और पुस्तकालय ज्ञान का सागर है। पुस्तकालय का महत्व पर निबंध लेखन का प्रयास यहां पर किया गया है।

लाइब्रेरी को पुस्तक या किताबों का घर भी कहते है। वो घर जहाँ पर किताबें होती है, पुस्तकालय कहलाता है। निर्धन छात्रों और गरीब पाठकों के लिए पुस्तकालय एक ज्ञान का वरदान है। तो आइए मित्रों पुस्तकालय पर निबंध “Pustakalaya Essay in Hindi” की चर्चा करते है।

पुस्तकालय पर निबंध Essay On Library In Hindi

पुस्तकालय ( Library ) में पुस्तकों का संग्रह होता है, इसलिए इसे पुस्तकों का संग्रहालय भी कहते है। पुस्तकालय में तमाम तरह की किताबों का संग्रह होता है। लाइब्रेरी में हर विषय वस्तु से संबंधित किताबें मिलती है। चाहे किताब राजनीति, इतिहास से प्रेरित हो या फिर गणित और विज्ञान को बताती हो, हर विषय की महत्वपूर्ण पुस्तकें मिल जाती है। यहां पर मनोरंजन की पत्रिका, उपन्यास, कहानियां भी पढ़ने को मिलती है। “पुस्तकालय” शब्द पुस्तक और आलय दो शब्दों से मिलकर बना है। इसलिए पुस्तकालय का अर्थ हुआ “पुस्तकों का घर”। लाइब्रेरी में ज्ञानवर्धक पुस्तकें होती है जो ज्ञान का रसपान करवाती है। किसी भी विषय का श्रेस्ठ ज्ञान पाने का स्थान पुस्तकालय है। एक अच्छा पुस्तकालय साफ सुथरा और व्यवस्थित होता है।

दोस्तों, लाइब्रेरी कई प्रकार की होती है और कई जगह होती है। जैसे आप स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई करते है, वहां पर पुस्तकालय होता है। चाहे वो कॉलेज या स्कूल सरकारी हो या फिर प्राइवेट। स्कूली पुस्तकालयों में केवल उसी स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों को अनुमति होती है। बड़े शहरों में सार्वजनिक पुस्तकालय भी होते है जो सरकार की तरफ से खोले गए होते है। कुछ लोग घर में भी एक छोटा पुस्तकालय रखते है जिसे निजी लाइब्रेरी भी कहते है।

सार्वजनिक संस्थाओं के द्वारा भी लाइब्रेरी स्थापित होती है जहां मुफ्त में या कुछ फीस देकर पुस्तके पढ़ी जा सकती है। पुस्तकालय में किताबों की संख्या कितनी भी हो सकती है। जितना बड़ा पुस्तकालय होगा, उतनी ही ज्यादा पुस्तकें उसमें होती है। पुस्तकालय का आकार इस बात पर निर्भर करता है कि पाठकों की संख्या कितनी है। आज इंटरनेट का जमाना है, किताबों ने सॉफ्टवेयर की शक्ल ले ली है। ई बुक के रूप में विज्ञान, राजनीति, भाषा, गणित जैसे कई विषयों की पुस्तकें ऑनलाइन उपलब्ध है।

पुस्तकालय पर निबंध Pustakalaya Par Nibandh –

Essay On Library In Hindi – पुस्तकालय (Library) ज्ञान को बढ़ाता है। यहां पर केवल स्कूली विषय से संबंधित पुस्तकों के अलावा भी कई विषयो की पुस्तकें मिलती है। स्कूली पुस्तकों के अलावा मोटिवेशनल किताबें, महापुरुषों की जीवनी, धर्मग्रंथ इत्यादि भी मिलते है। इसलिए पुस्तकें बौद्धिक विकास के साथ चरित्र का विकास भी करती है। प्रेम, ईष्या, वीरता इत्यादि रसों की पुस्तकें लाइब्रेरी में मिल जाती है। फिल्मी मैगज़ीन हो या फिर मुंशी प्रेमचंद जी की लिखी कहानियां हो, पुस्तकालय श्रेस्ठ स्थान है। एक ही जगह पर विभिन्न विषयों की कई लेखकों द्वारा लिखित पुस्तकें मिलने का एकमात्र स्थान पुस्तकालय है। चाहे साहित्य के सम्राट शेक्सपियर की किताब हो या फिर आइजेक न्यूटन की लिखी विज्ञान की कोई पुस्तक हो, हर लेखक का ज्ञान आपको एक जगह पर मिल जाता है।

लाइब्रेरी में पढ़ाई के लिए शांत वातावरण होता है। इसमें टेबल और कुर्सी लगी होती है जहां पर बैठकर पाठक पुस्तक पढ़ने का आनन्द लेते है। इस जगह को वाचनालय भी कहते है। गर्मियों से बचाव के लिए पुस्तकालय में पंखा लगा होता है। कई पुस्तकालयों में कूलर या एसी भी होता है। पीने के लिए पानी की समुचित व्यवस्था भी होती है। कुछ बड़े पुस्तकालयों में चाय नास्ते का इंतेजाम भी होता है।

प्रत्येक लाइब्रेरी के अपने नियम होते है जो अनिवार्य रूप से लागू होते है। एक नियम जो हर लाइब्रेरी में होता है, वह है शांति स्थापित रखना। पुस्तकालय में किताबें सुव्यवस्थित तरीके से रखी होती है। विषयवार किताबों को लाइब्रेरी की आलमारियों में व्यवस्थित किया जाता है। लाइब्रेरी में रखी हुई पुस्तकें राष्ट्रीय संपदा है और हमें इन्हें गन्दा नही करना चाहिए। किताबों के पन्ने फाड़ना, पेन से किताबों पर लिखना जैसे कृत्य हमे नही करने चाहिए।

पुस्तकालय का महत्व Importance Of Library In Hindi –

Essay On Library In Hindi – देश और दुनिया के इतिहास को संजोकर रखी गयी पुस्तकें भी लाइब्रेरी में होती है। इतिहास को बताती कालजयी किताबें इतिहास का दर्पण है जिनमें हमें भूतकाल का पता चलता है। दुनिया में कई ऐसे पुस्तकालय है जो अमर ऐतिहासिक किताबों को रखे हुए है। आज भी इतिहास इन किताबों में सुरक्षित लाइब्रेरी में पड़ा है। पुस्तकालयों में कई दुलर्भ किताबें भी मौजूद है। पुस्तकालय की किताबें बेची नही जाती है, इन्हें किराए पर ले जाकर घर पर पढ़ सकते है। यहां पर कई ऐसी किताबें भी होती है जो आसानी से पाठकों को उपलब्ध नही होती है। लेकिन पाठक पुस्तकालय आकर उन किताबों का अध्ययन कर सकते है।

दुनिया में लगभग प्रत्येक देश में पुस्तकालय है। इंग्लैंड और रूस में सबसे ज्यादा लाइब्रेरी मौजूद है। कांग्रेस लाईब्रेरी, वाशिंगटन डीसी दुनिया का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। इसमें 16.40 करोड़ के आसपास पुस्तकें मौजूद है। इसके अलावा ब्रिटिश पुस्तकालय लंदन, लेनिन पुस्तकालय रूस इत्यादि दुनिया के बड़े पुस्तकालय है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया कोलकाता, भारत देश का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। इस पुस्तकालय में करीब 10 लाख पुस्तकें मौजूद है। भारत में प्राचीनकाल में भी तक्षशिला, नालन्दा जैसे विश्वविद्यालय थे और इनमें पुस्तकालय भी मौजूद थे।

पुस्तकालय प्राचीनकाल से ही शिक्षा और ज्ञान के भंडार के रूप में लोगो के लिए हमेशा से ही उपलब्ध है। पुराने जमाने में भी किताबों का घर लाइब्रेरी होती थी। एक प्रश्न यह भी उठता है की पुस्तकालय की आवश्यकता क्यों महसूस हुई? पहले प्रिंटिंग करने की सुविधा नही थी और पुस्तकों को हाथों से लिखा जाता था। इसलिए पुस्तकें बहुत कम उपलब्ध थी। इसलिए सभी लोगों के पास पुस्तक का ज्ञान पहुँचाने के लिए पुस्तकालय की स्थापना की गई थी।

Pustakalaya Essay in Hindi लाइब्रेरी पर निबंध –

Essay On Library In Hindi – शुरुआत में लाइब्रेरी कुछ जगहों पर ही होते थे। विद्वानों और जिज्ञासुओं को बड़े शहरों में ज्ञान के लिए जाना पड़ता था। जब प्रिटिंग प्रेस का आविष्कार हुआ, तब भी पुस्तकालय का महत्व था। इसके कई वर्षों बाद तक लाइब्रेरी का महत्व था लेकिन वर्तमान में पुस्तकालय का महत्व कम हुआ है। इसका मुख्य कारण इंटरनेट का बढ़ता प्रभाव और ई बुक की उपलब्धता है। फिर भी पुस्तकालय अपना स्थान बनाये हुए है।

ज्ञान अनमोल होता है जिस पर हर इंसान का अधिकार है। गरीब बच्चें और विद्यार्थी पुस्तकें खरीदने में सक्षम नही होते है। लाइब्रेरी इस समस्या का हल है जहां बच्चों को फ्री में पुस्तकें पढ़ने को मिल जाती है। पुस्तकालय स्वतंत्र होता है जिस पर हर जिज्ञासु का अधिकार है। पुस्तकालय को अध्ययन का केंद्र भी कहते है। छात्र जीवन में लाइब्रेरी का विशेष महत्व होता है। छात्रों को हर प्रकार के विषय की पुस्तक लाइब्रेरी में मिल जाती है। गरीब छात्रों को भी किताबों का अध्ययन करने की सुविधा मिलती है। छात्र इन पुस्तकों से नोट्स बनाकर परीक्षा की तैयारी कर सकता है।

एक अच्छा “पुस्तकालय” वह है, जहाँ पर पाठकों के अनुरूप विभिन्न विषयों की पुस्तकें होती है। जिस तरह से मनुष्य को जीवित रहने हेतु भोजन की आवश्यकता है, ठीक उसी तरह मनुष्य जीवन व्यतीत करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। विचारों की शुद्धता और शक्ति के लिए पुस्तकों का अध्ययन जरूरी है। पुस्तकों के अध्ययन की श्रेस्ठ जगह “पुस्तकालय” है।

अन्य निबंध –

  • शिक्षा पर निबंध
  • पुस्तक पर निबंध
  • विद्यालय पर निबंध

Note – इस पोस्ट Essay On Library In Hindi में पुस्तकालय पर निबंध (Pustakalaya Par Nibandh) और पुस्तकालय का महत्व (Importance Of Library In Hindi) के बारे में जानकारी आपको कैसी लगी। यह आर्टिकल “Pustakalaya Essay in Hindi” पसंद आया हो तो इसे शेयर भी करे।

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पुस्तकालय का महत्त्व निबंध लाभ | Importance, Benefits of Library Essay in Hindi

पुस्तकालय का महत्त्व व लाभ निबंध Importance, Benefits of Library Essay in Hindi

Table of Contents

पुस्तकालय का महत्त्व पर निबंध

कहते हैं किताबें इन्सानों की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं. जैसे व्यक्ति अपने  दोस्त का हर पल, हर घड़ी, हर मुश्किल में साथ देते हैं, वैसे ही किताबें भी हर विषम परिस्थिति में मनुष्य की सहायक होती है. किताबों में हर मुश्किल सवाल, परिस्थिति का हल छुपा होता है. इंसान किसी भी दुविधा में रहे, किताबों को पढ़ने से, समझने से उसकी सोच का विस्तार होता है. कुछ लोग किताबें पढ़ने के शौकीन होते हैं. उन्हें तरह तरह की किताबों को संग्रह करना अच्छा लगता है. 

Pustakalaya

एक शांत कमरा, ढेर सारी किताबें, कई लोग, फिर भी चुप. कुछ याद आया ? जी हाँ ! मैं बात कर रही हूँ किताबों से भरे उस कमरे की जिसे “पुस्तकालय” या “ Library” कहते हैं. अपने स्कूल या कॉलेज के दौरान हम सभी कई बार पुस्तकालय गए होंगे.

क्या है पुस्तकालय का अर्थ? (Library meaning)

पुस्तकालय को हिन्दी में पुस्तकालय कहते हैं, जिसका संधि विच्छेद करने पर “पुस्तक” + “आलय” होता है, आलय का अर्थ होता है “स्थान”. इसी प्रकार पुस्तकालय का अर्थ हुआ “पुस्तकों का स्थान” .  पुस्तकालय में तरह – तरह की किताबों का संग्रह होता है. यहाँ हर उम्र के व्यक्ति के लिए उसकी रुचि के अनुसार किताबें उपलब्ध रहती हैं.

पुस्तकालय के भाग (Part of Library ) :

सामान्यतः पुस्तकालय में दो भाग (sections) होते हैं. लाइब्ररी में एक भाग  किताबें पढ़ने के लिए और दूसरा भाग किताबों को जारी करने के लिए होता है. यहाँ लाइब्रेरियन होता है, जो लाइब्ररी में आने वालों की सूची की जानकारी रखता है.    

रीडिंग सेक्शन (Reading Section) :

यह किताब पढ़ने का कक्ष होता है. इस कमरे में या भाग में तरह तरह के अखबार, मासिक, दैनिक पत्रिकाएँ (मेगजीन्स) टेबल पर रखी होती हैं. इस भाग में विभिन्न विषयों पर आधारित ढेर सारी पुस्तकें रखी होती है. कोई भी व्यक्ति अपनी रुचि अनुसार उस विषय पर रखी हुई पुस्तक को  इस कक्ष में आराम से बैठकर पढ़ सकता है.

 किताबें जारी करने का भाग (Issue Section) :

इस कक्ष में पूरी पुस्तकालय की देख – रेख के लिए एक लाइब्रेरियन होता है. लाइब्रेरियन द्वारा लाइब्ररी में रखी गयी किताबें, लाइब्ररी में आने जाने वाले व्यक्तियों की सूची, उनके द्वारा जारी की गयी किताबों का रिकॉर्ड रखा जाता है.

कौन कौन से व्यक्ति पुस्तकालय में आ रहे हैं तथा उनके द्वारा पढ़ने के लिए चुनी गयी किताबों की लिस्ट किताबें जारी करने का भाग में लाइब्रेरियन द्वारा मैंटेन की जाती है.

पुस्तकालय के सदस्य बनने के सामान्य नियम (Rule of Library Membership):

ऐसे तो अलग अलग पुस्तकालय के अपने अपने नियम होता हैं, परंतु फिर  भी कुछ नियम प्रत्येक पुस्तकालय में लागू किए जाते हैं. पुस्तकालय में माने जाने वाले  कुछ सामान्य नियम नीचे दिये गए हैं : 

  • पुस्तकालय का सदस्य बनने के लिए पुस्तकालय में मासिक रूप से कुछ शुल्क देय होता है. एक बार पुस्तकालय का सदस्य बनने के बाद व्यक्ति पुस्तकालय में उपलब्ध अपनी मनचाही कोई भी किताब पढ़ सकता है.
  • किसी भी पुस्तकालय के सदस्य बनते वक़्त, शुरू में सुरक्षानिधि के रूप में शुल्क जमा करवाना होता है. यह शुल्क किताबों की देख – रेख के लिए लिया जाता है.
  • तय समय सीमा के अंदर किताबों को लौटाना होता है. किताब जमा करवाने तथा उन्हें लौटाने के अलग अलग पुस्तकालय के अलग अलग नियम होते हैं.

पुस्तकालय के प्रकार (Types of library):

पुस्तकालय दो प्रकार की होती है :

 यह पुस्तकालय सभी वर्ग के लोगों के लिए उपलब्ध रहती है. कोई भी व्यक्ति इस पुस्तकालय में जा कर अपनी मनचाही किताब पढ़ सकता है.
 कुछ विशेष वर्ग के लोग जैसे वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर आदि को उनके पेशे से जुड़े कई पहलुओं को जानने और समझने के लिए अलग – अलग किताबों की आवश्यकता होती है. इसलिए वे अपने पेशे से जुड़ी किताबों को संग्रह कर स्वयं की पुस्तकालय बना लेते हैं. इन्हें ही प्राइवेट/ निजी पुस्तकालय कहा जाता है.

पुस्तकालय के फायदे/ उपयोग/ महत्त्व (Library Importance, Benefits in hindi):

पुस्तकालय बहुत ही उपयोगी होती है.

आसान जरिया :

सभी के लिए, सभी विषयों की पुस्तकें खरीदना आसान नहीं है. कुछ गरीब लोग महंगी – महंगी किताबें नहीं खरीद सकते. उनके लिए पुस्तकालय, पुस्तकों का बहुत ही सुगम एवं आसान माध्यम है.

एक ही कीमत पर कई लोगों का फायदा :

एक बार पुस्तकालय में किताब आ गयी, तो वो कई लोगों द्वारा पढ़ी जाती है. लोग उसे पढ़ कर पुस्तकालय में लौटा देते हैं, जो फिर किसी अगले व्यक्ति को पढ़ने के काम आती है.

कम कीमत पर किताबें उपलब्ध :

पुस्तकालय में कम कीमत पर व्यक्ति कई किताबें पढ़ सकता है एवं अपने ज्ञान को बढ़ा सकता है. शुरू के शुल्क और बहुत कम मासिक शुल्क पर ही व्यक्ति पुस्तकालय का सदस्य बन सकता हैं एवं वहाँ रखी गयी ढेर सारी किताबों का फायदा उठा सकता है.

पुस्तकालय में बहुत ही शांति होती है. वहाँ पढ़ने वालों को “बात न करने की” सख्त हिदायत दी जाती है. पुस्तकालय में अलग अलग जगह कई तख्ती या दीवालों पर “कृपया शोर न करें”, “शांति बनाए रखें” जैसे जुमले लिखे होते हैं. यहाँ बैठ कर व्यक्ति शांति और एकाग्रचित्त हो कर अपना पूरा ध्यान किताब पढ़ने में लगा सकता है. यहाँ ध्यान नहीं भटकता.

ज्ञान बढ़ाने का अचूक जरिया :

व्यक्ति के ज्ञान को विस्तार देने के लिए पुस्तकालय बहुत ही उपयोगी माध्यम है. औसत वर्ग का व्यक्ति अपनी रुचि या जरूरत की महंगी सभी किताब नहीं खरीद पाता और पैसे के अभाव में वह ज्ञान और शिक्षा से वंचित रह जाता है. परंतु पुस्तकालय के माध्यम से सभी प्रकार की किताबें एवं उनके ज्ञान का आसानी से लाभ लिया जा सकता है.

पुस्तक पढ़ने के फायदे (Importance of book reading):

प्रत्येक व्यक्ति को अलग अलग विषयों की किताब पढ़ने का शौक रहता है. बच्चे, बूढ़े, जवान किसी भी उम्र का व्यक्ति अपने शौक अनुसार किताबों को पढ़ कर अपना ज्ञान वर्धन कर सकते हैं.

  • अलग अलग विषयों पर किताबें पढ़ने से व्यक्ति में हर क्षेत्र का ज्ञान बढ़ता है.
  • कॉमिक्स, किस्से कहानी, उपन्यास, नाटक आदि पढ़ने से व्यक्ति में काल्पनिकता बढ़ती है. किताब पढ़ते वक़्त व्यक्ति किताब में लिखी कहानी या घटना में खो कर काल्पनिकता में चला जाता है.
  • पढ़ाई से संबन्धित किताब पढ़ने से व्यक्ति शिक्षित हो कर अपने जीवन में आगे बढ़ता है.
  • किताबें पढ़ने से जागरूकता आती है.
  • साहित्यिक किताब समाज एवं सामाजिक जानकारी देती है. लाइब्ररी में कई एतिहासिक किताबें भी उपलब्ध रहती हैं जिसे पढ़ कर व्यक्ति देश और दुनिया के रोचक इतिहास को जान सकता है.

भारत के कुछ पुस्तकालय ( Library in India) :

भारत के गाँव में पुस्तकालय की बहुत आवश्यकता है, जिससे की सभी वर्ग के लोग शिक्षित हो कर अपने ज्ञान को बढ़ा सके. जरूरत है तो बस गाँव के लोगों को नए आयाम देने की. 

 भारत में बहुत कम और चुनिन्दा पुस्तकालय हैं. नीचे कुछ प्रमुख पुस्तकालयों के नाम तथा उनकी जगह दी गयी है :

  • गौतमी ग्रंधालयम : राजामुन्द्री, आंध्र प्रदेश.
  • खुदा बख्श ओरिएंटल लाइब्रेरी : पटना
  • सिन्हा लाइब्रेरी : पटना
  • माँ चंद्रकांता जी पब्लिक लाइब्रेरी : पटना
  • बूक्वोर्क चिल्ड्रन : पणजी (गोवा)
  • गोवा सेंट्रल लाइब्रेरी : पणजी
  • डॉ. फ्रान्सिस्को लुईस गोमेस डिस्ट्रिक्ट लाइब्रेरी : साउथ गोवा
  • स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी : तिरुवनन्तपुरम
  • गुलाब बाघ पब्लिक लाइब्रेरी : उदयपुर, राजस्थान
  • मौलाना आजाद लाइब्रेरी : अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
  • नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया : पश्चिम बंगाल
  • दयाल सिंह लाइब्रेरी : दिल्ली
  • जामिया हमदर्द लाइब्रेरी : दिल्ली

पुस्तकालय बन गया है आय का जरिया

आज पढ़े लिखे लोगों को जॉब नहीं मिल रही है, रोजगार नहीं मिल रहा है ऐसे लोगों ने अपनी शिक्षा का सही उपयोग किया है. हमने बहुत सारे ऐसे लोग देखें है जिन्होंने जरूरत के अनुसार अपने शहर और क्षेत्र में पुस्तकालय बनाये हैं. इसकी मदद से वह अपनी आय बढाने में भी सफल हुए है. आज Library पढाई करने का एक अच्छा स्थान बना हुआ है. आज अनेक शहरों में आपको एक से अनेक Library देखने को मिल जायेगी. अगर आप भी बेरोजगार है तो आप पुस्तकालय ( Library )  को अपना रोजगार बना सकते हो.

इन पुस्तकालयों के अलावा भी कई जगह छोटे – बड़े पुस्तकालय हैं, जहां जा कर व्यक्ति अपने किताब पढ़ने के शौक को पूरा कर सकते हैं. इनके अलावा कुछ पुस्तक प्रेमी तथा समाजसेवकों ने चलती फिरती पुस्तकालय की भी शुरुआत की. यह बहुत ही रोचक तथा उपयोगी तरीका है. चलती फिरती वेन या ट्रॉली ट्रक में कई किताबें एकत्र कर रखी जाती है, जिसे गली – गली, गाँव, कस्बों, शहरों में घुमाया जाता है तथा वहाँ के लोगों कों किताबें मुहैया कराई जाती है. इसका उद्देश्य उन लोगों तक किताबें तथा ज्ञान पहुंचाना है, जो शहर आ कर महंगी पुस्तकें नहीं खरीद सकते.    

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पुस्तकालय पर निबंध – Essay on library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi): सभ्यता के विकास के साथ-साथ मानव ज्ञान का दायरा बढ़ता जा रहा है. शिक्षित लोगों की संख्या भी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. पुस्तक मनुष्य का एक वफादार दोस्त है. यह अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने का एक शानदार तरीका है. इसके अलावा, पत्रिकाओं और समाचार पत्रों को पढ़ने से आपको वर्तमान घटनाओं के साथ-साथ भाषा और साहित्य के विकास के बारे में जानने में आसान होती है. जिस संस्था में ये सभी चीजें एक साथ मिलती हैं उसे पुस्तकालय कहा जाता है. वास्तव में पुस्तकालय ज्ञान की मंजिल है.  

भूमिका – पुस्तकालयों के विभिन्न रूप – विद्यालयों में पुस्तकालय – संरचना और प्रबंधन – पुस्तकालयों से लाभ – उपसंहार

जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उत्तम भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए अध्ययन की आवश्यकता होती है. विविध पुस्तकों के अध्ययन से ज्ञान में वृद्धि होती है. विविध प्रकार की पुस्तकें हमें पुस्तकालय से उपलब्ध होती हैं. पुस्तकालय दो शब्दों के मेल से बना है. पुस्तक + आलय अर्थात पुस्तकों का घर. जिस स्थान पर पढ़ने के उद्देश्य से विभिन्न पुस्तकों का संग्रह होता है उसको पुस्तकालय कहते हैं. पुस्तकालय ज्ञानर्जन का प्रमुख साधन है.

पुस्तकालयों के विभिन्न रूप

पुस्तकालय के विभिन्न रूप होते हैं. कई पुस्तकालय एक ही विषय के होते हैं. वहां अन्य विषयों की पुस्तकें नहीं मिलती हैं. जैसे- विज्ञान पुस्तकालय, वाणिज्य विषयक पुस्तकालय, कानून विषयक पुस्तकालय आदि. जहां पर विभिन्न विषयों की पुस्तकें होती हैं वे पुस्तकालय भी कई प्रकार के होते हैं. ऐसे पुस्तकालय मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं. एक – व्यक्तिगत पुस्तकालय, दो – विद्यालयी पुस्तकालय, तीन – सार्वजनिक पुस्तकालय. कई व्यक्तियों को पुस्तक संग्रह का शौक होता है. धीरे-धीरे उनका यह संग्रह पुस्तकालय का रूप धारण कर लेता है. यह व्यक्तिगत पुस्तकालय कहलाता है. विभिन्न विद्यालयों तथा संस्थाओं में भी पुस्तकालय होते हैं. वे विद्यालयी पुस्तकालय कहलाते हैं. विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के पुस्तकालय इसके ही अंतर्गत आते हैं. सार्वजानिक पुस्तकालय जनता के लिए होते हैं जिनका संचालन सरकार या सार्वजनिक संस्थाएं करती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी पुस्तकालय की सुविधा दी गयी है. आजकल चलते-फिरते पुस्तकालय भी चल गए हैं जो गाड़ियों में चलते हैं.

pustakalaya par nibandh

विद्यालयों में पुस्तकालय

प्रत्येक विद्यालय में एक पुस्तकालय अवश्य होता है. हमारे विद्यालय में भी एक पुस्तकालय है. पुस्तकालय की व्यवस्था के लिए एक पुस्तकालयाध्यक्ष होता है जो छात्रों को पुस्तकें आबंटित करता है. यह निश्चित समय के लिए दी जाती हैं और बाद में वापस करनी पड़ती हैं. माध्यमिक स्तर तक के विद्यालयों में दो प्रकार की पुस्तकें होती हैं. एक, बुक बैंक की पुस्तकें जो केवल कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकें होती हैं. दूसरी, सामान्य पुस्तकें जो पाठ्यक्रम के अतिरिक्त सामान्य ज्ञान की वृद्धि के लिए होती हैं. सभी प्रकार की पुस्तकें छात्रों व अध्यापकों को एक निश्चित अवधि तक के लिए मिलती हैं. पुस्तकालय में पढ़ने के लिए भी पुस्तकें मिलती हैं जो तुरंत लौटनी पड़ती हैं. 

संरचना और प्रबंधन

पुस्तकालयों में आमतौर पर निबंधों, कहानियों, उपन्यासों, कविता, यात्रा कहानियों और महापुरुषों की जीवनी पर बड़ी संख्या में किताबें होती हैं. इसके अलावा, कुछ पुस्तकालयों में विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाएँ आने की व्यवस्थाएं होती है. उन्हें बड़ी-बड़ी अलमारी में सजा कर रखा जाता है. प्रत्येक विषय के लिए अलग अलमारी होती है. पुस्तकालय में सभी पुस्तकों की सूची एक बड़े खाते में रहता है. इसे कैटलॉग(catalogue) कहा जाता है. इसके अलावा, पाठकों को किताबें उपलब्ध कराने के लिए एक और रजिस्टर रहता है. स्कूलों में, एक एक शिक्षक इन सभी जिम्मेदारियों को निभाते है.

पुस्तकालयों से लाभ

पुस्तकालय ज्ञान का भंडार है और एक सच्चा शिक्षक है. विद्वान लोगों की ज्ञान की प्यास इन्हीं पुस्तकालयों में बैठकर बुझती है. कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास सब प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध हों. यह संभव भी नहीं हो सकता कि एक व्यक्ति हर प्रकार की पुस्तकें खरीद सके. पुस्तकालय ही एक ऐसा भंडार है जहां से हर प्रकार की पुस्तकें मिल सकती हैं. अध्यापक, वकील, चिकित्सक, लेखक, कवि आदि पुस्तकालयों से ही अपने ज्ञान की वृद्धि करते हैं. इसके अतिरिक्त पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाएं भी मिल जाती हैं जिनका अध्ययन हर व्यक्ति करना चाहता है. प्रत्येक व्यक्ति को अध्ययन करने के लिए शांत वातावरण की आवश्यकता होती है. यह वातावरण हमें घरों, कार्यालयों तथा अन्य स्थलों पर नहीं मिल सकता. यह वातावरण हमें केवल पुस्तकालय ही दे सकता है. 

आजकल हर जगह पुस्तकालय उपलब्ध होते हैं. हमें पुस्तकालयों में जाकर समय का सदुपयोग करना चाहिए. पुस्तकालयों की पुस्तकें सार्वजनिक संपत्ति होती हैं. इसलिए हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए. उनके चित्रों या उनके किसी पृष्ठ को कोई क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए क्योंकि एक पुस्तक से अनेक व्यक्तियों को लाभ मिलता है.

आपके लिए :-

  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध
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तो यह था पुस्तकालय पर निबंध (Essay on library in Hindi). उम्मीद है यह निबंध आपके लिए सहायक हुआ होगा. यह निबंध को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें. मिलते है अगले निबंध. धन्यवाद.   

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Nibandh

पुस्तकालय पर निबंध

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पुस्तकालय शब्द पुस्तक ओर आलय से मिलकर बना है इसका अर्थ है – पुस्तकों का घर । सचमुच, पुस्तकालय वह जगह है, जहाँ पढ़ने के लिए तरह-तरह की पुस्तकें मिलती हैं। पुस्तकालय पाठकों के लिए ज्ञान का भंडार होता है जहाँ प्रत्येक विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करते हैं।

पुस्तकालय में कई अलमारियाँ होती हैं। इनमें अलग-अलग विषयों की पुस्तकें होती हैं। जैसे- हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की पुस्तकें, उपन्यास-कहानी, नाटक-एकांकी, कविता, निबंध आदि विधाओं में विभकत हैं। प्रत्येक पुस्तक पर उसके क्रमांक का लेबल चिपका होता है।

पुस्तकालय में कुछ बड़ी-बड़ी मेजें और उनके दोनों ओर कुर्सियाँ लगी होती हैं। मेजों पर अखबार और पत्रिकाएँ रखी रहती हैं। लोग वहाँ बैठकर इन्हें पढ़ते हैं। पुस्तकालय की देखरेख करने वाले व्यक्ति को पुस्तकालयाध्यक्ष कहा जाता है।

पुस्तकालय पुस्तकों से समृद्ध है, पत्र-पत्रिकाओं से भरपूर है, अध्ययनशील वातावरण से सुगन्धित है। यह ज्ञान-विज्ञान का प्रसारक है और है मानसिक क्षुधा-शान्ति का साधन हैं। सचमुच, पुस्तकालय ज्ञान-विज्ञान का मंदिर है। हमें उसका लाभ अवश्य लेना चाहिए।

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3 Best Pustakalaya Par Nibandh | Library in Hindi Essay | पुस्तकालय पर निबंध

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में पुस्तकालय पर निबंध – Pustakalaya par Nibandh | Library in Hindi Essay पर 1 निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं ।

क्या आप खुद से अच्छा निबंध लिखना चाहते है या अच्छा निबंध पढ़ना चाहते है तो – Essay Writing in Hi ndi

10 Lines Essay on Pustakalaya in Hindi | Short Essay on Pushtakalaya

  • प्रत्येक विद्यालय में एक पुस्तकालय होता है। पुस्तकालय में अनेक विषयों पर पुस्तकों के संग्रह होते हैं।
  • यह ज्ञान के स्रोत हैं छात्र गण पुस्तकालय से लाभान्वित होते हैं।
  • मेरे विद्यालय में भी अच्छा पुस्तकालय है। यह सार्वजनिक पुस्तकालय से सर्वथा भिन्न है।
  • हमारे विद्यालय का पुस्तकालय केवल हम लोगों के लिए है।
  • पुस्तकालय के लिए एक पृथक कमरा है। वहां वाचनालय है। यहां विभिन्न विषयों पर पुस्तकें हैं।
  • पुस्तकालय में 9000 पुस्तकें हैं, यह अलमारियों में अच्छी तरह रखी जाती है।
  • यह काफी संख्या में समाचार पत्र एवं पत्रिका प्राप्त करते हैं।
  • एक पुस्तकालय अध्यक्ष पुस्तकालय की देखभाल करता है, वह शिक्षकों एवं छात्रों को पुस्तके जारी करता है।
  • यहां कहानियों कविताओं नाटक उपन्यास तथा विज्ञान की पुस्तकें हैं।
  • यह पुस्तकें हिंदी अंग्रेजी और उर्दू भाषा में है हमारे विद्यालय का पुस्तकालय हम लोगों के लिए बहुत सहायक है।

पुस्तकालय पर निबंध – Pustakalaya par Nibandh | Library in Hindi Essay

‘पुस्तकालय’ शब्द ‘पुस्तक+आलय’ से बना है। इसका अर्थ है पुस्तकों का घर। ‘पुस्तकालय सरस्वती का मन्दिर’ कहलाता है। यहाँ देश-विदेश की कई भाषाओं और कई विषयों की पुस्तकें होती हैं। यहाँ एक वाचनालय होता है, जहाँ पाठक बैठकर समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ और पुस्तकें पढ़ते हैं। खाली समय बिताने का यह उत्तम स्थान है। यहाँ शान्ति होती है तथा लोगों को ऐसे धन और सुख की प्राप्ति होती है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता।

जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उत्तम भोजन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार मानसिक विकास के लिए अच्छी पुस्तकों की आवश्यकता होती है। पुस्तके मनुष्य का सच्चा साथी हैं। वे मानव का मार्गदर्शन करती हैं। वे उसे बराई से हटा कर अच्छाई की ओर ले जाती हैं। ये ज्ञान का भंडार होती हैं। इनसे मनोरजंन भी होता है।

माता-पिता द्वारा दिया गया विद्यारूपी धन वास्तव में बच्चों की सच्ची पूँजी है। विद्यार्थी विद्या पाने के लिए अनेक पस्तकें पढता है। पुस्तकें पढ़कर वह चिन्तन और मनन करता है। फिर वह जीवन में महान् बनता है। महान् पुरुषों की जीवनियाँ और शिक्षाप्रद कहानियाँ लोगों का जीवन बदल देती हैं। अत: छात्रों को आरम्भ से ही पस्तकालय में जाकर पुस्तकें पढ़ने की आदत डालनी चाहिए।

पुस्तकालय दो प्रकार के होते हैं-निजी पुस्तकालय और सार्वजनिक पुस्तकालय। प्राचीन काल में अधिकतर पुस्तकालय वैयक्तिक थे। राजा-महाराजा ही इनके स्वामी होते थे। आधुनिक युग में सार्वजनिक पुस्तकालयों की संख्या दिनादिन बढ़ती जा रही है। ये पुस्तकालय प्राय: सरकारी अनुदान से चलते हैं। भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय’ कलकत्ता में है। दिल्ली में दिल्ली पब्लिक पुस्तकालय भी बड़ा प्रसिद्ध है। चलती-फिरती पुस्तकालय योजना देश की बहुत सेवा कर रही है।

हमारे विद्यालय में भी दूसरे विद्यालयों की तरह एक सुन्दर पुस्तकालय है। पुस्तकालय अध्यक्ष छात्रों एवं अध्यापकों को घर में पढ़ने के लिए पुस्तकें देते हैं सचाई यह है कि पुस्तकालय एक कल्पतरु है। सब छात्रों को पुस्तकालय स लाभ उठाना चाहिए। उनमें से कोई कागज नहीं फाड़ना चाहिए। पुस्तक पर कुछ लिखना भी उचित नहीं होता। पुस्तके पढकर समय पर लौटा देनी चाहिए ताकि दूसरे लोग पुस्तकालय से लाभान्वित हो सक।

प्रेरणा का स्रोत पुस्तकालय

स्कूल पुस्तकालय का गठन.

स्कूल पुस्तकालय का अच्छी प्रकार से गठन किया जाना चाहिए। उसकी ओर उचित ध्यान देना चाहिए। पुस्तकालय तथा वाचनालय के लिए उचित जगह होनी चाहिए और प्रशिक्षित लाइब्रेरियन को उनका इंचार्ज बनाना चाहिए। पुस्तकालय को अच्छी प्रकार से सुसज्जित करने के लिए स्कूल की आय का कुछ भाग उन पर खर्च किया जा सकता है।

पुस्तकालय की स्थापना के पश्चात् विद्यार्थियों को उसका महत्व भी बताना चाहिए। विद्यार्थियों में पुस्तकालय का उचित प्रचार भी होना चाहिए। यदि सम्भव हो तो विद्यार्थियों के माता-पिता को भी पुस्तकालय का प्रयोग करने देना चाहिए। जो पुस्तकें कम हों उन्हें पुस्तकालय में बैठकर पढ़ने की आज्ञा देनी चाहिए। ऐसी पुस्तके केवल एक रात के लिए ही विद्यार्थियों को घर पर ले जाने के लिए देनी चाहिए।

अच्छे पुस्तकालय के गठन के सम्बन्ध में रवीन्द्रनाथ ठाकुर का कथन है कि “मेरे विचार में एक छोटा पुस्तकालय वह है जिसमें प्रत्येक विषय पर पुस्तके हों, चुनी हुई, पुस्तकें, ऐसा नहीं जिसमें पुस्तकों की संख्या की पूजा होती हो बल्कि जहां पुस्तकें अपने गुणों के कारण विद्यमान हों, जहां का लाइब्रेरियन अपने काम के प्रति समर्पित हो, जिसमें किसी प्रकार का स्वार्थ न हो उसमें एक मेजबान के गुण हों, एक स्टोर कीपर के नहीं।”

पुस्तकालय के लिए पुस्तकें पुस्तकालय में वे पुस्तकें होनी चाहिए जिनका बच्चों के लिए महत्व हो। अतः यह आवश्यक है कि पुस्तकालय के लिए पुस्तकों का चयन करते समय विद्यार्थियों की रूचियों का पूरा-पूरा ध्यान रखा जाए। बच्चों को पुस्तकालय की ओर आकर्षित करने के लिए सचित्र पुस्तकें भी रखी जानी चाहिए। भले ही पुस्तकों में पूरी सूचना न हो परन्तु उनमें जो कुछ भी दिया हो रोचक ढंग से दिया गया हो। सैकेण्डरी शिक्षा आयोग ने इस बात पर बल देकर कहा है कि पुस्तकालय की पुस्तकों का चयन न्याय संगत होना चाहिए।

निम्नलिखित प्रकार की पुस्तकें पुस्तकालय में होनी चाहिए

  • यात्रा, साहसपूर्ण कार्यों, खोजों आदि की पुस्तकें।
  • महापुरूषों और महान् नारियों की जीवनियां।
  • स्कूल में लगी हुई पाठ्य-पुस्तकें जिनका प्रयोग अध्यापक भी कर सकते हैं।
  • बुक बैंक में पाठ्य-पुस्तकें प्रचुर मात्रा में होनी चाहिए ताकि निर्धन विद्यार्थी उनका प्रयोग कर सकें।
  • मनोरंजक पुस्तकें-कहानियां, आदि ।
  • उच्च विषयों पर अच्छे स्तर की पुस्तकें।
  • अध्यापकों के मार्ग-दर्शन के लिए।
  • संदर्भ पुस्तकें-शब्द-कोष, विश्व कोष आदि।

पुस्तकालय कक्ष

पुस्तकालय स्कूल-भवन के एक कोने में स्थित होने चाहिए। जहां कक्षाओं के शोरगल से किसी प्रकार की बाधा न हो। उसमें पुस्तकें तथा अलमारियां रखने के लिए उपयोगी कमरे हों और सुसज्जित वाचनालय हो। पुस्तकालय चार्ट और चित्रों से सजा होना चाहिए। वाचनालय हो। वाचनालय में बैठने का सुप्रबन्ध होना चाहिए तथा हवा और प्रकाश की सुव्यवस्था होनी चाहिए।

उसमें कृत्रिम प्रकाश का भी प्रबन्ध होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर उसका प्रयोग किया जा सके। पुस्तकालय में धम्रपान और बातें करना वर्जित होना चाहिए।

इस संदर्भ में श्री एस. आर. रंगानथन ने कहा है।

“पुस्तकालय प्रचुर मात्रा में आकर्षक सुमुद्रित एवं सुचित्रित पुस्तकों,” आरामदेह फर्नीचर ‘ओपन शैल्बज’, आकर्षक चित्रों, लटकते हुए फलों तथा ज्ञानप्रद रूप से सुसज्जित होना चाहिए और उनका लाइब्रेरियन ऐसा होना चाहिए जिसे बच्चों और पुस्तकों दोनों से प्यार हो।

पुस्तकालय का प्रचार और उसके नियम

स्कूल के प्रत्येक व्यक्ति को स्कूल पुस्तकालय के प्रयोग का ज्ञान होना चाहिए। पुस्तकालय के नियमों को नोटिस-बोर्ड पर चिपकाना चाहिए। इस दृष्टिकोण से निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान देना जरूरी है-

  • प्रत्येक कक्षा के लिए पुस्तकालय पीरियड नियत किया जाए।
  • स्कूल-पुस्तकालय के खुलने तथा बन्द होने का समय सभी को पता होना चाहिए।
  • पुस्तकें लेने और देने का समय निश्चित होना चाहिए।
  • विद्यार्थियों को उन पुस्तकों का रिकॉर्ड रखने को कहना चाहिए. जो वे पढ़ रहे हैं। उन पुस्तकों के प्रति उनकी प्रतिक्रिया भी चोट करनी चाहिए।
  • बच्चों को पुस्तकें खराब न करने की चेतावनी देनी चाहिए।

विद्यार्थियों में अतिरिक्त-अध्ययन की आदतों का विकास

विद्यार्थियों में अतिरिक्त-अध्ययन की आदत के विकास की ओर आजकल ध्यान नहीं दिया जाता। विद्यार्थी केवल अपनी पाठ्य-पुस्तकों तक ही सीमित रहते हैं। अधिकांश विद्यार्थी तो केवल परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए सस्ते नोट्स पर ही आश्रित रहते हैं। परिणामस्वरूप स्थिति निरन्तर बिगड़ती जा रही है।

इस दिशा म पयाप्त प्रयास करने की आवश्यकता है अर्थात् विद्यार्थियों में अतिरिक्त अध्ययन की आदत को विकसित करने की आवश्यकता है और पुस्तकालय इसके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

रविन्द्रनाथ टैगोर के कथनानुसार,

“इस पुस्तकालय के पूर्ण प्रयोग के लिए यह आवश्यक है कि इसी सामग्री की ओर स्पष्ट एवं विशिष्ट रूप से ध्यान दिलाया जाए नहीं तो एक साधारण व्यक्ति के लिए पुस्तकालय में अपना मार्ग ढूंढना कठिन हो जाएगा और पुस्तकालय एक नगर के समान बनकर रह जाएगा जिसमें जगह तो बहुत है परन्तु आवागमन के साधन बहुत कम है।”
  • विद्यार्थी अतिरिक्त पुस्तकें तभी पढ़ते हैं जब उन्हें पुस्तकालय के प्रयोग का ज्ञान हो। अध्यापक को उन्हें पुस्तकालय का ज्ञान देना चाहिए।
  • पुस्तकालय में सभी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी पुस्तकें होनी चाहिए। बच्चों के लिए, बड़ों के लिए, अध्यापकों के लिए, प्रतिभा सम्पन्न विद्यार्थियों के लिए अर्थात् सभी के लिए उचित पुस्तकें होनी चाहिए।
  • नई पुस्तकों की सूचना नोटिस-बोर्ड पर लगानी चाहिए। यदि सम्भव हो सके तो उन पुस्तकों के कवर नोटिस-बोर्ड पर प्रदर्शित करने चाहिए।
  • विद्यार्थियों का एक पुस्तकालय संघ बनाना चाहिए। उन्हें पुस्तकालय में कुछ कामों पर लगाना चाहिए जैसे अलमारियों की सफाई करना, पुस्तकों को तरीके से लगाना आदि। ये काम करते समय उनकी दृष्टि कई पुस्तकों पर पड़ेगी और उनके मन में उन्हें पढ़ने का शौक भी पैदा होगा।
  • पुस्तकालय सेवा कुशल होनी चाहिए। पुस्तकालय स्टॉफ का व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए। उन्हें विद्यार्थियों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
  • विषय-अध्यापकों को भी अपने-अपने विषयों में निपुण होना चाहिए। उन्हें पुस्तकालय की पुस्तकें पढ़ने का शौक होना चाहिए। उनके शौक को विद्यार्थियों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
  • विषय-अध्यापकों को भी अपने-अपने विषयों में निपुण होना चाहिए। उन्हें पुस्तकालय की पुस्तकें पढ़ने का शौक होना चाहिए। उनके शौक को विद्यार्थी भी अपनाने लगेंगे।
  • अध्यापक को उन विद्यार्थियों की कक्षा में घोषणा करनी चाहिए जो अतिरिक्त-अध्ययन करते है। इससे एक तो उन विद्यार्थियों को स्वीकृति प्राप्त होगी और दूसरा अन्य विद्यार्थियों को प्रेरणा मिलेगी।
  • जहां तक सम्भव हो सके पुस्तकालय में ओपन-शैल्फ-सिस्टम रखना चाहिए ताकि विद्यार्थी पुस्तकों तक आसानी से पहुंच सकें।
  • अध्यापक को चाहिए कि पुस्तकालय की पुस्तकों में से पढ़ी कहानियां विद्यार्थियों को सुनाए। इससे उन्हें पुस्तकें पढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
  • कक्षीय शिक्षण को इस प्रकार गणित किया जाए कि विद्यार्थी पुस्तकालय के प्रयोग के बिना अपनी पढ़ाई को अधूरा समझें। अपने कक्षीय ज्ञान को पूर्ण करने के लिए उन्हें पुस्तकालय की पुस्तकें पढ़ने की आवश्यकता अनुभव हो। पूरक-पुस्तकों का नाम अध्यापकों द्वारा बताना चाहिए।
  • जिन पुस्तकों की विद्यार्थियों द्वारा अधिक पढ़े जाने की आशा होती है। उनकी प्रतियां पर्याप्त संख्या में रखी जानी चाहिए।
  • पुस्तकालय का अधिकतम प्रयोग करने वाले विद्यार्थी को पुरस्कार दिए जाने चाहिए।
  • परीक्षाओं में भी कुछ प्रश्न पूरक-पुस्तकों में से पूछे जाने चाहिए। इससे विद्यार्थी पूरक-पुस्तकें पढ़ने के लिए बाध्य होंगे।

विद्यार्थी आसानी से पुस्तकालय में पहुंच सके इसके लिए आवश्यक है कि लाइब्रेरियन का व्यवहार प्रभावशाली हो। उसे छोटे बच्चों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। लाईब्रेरियन का काम केवल पुस्तकें देना और लेना नहीं है। यह भी वस्तुतः एक अध्यापक होता है जो व्यावहारिक शिक्षण प्रदान करता है। वह मौन अध्यापक है।

पुस्तकालय स्कूल का निष्क्रिय-भाग नहीं होना चाहिए। वह ऐसा हो कि प्रत्येक व्यक्ति उसका अस्तित्व अनुभव करे। पुस्तकों, फर्नीचरों अलमारियों आदि से सुसज्जित पुस्तकालय एक अच्छा पुस्तकालय होता है। उसकी सफलता के लिए उचित कैटालॉग की व्यवस्था भी आवश्यक है। कैटालॉग के बिना पुस्तकालय ऐसे भवन के सामान है जिसमें प्रकाश और आवागमन का कोई प्रबन्ध नहीं। टैगोर के कथनानुसार, “पुस्तकालय को तभी मेहमान-नवाज” कहा जा सकता है जब उसमें पाठकों को आमन्त्रित करने की उत्सुकता हो। यह मेहमान-नवाजी ही पुस्तकालय को वास्तविक महानता प्रदान करती है। पाठक पुस्तकालय को बनाते हैं। यह समूची सच्चाई नहीं, पुस्तकालय भी पाठाकों का निर्माण करता है।

स्कूल पुस्तकालय के लाभ

  • पुस्तकालय कक्षा में प्राप्त ज्ञान को पूर्णता प्रदान करता है।

सैकेण्डरी-शिक्षा-आयोग के कथनानुसार, “व्यक्ति कार्य, ग्रुप-प्रॉजैक्ट का काम, शैक्षणिक मनोरंजन कार्यों तथा पाठ्य-सहायक क्रियाओं के लिए एक अच्छा एवं कुशल पुस्तकालय अत्यन्त आवश्यक है। विद्यार्थियों की रूचियों को विस्तृत करना, उनकी शब्द-शक्ति को बढ़ाना, कक्षा में न पाठ्य-पुस्तकों में पढ़े प्रकरणों के सम्बन्ध में अधिक ज्ञान प्राप्त करना-यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि विद्यार्थियों को पुस्तकालय में कितने साधन प्राप्त हैं।”

  • बहुत से विद्यार्थियों में विभिन्न क्षेत्रों के सम्बन्ध में जानने की इच्छा होती है। पुस्तकालय के द्वारा ही उनकी यह इच्छा सन्तुष्ट हो सकती है।
  • इससे विद्यार्थियों का दृष्टिकोण विकसित होता है। कई विद्यार्थियों तो इतने प्रेरित हो उठते हैं कि उनमें नई पुस्तक लिखने की इच्छा जागने लगती
  • इससे विद्यार्थियों में आनन्द और मनोरंजन के लिए पढ़ने की आदत का विकास हो सकता है।
  • पुस्तकालयों में रखी पुस्तकों को पढ़कर कई विद्यार्थियों के जीवन में नया मोड़ आ जाता है।
  • पुस्तकालय अवकाश के सदुपयोग का अच्छा साधन है।
  • पुस्तकालय में बैठकर पढ़ने से विद्यार्थियों में मौन-पाठ की आदत का विकास होता है। यह आदत उन्हें घर में पढ़ने के लिए भी उपयोगी सिद्ध होती है। विशेषकर उस में जहां पढ़ने वाले कई बच्चे हों।
  • पुस्तकालय पुस्तकों के उचित प्रयोग का प्रशिक्षण प्रदान करता है। पुस्तकालय-नियमों की मांग होती है कि पुस्तकें साफ-सुथरी रखी जाएं। इस नियम का पालन करने में विद्यार्थियों में पुस्तकों को साफ-सुथरा रखने की आदत विकसित हो जाती है।

इस सन्दर्भ में एच.सी. डेण्ट का कथन है,

‘स्कूल के अच्छे पुस्तकालय-जिसका व्यापक प्रयोग होता हो- से बच्चों को पुस्तकों का कुशल प्रयोग सिखाना, सम्भव हो सकता है। यह एक ऐसी शिक्षा है जिसे सीखना आसान नहीं और न ही इसे कोई सिखाता है।’
  • पुस्तकालय की पुस्तकों को समय पर लौटना पड़ता है। अतः पुस्तकालय का प्रयोग करने वाले विद्यार्थी समय के भी पाबन्द हो जाते है।
  • यह विद्यार्थियों को सुअनुशासित बनने में सहायता प्रदान करता है। जब भी उनके पास खाली समय होता है, उसे वे पुस्तकालय में बिताते हैं।

एडमान्सन का कथन है,

“आधुनिक स्कूल पुस्तकालय के सुयोग्य सेवा विभाग माना जाता है, यह रूचियों के विकास और विस्तार की सामग्री प्रदान करता है। अपने सन्दर्भ साधनों विषय-सूचियों, पुस्तक-सूचियों तथा कैटलाग द्वारा यह ज्ञान का भण्डार खोला जाता है। विद्यार्थियों को पुस्तकों तथा पुस्तकालयों का प्रयोग सिखाने, सूचना प्राप्त करने तथा अध्ययन करने में शिक्षण के अन्य साधनों के साथ पुस्तकालय भी सहयोग प्रदान करता है। पुस्तकालय अपने बुलेटिन, पोस्टरों तथा वातावरण द्वारा अनौपचारिक शिक्षण प्रदान करता है। अपनी पुस्तकों के परिचय द्वारा यह जीवन पर्यंत रोचक अध्ययन का सुझाव देता है।”

तो दोस्तों आपको यह पुस्तकालय पर निबंध – Pustakalaya par Nibandh | Library in Hindi Essay पर यह निबंध कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।

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2 thoughts on “3 Best Pustakalaya Par Nibandh | Library in Hindi Essay | पुस्तकालय पर निबंध”

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पुस्तकालय पर निबंध

Essay on Library in Hindi: पुस्तकालय अर्थात पुस्तकों का घर,जहां पर सभी प्रकार की पुस्तकें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। लाइब्रेरी का हमारे जीवन में होना बहुत ही जरूरी है।

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हम यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में  लाइब्रेरी पर निबंध शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।

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पुस्तकालय पर निबंध | Essay on Library in Hindi

पुस्तकालय पर निबंध (250 शब्द).

प्राचीन काल से ही लाइब्रेरी चली आ रही है। पहले के जमाने में पुस्तके बहुत ही अधिक महंगी होती थी, क्योंकि पहले प्रिंटिंग मशीन नहीं हुआ करती थी, तो किताबें हाथ से लिखी जाती थी। जिसकी वजह से किताब कम भी हुआ करती थी और महंगी भी। महंगी होने की वजह से किताबों को हर कोई नहीं खरीद सकता था। इसीलिए पुस्तकालय का निर्माण किया गया, जिससे आसानी से लोग वहां पर जाकर अपनी जरूरत के हिसाब से किताबों को पढ़ सकें और उनकी सहायता से आगे बढ़ सके।

पुस्तकालय अथवा लाइब्रेरी में हमें हर तरह की किताबें मिलती हैं। चित्रकला, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी, आत्मकथाएं, धर्म, जाति, इत्यादि तरह की किताबें मिलती हैं। जिसको जिस किताब की जरूरत होती है, वह अपनी जरूरत के हिसाब से किताबों का प्रयोग कर सकता है।

पुस्तकालय हर जगह मिल सकते हैं। स्कूल में छात्र छात्राओं के लिए विश्वविद्यालय में भी छात्र छात्राओं के लिए अथवा सार्वजनिक पुस्तकालय सरकार द्वारा निर्मित किए गए हैं। जिसमें हर प्रकार के बिना, भेदभाव के लोग आ जा सकते हैं और अपने ज्ञान की वृद्धि सकते हैं।

कई लोग अपने हिसाब से कुछ पुस्तकें भेंट भी करते हैं। जिसकी वजह से गरीब अथवा अन्य पिछड़े लोग उनका लाभ उठा सकें और अपनी जरूरत को पूरा कर सके अब आप अपनी पढ़ाई को पूरा कर सकें।अन्य प्रकार से किताबें हमारे लिए बहुत ही लाभदायक हो रही है। इसी तरह से पुस्तकालय भी बहुत जरूरी है।

पुस्तकालय पर निबंध (850 शब्द)

जिस तरह से हमें हमारा शरीर स्वस्थ रखने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, उसी तरह से हमें अपनी पढ़ाई के लिए किताबों की आवश्यकता होती है। किताबों के बिना हमारी पढ़ाई अधूरी रह जाती है क्योंकि किताबी ज्ञान भी उतना ही जरूरी है, जितना बाहरी ज्ञान। जितना ज्ञान हमें लाइब्रेरी में मिल सकता है, उतना कहीं नहीं मिल सकता क्योंकि लाइब्रेरी में हर प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। वहां पर ग्रंथ भी उपलब्ध होते हैं इसीलिए पुस्तकालय हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है।

पुस्तकालय की उत्पत्ति कब हुई?

कई सदियों पहले पुस्तकालय का निर्माण किया गया पुस्तकालय दो शब्दों से मिलकर बना है। अगर इस का संधि विच्छेद किया जाए तो, पुस्तक + आलय मिलाकर पुस्तकालय अर्थात लाइब्रेरी बनता है। लाइब्रेरी का निर्माण तब किया गया था, जब लोगों को किताब की बहुत ही ज्यादा जरूरत होती थी।

पहले के जमाने में प्रिंटिंग मशीन नहीं होती थी। जिसकी वजह से किताबों को हाथों से लिखा जाता था, जिसमें बहुत ही समय जाता था और किताबें महंगी भी मिलती थी। तभी लाइब्रेरी का निर्माण किया गया और वहां पर सभी किताबों को संग्रहित कर के रखा गया।

पुस्तकालय का क्या महत्व है?

लाइब्रेरी का बहुत ही अधिक महत्व है। लाइब्रेरी के बिना हमारे ज्ञान का विकास नहीं हो सकता, क्योंकि लाइब्रेरी में हमारी जरूरत के हिसाब से पुस्तकों को संग्रहित किया जाता है। जिसके चलते हम अपनी जरूरत के हिसाब से अपनी पढ़ाई को अपने ज्ञान को पूरा कर सकते हैं।

क्या पुस्तकालय सब का सच्चा दोस्त बन सकता है?

देखा जाए तो, लाइब्रेरी हम सभी का सच्चा दोस्त बन सकता है, क्योंकि पुस्तक ही इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती है। अगर आप परेशान होते हैं, तो हम अपनी परेशानी का हल किताबों में खोज सकते हैं। बस हमें ढूंढने की जरूरत होती है और हमें अपनी परेशानियों का हल मिल जाता है। इसीलिए कहा जाता है इंसान की सबसे अच्छी दोस्त किताब ही होती है।

पुस्तकालय के कितने प्रकार होते हैं?

आमतौर पर लाइब्रेरी को 4 विभागों में विभाजित किया गया है। जो कि इस प्रकार है:

  • सार्वजनिक लाइब्रेरी
  • व्यक्तिगत लाइब्रेरी
  • विद्यालय एवं महाविद्यालय मे लाइब्रेरी
  • सरकारी लाइब्रेरी

पुस्तकालय से हमें क्या लाभ मिलता है?

लाइब्रेरी से हमें अनगिनत लाभ मिलते हैं। परंतु कुछ के बारे में आज हम यहां पर बात कर रहे हैं;-

  • ज्ञान की प्राप्ति होती है ;-

अगर मनुष्य को अपने ज्ञान को बढ़ाना है तो लाइब्रेरी इसमें बहुत सहयोग करती है क्योंकि वहां पर हर तरह की किताबें बड़ी आसानी से मिल जाती हैं। जो किताबें हमें बाजार में भी नहीं मिल पाती, वह किताबें हमें वहां पर मिल जाती हैं और बाजार से हर कोई किताब नहीं खरीद सकता, परंतु लाइब्रेरी में जाकर अपनी जरूरत के हिसाब से किताब जरूर पड़ सकता है।

  • सबसे अच्छा साधन मनोरंजन का ;-

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य को बहुत ही मनोरंजन की आवश्यकता भी है क्योंकि वह इतना ज्यादा डिप्रेशन में रहने लगे हैं, कि उन्हें हर तरह के मनोरंजन जरूरत होती है।

  • पठन – पाठन में सहयोग मिलता है ;-

पठन और पाठन के लिए कक्षा में छात्र और विद्यार्थी दोनों का होना बहुत जरूरी है। लाइब्रेरी में दोनों ही उपलब्ध होते हैं, जिससे वहां पर ज्ञान बढ़ता है। लाइब्रेरी में बिना भेदभाव के सभी को एक समान ज्ञान दिया जाता है। लाइब्रेरी में हमें हमारी बौद्धिक, मानसिक, शारीरिक, शक्तियों एवं व्यक्तिगत विस्तार में बढ़ावा मिलता है।

  • बढ़ती महंगाई के चलते लोगों के लिए बना अच्छा स्रोत ;-

आजकल महंगाई इतनी बढ़ती जा रही है कि लोगों के लिए पुस्तके खरीदना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है। जिसकी वजह से लोग अपनी पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं। लेकिन लाइब्रेरी सबसे अच्छा स्रोत है, वहां पर एक बार महीने में शुल्क देना पड़ता है और हमें महीने भर की आवाजाही की स्वीकृति मिल जाती है। वहां पर हम अपनी इच्छा अनुसार कोई भी पुस्तक पढ़ सकते हैं।

नहीं करना चाहिए पुस्तक का दुरुपयोग

कई लोग पुस्तकों का दुरुपयोग करते हैं। वह सोचते हैं इसे जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकते हैं, परंतु यह गलत है। अगर यह किताब आपके पढ़ने के काम आ रही है, तो वही किताब किसी और के भी काम आ सकती है। इसीलिए आपको किसी भी किताब का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। उसको सही सलामत लाइब्रेरी में वापस कर दे, और किताबों के पेजों को भी गंदा ना करें। जिससे किसी को पढ़ाई करने में दिक्कत न हो और हमें चाहिए कि लाइब्रेरी में हम शांतिपूर्वक पड़े। जिससे लोगों को भी परेशानी ना हो पढ़ाई करने में।

हमारे भारत देश में बहुत ही अधिक लाइब्रेरी है और कोई ना कोई लाइब्रेरी हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है। पुस्तकों को अथवा लाइब्रेरी को कोई भी नुकसान ना पहुंचाएं। जिसकी वजह से किसी को भी परेशानी का सामना उठाना पड़ सकें। हर किसी को ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार है। हमें हमारे अधिकार का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए और हर तरह से सभी को सहयोग करें।

अंतिम शब्द  

हमने यहां पर  “पुस्तकालय पर निबंध (Essay on Library in Hindi)”  शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

  • पुस्तकालय के महत्व पर निबंध
  • भारतीय संविधान पर निबंध
  • मौलिक अधिकार पर निबंध
  • परिश्रम का महत्व पर निबंध
  • रेलवे स्टेशन पर निबंध

Ripal

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पुस्तकालय पर निबंध – Essay On Library In Hindi

नमस्कार दोस्तों स्वागत है हमारे वेबसाइट पर आज की पोस्ट में हम बात करेंगे Essay on library in hindi के बारे में। पुस्तकालय का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। इनके माध्यम से आप दुनिया के महान व्यक्तियों के द्वारा लिखी गई बातों को पढ़कर आप को ज्ञान की प्राप्ति होती हैI पुस्तकालय एक प्रकार का ज्ञान का केंद्र है I  

यहां पर आपको सभी प्रकार के ज्ञान से भरपूर किताबें आसानी से मिल जाएंगी और आप यहां पर आकर उनका अध्ययन कर सकते हैं I 

इसलिए पुस्तकालय का हमारे जीवन में विशेष स्थान है I  ऐसे में अगर आप पुस्तकालय पर एक अच्छा निबंध लिखना चाहते हैं, लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है क्या आप निबंध की शुरुआत कैसे करें तो हम आपसे अनुरोध करेंगे कि आर्टिकल को आखिर तक पढ़े।

इस पोस्ट के माध्यम से हमने बताया है कि पुस्तकालय का क्या अर्थ है, पुस्तकालय का क्या महत्व है, पुस्तकालय के क्या लाभ है, पुस्तकालय क्यों जरूरी है तथा पुस्तकालय कितने प्रकार के होते हैं इत्यादि के बारे में जानेंगे।

इस पोस्ट में आपको पुस्तकालय पर कई निबन्ध दिए गए है जैसे पुस्तकालय पर निबंध 100 शब्दों में, Library essay in hindi in 300 words, Library par nibandh 500 शब्दों में तथा लाइब्रेरी पर 10 लाइन इत्यादि।

पुस्तकालय पर निबंध 100 शब्दों में – Essay On Library In Hindi

पुस्तकालय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है जिसे हम पुस्तक + आलय कहते है I आसान भाषा में इसे पुस्तकों का घर कहा जाता है ,यानी पुस्तकालय एक ऐसा जगह होता है, जहां पर दुनिया की सभी भाषाओं की किताबें उपलब्ध हो और अगर आपको कोई भी किताब पढ़नी है तो इसके लिए आप वहां पर जा सकते हैं I 

पुस्तकालय एक प्रकार का ज्ञान का संग्रह भंडार है यहां पर विभिन्न प्रकार पुस्तकें आपको आसानी से यहां पर उपलब्ध मिलेंगे और आप उनका अध्ययन यहां पर जाकर कर सकते हैं I  ताकि आपके ज्ञान में वृद्धि हो सके पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं I 

जैसे व्यक्तिगत लाइब्रेरी, विद्यालय का पुस्तकालय, सार्वजनिक लाइब्रेरी, चलते-फिरते पुस्तकालय, डिजिटल पुस्तकालय यानी जहां पर किताबें ऑनलाइन तरीके से उपलब्ध होती है और आप वहां पर जाकर कुछ पैसे देकर किताबों को पढ़ सकते हैं और कई तो वेबसाइट पर आपको फ्री में किताबें पढ़ने का अवसर मिलेगा I 

सभी पुस्तकालय में आपको ज्ञानवर्धक किताबे मिलेंगे पुस्तकालय हमारे लिए राष्ट्रीय धरोहर है I  यहां पर हमारे पूर्वजों के द्वारा विभिन्न विषयों पर किताबें लिखी गई है ताकि हम किताबों के माध्यम से जान सके कि हमारे पूर्वज किस प्रकार का जीवन व्यतीत करते थे और उनकी सभ्यता क्या थी अगर आपके पास सभी प्रकार के किताबे खरीदने के पैसे नहीं है तो आप पुस्तकालय में आ सकते हैं I 

 यहां पर आप थोड़े पैसे देकर कई किताबें पढ़ सकते हैं और अपने ज्ञान में वृद्धि भी कर सकते हैं ताकि आप अपने जीवन में व्याप्त अंधकार को दूर कर सकें।

पुस्तकालय पर निबंध 300 शब्दों में – Pustakalaya Par Nibandh

लाइब्रेरी का हमारे जीवन से प्राचीन काल से ही संबंध है I  प्राचीन काल में आज के समय जैसे कंप्यूटर नहीं थे I  

उस समय किताबें लिखी जाती थी और उसके बाद किताबों को रखने के लिए ही पुस्तकालय की स्थापना प्राचीन काल में की गई ताकि लोग पुस्तकालय में जाकर किताबों का अध्ययन कर सकें I ताकि उनके ज्ञान में वृद्धि हो सके।

पहले के समय बच्चे गुरुकुल में जाया करते थे गुरुकुल के अंदर पुस्तकालय का भवन हुआ करता था जिसमें विभिन्न भाषाओं में किताबें उपलब्ध थे और बच्चे उन पुस्तकालय में जाकर किताबों का अध्ययन करते थे एक प्रकार से कहे तो पुस्तकालय प्राचीन काल में हमारे लिए संस्कृति से जुड़ने का अच्छा माध्यम हुआ करते थे  I  

आज के समय में पुस्तकालय का वही महत्व है जो प्राचीन काल में था हालांकि आज के समय ऑनलाइन प्लेटफार्म आने से आप किताबों को अपने मोबाइल में ही पढ़ सकते हैं फिर भी स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालय में पुस्तकालय का एक अलग भवन होता है जहां पर जाकर आप किताबों का अध्ययन कर सकते हैं I  

इसलिए पुस्तकालय आज भी हमारे जीवन का अभिन्न अंग है I आज के वक्त में कई ऐसे सामाजिक संस्था है जो पुस्तकालय का संचालन करती हैं और यहां पर अगर आप पुस्तक अध्ययन करने के लिए जाएंगे तो आपको एक भी पैसा अपनी जेब से नहीं देना पड़ेगा I 

इसके अलावा कई पुस्तकालय प्राइवेट भी हैं जहां पर अगर आप किताबें पढ़ना चाहते हैं तो आपको कुछ शुल्क देने पड़ेंगे और यह शुल्क महीने के अनुसार होते हैं I  इसलिए अगर आपके पास थोड़े पैसे हैं तो प्राइवेट पुस्तकालय में जा सकते हैं I 

पुस्तकालय के लाभ – Library ke labh

  • पुस्तकालय के द्वारा आप तो अंतर्मुखी और चिंतनशील बन सकते हैं
  • पुस्तकालय के द्वारा आप अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं I 
  • पुस्तकालय का वातावरण शांति में होता है इसलिए यहां पर पढ़ाई करना काफी सहज है I 
  • कालों के द्वारा आप देश दुनिया के बारे में कई प्रकार की जानकारी हासिल कर सकते हैं I 
  •   पुस्तकालय के द्वारा आप अपने इतिहास से जुड़े हुए कई महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी यहां से प्राप्त कर सकते हैं I 
  • पुस्तकालय के द्वारा आपके सोचने और समझने की शक्ति में वृद्धि होती है I 
  • पुस्तकालय के द्वारा आप अपना ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं इसके लिए आपको बहुत ही कम मूल्य देना पड़ेगा।
  • पुस्तकालय ज्ञान का केंद्र होते हैं।
  • पुस्तकालय में विभिन्न भाषा और भिन्न प्रकार की किताबें उपलब्ध है I 
  • पुस्तके हमारे जीवन को दूसरे देश की संस्कृति और विचारधारा से भी जोड़ने का काम करती हैं I 
  •  प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक समीक्षक आर. ए. रिएर्ड्स लिखा था कि अगर हम किसी अच्छी पुस्तक को पढ़ते हैं तो उससे हमारी सोच बदल जाती है जिससे व्यक्ति का पुन: जन्म होता है I 

पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के नियम

  • पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ते समय शांति बनाए रखें I 
  • पुस्तकालय में किताबों को भरना या उस पर कुछ लिखना मना है I 
  •  अगर आप कोई किताब पढ़ रहे हैं और उस समय अगर आप किसी प्रकार का भी शोरगुल करेंगे तो आपको पुस्तकालय से निलंबित किया जा सकता है या नहीं आपको पुस्तकालय में पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी I 
  • पुस्तकालय से अगर आप कोई भी किताबें ले रहे हैं तो उसे आपको सही वक्त में वापस करना होगा I 
  • पुस्तकालय में एक कचरा और गंदगी ना फैलाएं I 
  • पुस्तकालय में आप किसी प्रकार की भी अश्लील हरकत या इशारे ना करें I 

पुस्तकालय पर निबंध 500 शब्दों में – Long Essay On Library In Hindi

पुस्तकालय के प्रकार.

व्यक्तिगत पुस्तकालय

व्यक्तिगत पुस्तकालय का मतलब होता है ऐसा पुस्तकालय जिसका निर्माण आप अपने घर में करते हैं और वहां पर आप अपने रूचि के मुताबिक पुस्तक को सजाकर रखते हैं I इन पुस्तकों को पढ़ने का अधिकार केवल आपका आपके घर के लोगों का होता है और आप ही उस किताबों को पढ़ पाएंगे दूसरे अन्य व्यक्ति नहीं I 

विद्यालय, विश्वविद्यालय का पुस्तकालय

विद्यालय और विश्वविद्यालय के पुस्तकों का मतलब होता है कि ऐसे पुस्तकालय विश्वविद्यालय और विद्यालय के भवन में एक अलग कमरे के रूप में स्थित होते हैं I यहां पर विभिन्न भाषाओं की किताबें और अब पत्र पत्रिकाएं होती हैं I 

जिसका अध्ययन के बल विद्यालय के शिक्षक और छात्र ही कर पाएंगे इसके अलावा छोटे बच्चों के लिए चुटकुले मनोरंजन कहानी के पुस्तक उपलब्ध होते हैं ताकि छोटे बच्चे इन पुस्तकों को पढ़कर अपना मनोरंजन कर सके I 

सार्वजनिक पुस्तकालय

 सार्वजनिक पुस्तकालय दो प्रकार के होते हैं पहला समाजसेवी ट्रस्ट के द्वारा संचालित किया जाता है और दूसरा सरकार के द्वारा जिसमें कोई भी व्यक्ति आकर किताबें पढ़ सकता है उसके लिए उसे कोई भी शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है।

चलता फिरता पुस्तकालय

 चल पुस्तकालय का मतलब होता है ऐसा पुस्तकालय जो मोटर वाहन के द्वारा संचालित होती हैं और ऐसे पुस्तकालय गांव गांव में जाते हैं और वहां पर लोगों को किताबें बेचने का काम करते हैं इस प्रकार के पुस्तकालय से अगर आप कोई भी किताब खरीदते हैं तो आपको बहुत ही कम पैसे देने पड़ेंगे।

डिजिटल पुस्तकालय

 आज के वक्त में सभी व्यक्तियों के पास मोबाइल फोन और इंटरनेट की सुविधा है I ऐसे में लोग मोबाइल में ही किताबें पढ़ना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि इसके लिए उन्हें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है वह घर में भी किताबों को पढ़ सकते हैं I  इस प्रकार के किताब डिजिटल तरीके में बनाए जाते हैं और आप इन्हें पीडीएफ फाइल के रूप में अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लीजिए और उसे पढ़ सकते हैं I 

इस प्रकार के किताब आपको भिन्न प्रकार के वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध कराए जाते हैं कुछ किताबें फ्री में होती हैं और कुछ के लिए आपको पैसे देने पड़ते हैं I 

पुस्तकालय का महत्व – Library ka mahatva

पुस्तके मानव का सच्चा साथी होती हैं अगर आप नियमित रूप से पुस्तक के पढ़ते हैं तो आपके ज्ञान में अपार भी दी होगी इसके अलावा आपके अंदर व्यक्तिगत गुणों का विकास होगा और इन गुणों के द्वारा आप अपने चरित्र का भी निर्माण कर सकते हैं किताबें समाज और देश दोनों के लिए प्रेरणा के स्रोत होते हैं I  इन के माध्यम से आप किसी भी समाज और देश के इतिहास के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं  I 

इसलिए लाइब्रेरी का विशेष महत्व हमारे जीवन में है कुछ लोग किताबों के प्रेमी होते हैं I उन्हें किताबें पढ़ना सबसे ज्यादा पसंद है I विशेष तौर पर वह कुछ विशेष लेखक के किताब पढ़ते हैं I उनका अपना एक अलग नजरिया है I कुछ लोगों को पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का ज्यादा शौक है और महिलाओं को नारी से जुड़े हुए पत्रिका सबसे ज्यादा पसंद उन्हें आती है  I 

 सबसे बड़ी बात है कि पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने के लिए अधिक पैसे देने की आवश्यकता नहीं है I अगर किसी व्यक्ति के पास पैसे नहीं है ज्ञान अर्जित करने के लिए तो आप पुस्तकालय जा सकता है क्योंकि पुस्तकालय में पुस्तक पढ़ने के लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ती है I पुस्तकालय शिक्षा व्यवस्था में रीड की हड्डी की तरह काम करती हैं इसके द्वारा देश के भावी भविष्य का निर्माण होता है I 

पुस्तकालय के लाभ

(1) पुस्तकालय के द्वारा आप को भिन्न प्रकार के किताबें पढ़ने का अवसर मिलता है इससे आपके ज्ञान में वृद्धि होती है।

(2) यहां पर आपको विभिन्न भाषाओं में किताबें पढ़ने का अवसर मिलेगा।

(3) पुस्तकालय वातावरण काफी शांत रहता है ऐसे में अगर आप यहां पर किताब काफी ध्यान केंद्रित कर कर पढ़ सकते हैं।

(4) पुस्तकालय में किताबें पढ़ने के लिए अधिक पैसे की आवश्यकता नहीं है आप मुफ्त में है किताबे पढ़ सकते हैं।

(5) पुस्तकालय में सभी वर्ग और जाति के लोग आकर किताबें पढ़ सकते हैं यहां पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है।

(6) पुस्तकालय के माध्यम से भारत की शिक्षा व्यवस्था मजबूत और सशक्त होगी।

(7) इसके द्वारा देश की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था मजबूत होती है।

(8) पुस्तकालय हमारे जीवन में अज्ञानता के अंधकार को दूर करते हैं ।

वर्तमान में पुस्तकालयों की आवश्यकता

आज के तारीख में पुस्तकालय की जरूरत और ऐसे ही है जैसे प्राचीन काल में थी इसकी प्रमुख वजह है कि आज के समय शिक्षा का जिस प्रकार वाणिज्य करण किया गया है ऐसे में शिक्षा को गर्म कर पाना सभी लोगों के लिए संभव नहीं है क्योंकि इसके लिए अधिक पैसे की आवश्यकता है है और अगर आपके पास पैसे नहीं है तो पुस्तकालय शिक्षा ग्रहण करने का सबसे अच्छा माध्यम है I

आप यहां पर जाकर मुफ्त में किताबें पढ़ सकते हैं और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं प्ले आज की तारीख में पुस्तकालय की आवश्यकता बढ़ती जा रही है I विशेष तौर पर गांव में पुस्तकालय की संख्या ना के बराबर है  I  

जिसके कारण गरीब लोग पढ़ लिख नहीं पाते हैं और अपना जीवन गरीबी में व्यक्त करने के लिए मजबूर होते हैं इसलिए गांव में सरकार को अधिक से अधिक पुस्तकालय खोलने की योजना पर काम करना चाहिए ताकि गरीब के बच्चे भी ज्ञान प्राप्त कर अपने जीवन में कुछ बन सके I 

अगर हमें अपने देश के प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा देनी है तो पुस्तकालय का विकास भारत में तेजी के साथ करना होगा। तभी जाकर हमारी शिक्षा व्यवस्था मजबूत और सशक्त बनेगी क्योंकि अगर कोई भी देश आज की तारीख में शिक्षित नहीं है तो उसे विकास करने में काफी दिक्कत और परेशानियों का सामना करना पड़ता है I 

इसलिए देश में अगर शिक्षा को समाप्त करना है तो पुस्तकालय की संख्या में वृद्धि करनी होगी ताकि लोग अधिक से अधिक पुस्तकालय जाकर ज्ञान की प्राप्ति कर सकें।

हमें भी प्रत्येक गांव में पुस्तकालय खोलने चाहिए जिससे हमारे देश का प्रत्येक बच्चा पढ़ लिख कर एक अच्छा व्यक्ति बनेगा और सामाजिक विकास के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में भी सहयोग करें।

पुस्तकालय पर 10 लाइन – Library Par 10 Line 

  • पुस्तकालय का अर्थ होता है – पुस्तकों का घर।
  • पुस्तकालय में सभी ज्ञानवर्धक किताबें उपलब्ध होती हैं।
  • पुस्तकालय में माता सरस्वती का निवास होता है।
  • आपके पास किताब खरीदने के पैसे नहीं आए तो आप पुस्तकालय में जाकर किताबें पढ़ सकते हैं।
  • विधार्थी को नियमित रूप से पुस्तकालय जाना चाहिए ताकि उनके ज्ञान में वृद्धि हो सके।
  • पुस्तकालय में पढ़ते समय शांति बनाए रखें।
  • अपने कोई भी पुस्तक पढ़ने के लिए लिया है तो उसे पढ़ने के बाद आप पुस्तकालय को वापस कर दे।
  • किसी भी पुस्तक के ऊपर कुछ ना लिखें और ना ही उसके किसी पेज को फाड़े
  • पुस्तकालय ज्ञान का मंदिर होता है।
  • काले में अगर आप किसी भी पुस्तक का अध्ययन करें तो पढ़ने के बाद उसे सही जगह पर रखें I 

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उम्मीद करता हूं दोस्तों की “पुस्तकालय ( Library Essay In Hindi )” से सम्बंधित हमारी यह पोस्ट आपको काफी पसंद आई होगी। इस पोस्ट में हमनें लाइब्रेरी से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां देने का प्रयास किया है। आशा है आपको पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।

अगर आप यह पोस्ट आपको अच्छा लगा तो आप अपने दोस्तों के साथ इसे शेयर कर सकते हैं। अगर आपके मन मे कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं हम आपसे जल्द ही संपर्क करेंगे। अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत – बहुत धन्यवाद।

FAQ About Library In Hindi

Q: पुस्तकालय में किताब पढ़ने के लिए पैसे देने पड़ते हैं क्या.

Ans: पुस्तकालय में अगर आप किताब पढ़ना चाहते हैं तो आपको इसके लिए पैसे देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत में जो भी सरकारी पुस्तकालय होते हैं वहां पर कोई भी व्यक्ति जाकर किताबें पढ़ सकता है और पैसे वहां पर आपको देने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर आप कोई प्राइवेट पुस्तकालय में किताबें पढ़ने के लिए जा रहे हैं वहां पर आपको कुछ शुल्क देने पड़ेंगे I

Q: पुस्तकालय का देश के विकास में क्या भूमिका है?

Ans: लाइब्रेरी की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है पुस्तकालय ज्ञान का भंडार होते हैं ऐसे में अगर देश के नागरिक जिनके पास पैसे नहीं है अगर वह पुस्तकालय में जाकर शिक्षा प्राप्त करते हैं तो देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित होगा और अगर ऐसा होता है तो देश को विकास करने में आसानी होगी क्योंकि देश में गिरा शिक्षा की भावना होगी तो देश तेजी के साथ विकास के पथ पर अग्रसर नहीं हो पाएगा इसलिए पुस्तकालय का हमारे देश के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है I 

Q: पुस्तकालय में कितनी भाषाओं में पुस्तके उपलब्ध होती हैं?

Ans: पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार के भाषाओं में पुस्तके उपलब्ध होती हैं आप अपनी भाषा के मुताबिक पुस्तक का चयन कर सकते हैं I 

Q: भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय कहां स्थित है?

Ans: भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय कोलकाता में स्थित है यहां पर आपको 2 मिलियन से अधिक किताबें मिल जाएंगे और विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है इसकी स्थापना 1948 में की गई थी या भारत का सबसे पुराना पुस्तकालय है और इसे राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया गया है I 

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Vladimir Ilyich Lenin

Imperialism, the highest stage of capitalism [1], a popular outline.

Written: January-June, 1916 Published: First published in mid-1917 in pamphlet form, Petrograd. Published according to the manuscript and verified with the text of the pamphlet. Source: Lenin’s Selected Works , Progress Publishers, 1963, Moscow, Volume 1 , pp. 667–766. Transcription\Markup: Tim Delaney & Kevin Goins (2008) Proofed: and corrected Alvaro Miranda (2022) Public Domain: Lenin Internet Archive 2005. You may freely copy, distribute, display and perform this work; as well as make derivative and commercial works. Please credit “Marxists Internet Archive” as your source.

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[1] [PLACEHOLDER.]

 
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  • पुस्तकालय से लाभ पर निबंध | Essay on Benefit from the Library in Hindi

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पुस्तकालय से लाभ पर निबंध | Essay on Benefit from the Library in Hindi!

पुस्तकें मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वाधिक विश्वसनीय मित्र हैं । इनमें वह शक्ति है जो मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है तथा कठिन से कठिन समस्याओं के निदान के लिए बल प्रदान करती है । जिस व्यक्ति को पुस्तकों से लगाव है वह कभी भी स्वयं को एकाकी व कमजोर अनुभव नहीं कर सकता है । पुस्तकें मनुष्य के आत्म-बल का सर्वश्रेष्ठ साधन हैं ।

ADVERTISEMENTS:

महान देशभक्त एवं विद् ‌ वान लाला लाजपत राय ने पुस्तकों के महत्व के संदर्भ में कहा था :

” मैं पुस्तकों का नर्क में भी स्वागत करूँगा । इनमें वह शक्ति है जो नर्क को भी स्वर्ग बनाने की क्षमता रखती है । ”

वास्तव में मनुष्य के लिए ज्ञान अर्जन व बुद्‌धि के विकास के लिए पुस्तकों का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है । शास्त्रों में भी पुस्तकों के महत्व को सदैव वर्णित किया गया है । संस्कृत की एक सूक्ति के अनुसार :

” काव्य शास्त्र विनोदेन , कालो गच्छति धीमताम् । व्यसनेन च मूर्खाणां , निद्रया कलहेन वा ।। ”

अर्थात् बुद्‌धिमान लोग अपना समय काव्य-शास्त्र अर्थात् पठन-पाठन में व्यतीत करते हैं वहीं मूर्ख लोगों का समय व्यसन, निद्रा अथवा कलह में बीतता है । वर्तमान में छपाई की कला में अभूतपूर्व विकास हुआ है । आधुनिक मशीनों के आविष्कार से पुस्तकों के मूल्यों में काफी कमी आई है तथा साथ ही साथ उनकी गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है ।

प्राचीन काल की तुलना में आज पुस्तकें बड़ी सरलता से प्राप्त भी हो जाती हैं परंतु सभी वांछित पुस्तकों को खरीदना व उनका संग्रह जन सामान्य के लिए एक दुष्कर कार्य हे । इन परिस्थितियों में पुस्तकालय का योगदान बहुत अधिक बढ़ जाता है ।

पुस्तकालय (पुस्तक+आलय) अर्थात् वह स्थान जहाँ पुस्तकें संगृहीत होती हैं । सामान्य रूप से सरकार व समाजसेवी संस्थानों द्‌वारा खोले गए पुस्तकालयों में व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के तथा पुस्तकालयों के नियमों के अधीन पुस्तकों का लाभ उठा सकते हैं । देश के लगभग समस्त छोटे-बड़े शहरों में इस प्रकार के पुस्तकालय उपलब्ध हैं ।

कुछ शहरों एवं ग्रामीण अंचलों में चलते-फिरते पुस्तकालय की भी व्यवस्था है जिससे साप्ताहिक क्रमानुसार लोग उक्त सुविधा का लाभ उठा सकते हैं । सभी प्रमुख विद्‌यालयों में पुस्तकालय उपलब्ध होते हैं जिनमें संबंद्‌ध छात्र व अध्यापकगण संगृहीत पुस्तकों का लाभ उठा सकते हैं । इसके अतिरिक्त कई लोग निजी पुस्तकालय भी रखते हैं जिनमें उनके महत्व व रुचि की पुस्तकें संगृहीत होती हैं ।

किसी भी समाज अथवा राष्ट्र के उत्थान में पुस्तकालयों का अपना विशेष महत्व है । इनके माध्यम से निर्धन छात्र भी महँगी पुस्तकों में निहित ज्ञानार्जन कर सकते हैं । पुस्तकालय में एक ही विषय पर अनेक लेखकों व प्रकाशकों की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं जो संदर्भ पुस्तकों के रूप में सभी के लिए उपयोगी होती हैं । कुछ प्रमुख पुस्तकालयों में विज्ञान व तकनीक अथवा अन्य विषयों की अनेक ऐसी दुर्लभ पुस्तकें उपलब्ध होती हैं जिन्हें सहजता से प्राप्त नहीं किया जा सकता है ।

अत: हम पाते हैं कि पुस्तकालय ज्ञानार्जन का एक प्रमुख श्रोत है जहाँ श्रेष्ठ लेखकों के महान व्याख्यानों व कथानकों से परिपूर्ण पुस्तकें प्राप्त की जा सकती हैं । इसके अतिरिक्त समाज के सभी वर्गों- अध्यापक, विद्‌यार्थी, वकील, चिकित्सक आदि के लिए एक ही स्थान पर पुस्तकें उपलब्ध होती हैं जो संपर्क बढ़ाने जैसी हमारी सामाजिक भावना की तृप्ति में भी सहायक बनती हैं ।

पुस्तकालयों में मनोरंजन संबंधी पुस्तकें भी उपलब्ध होती हैं । पुस्तकालयों का महत्व इस दृष्टि से और भी बढ़ जाता है कि पुस्तकें मनोरंजन के साथ ही साथ ज्ञानवर्धन में भी सहायक सिद्‌ध होती हैं । पुस्तकालयों में प्रसाद, तुलसी, शेक्सपियर, प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकारों, कवियों एवं अरस्तु, सुकरात जैसे महान दार्शनिकों और चाणक्य, मार्क्स जैसे महान राजनीतिज्ञों की लेखनी उपलब्ध होती है । इन लेखनियों में निहित ज्ञान एवं अनुभवों को आत्मसात् कर विद्‌यार्थी सफलताओं के नए आयाम स्थापित कर सकता है ।

अत: पुस्तकालय हमारे राष्ट्र के विकास की अनुपम धरोहर हैं । इनके विकास व विस्तार के लिए सरकार के साथ-साथ हम सभी नागरिकों का भी नैतिक कर्तव्य बनता है जिसके लिए सभी का सहयोग अपेक्षित है.

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Latah County Library District

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The Moscow Free Library and Reading Room opened in March of 1901 in one room of the Brown Building in downtown Moscow. The library was open two afternoons and two evenings a week and was operated by the Pleiades Club and the Moscow Historical Club. In 1903 members of the two clubs formed a committee to secure funding for a library building from the Andrew Carnegie Library Endowment. The Endowment granted the group $10,000. In 1904 Moscow residents approved a special tax to raise money for the building’s operation. A lot was purchased on the corner of Second and Jefferson Streets and Boise architect Watson Vernon was hired to design the library in the Mission Revival style, unique for northern Idaho. The building was completed in 1906 for just under $9,500, making it one of the last Carnegie libraries funded. The first major building improvement was made in 1931 with an addition that doubled the available space. In 1938 the front steps were rebuilt, replacing the curved stairs which had been a feature of the original architecture. In 1964 the basement was remodeled into a children’s library. Construction started in August 1982 to remodel and add to the original Carnegie building. In April 1983 the building was opened to the public, with the Carol Ryrie Brink Reading Room in the historic Carnegie building designated a special place for the children of the community. This addition more than doubled the space again. The Moscow branch serves as headquarters of the Latah County Library District, housing the administrative, adult services, youth services, access services and technical services departments. The Moscow Carnegie Library was placed on the National Register of Historic Places in 1979. More information about the library may be found on the Society of Architectural Historians’ “Archipedia” website.

Sunday Closed
Monday 10:00 am – 7:00 pm
Tuesday 10:00 am – 7:00 pm
Wednesday 10:00 am – 7:00 pm
Thursday 10:00 am – 7:00 pm
Friday 10:00 am – 6:00 pm
Saturday 10:00 am – 5:00 pm

110 S. Jefferson St. Moscow, ID 83843

Mailing Address: 110 S. Jefferson St. Moscow, ID 83843

208-882-3925

[email protected]

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The Friends of the Moscow Library meets regularly to plan their semi-annual book sale held at the Latah County Fairgrounds. Funds raised by the Friends support Moscow programs such as Summer Reading, Everybody Reads, Books for Babies at Gritman Medical Center, and various capital projects.

Moscow Community Resources

Discover the people and organizations working to keep your local community a great place to live.

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Secrets Over Sweet Tea by Jones, Denise Hildreth

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Quiet please! / by Jacobson, Jennifer,

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August 2024, moscow – adventure storytime, moscow – working with robots, moscow – tuesday teabirds book club, moscow – medicare workshop, moscow – off to kindergarten bootcamp, moscow – play music on the porch.

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